Chaurchan puja 2023 Date: जानिए किस दिन रखा जाएगा चौरचन का व्रत, क्या है इसकी विशेषता
Chaurchan puja 2023 Date: बिहार के मिथिला प्रांत में चौरचन का त्योहार बहुत श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार को चौठ चन्द्र के नाम से भी जाना जाता है। किस दिन रखा जाएगा चौरचन का व्रत। चौरचन का महत्व क्या है। क्यों किया जाता है चौरचन का व्रत। यहां जानें सबकुछ।
Chaurchan puja 2023 Date
Chaurchan puja 2023 Date: चौरचन का व्रत मुख्यतौर पर बिहार के मिथिला प्रांत में किया जाता है। इस व्रत को चौठ चन्द्र के नाम से भी जाना जाता है। चौठ चन्द्र का व्रत हर साल भादव मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता है। इस बार ये व्रत 18 सितंबर 2023 को रखा जाएगा। इस दिन चांद की पूजा का विशेष महत्व है। चौठ चांद की पूजा शाम को चांद के उगने के बाद किया जाता है। इस दिन शाम को चांद उगने के बाद चांद को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चांद कुछ ही समय के लिए उगते हैं। इस कारण इसे अलखक चांद भी कहा जाता है। इस दिन गणेश भगवान और चांद की पूजा की जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर प्रसाद के लिए अलग-अलग पकवान बनाती हैं। शाम को बनाये गए प्रसाद का चांद को अर्घ्य दिया जाता है। आइए जानते हैं चौरचन व्रत की विशेषता क्या है।
चौरचन व्रत विशेषताचौरचन का व्रत बिहार के मिथिलांचल में मनाया जाता है। इस त्योहार को मिथिला में बहुत ही ज्यादा उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां पूरे दिन व्रत रहती हैं और प्रसाद के लिए अलग- अलग पकवान बनाती हैं। शाम के समय आंगन में अहिपण जिसे रंगोली कहा जाता है उसे बनाया जाता है। उसके बाद सारे पकवानों को अलग- अलग बांस के डलिया में सजाकर रखती हैं। इस पूजा में खीर गुजिया और मीठी पूड़ी खासकर बनाई जाती है। इस दिन पांच तरह के फल भी प्रसाद में चढ़ाये जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख समद्धि आती है। शाम के समय सारा भोग सजाकर चंद्रमा को अर्घ्य चढ़ाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन ही चंद्रमा को कलंक लगा था। इस कारण इस दिन चांद को देखने के लिए मनाया किया जाता है। इस दिन हाथ में कुछ प्रसाद लेकर ही चंद्रमा के दर्शन करने को कहा जाता है। इस दिन व्रत करने से घर में सुख शांति आती है और चंद्रमा को अर्घ्य देने से झूठ के कलंक से मुक्ति भी मिलती है।
Chaurchan 2023 पूजा विधि- इस दिन लोग सुबह से लेकर रात तक व्रत रखते हैं। यह व्रत महिलाएं अपने पुत्रों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।
- शाम तक व्रत रखने के बाद शाम के समय घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपकर साफ किया जाता है।
- फिर कच्चे चावल को पीसकर रंगोली तैयार की जाती है और इस रंगोली से आंगन को सजाया जाता है।
- फिर केले के पत्ते से एक गोल चंद्रमा बनता है।
- इस त्योहार में तरह-तरह की मिठाइयाँ चढ़ाई जाती हैं, जैसे खीर, मिठाइयां, गुजिया, फल आदि। इस त्योहार में दही का बहुत महत्व है।
- पकवान बनाने के बाद उन्हें बांस की डलिया में सजाया जाता है। बांस के डलिया में पान के पत्ते भी रखें जाते हैं।
- इस दिन पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके चंद्रमा की पूजा की जाती है और अर्घ्य चढ़ाया जाता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। अध्यात्म (Spirituality News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
अध्यात्म और ज्योतिष की दुनिया बेहद दिलचस्प है। यहां हर समय कुछ नया सिखने और जानने को मिलता है। अगर आपकी अध्यात्म और ज्योतिष में गहरी रुचि है और आप इस ...और देखें
Types of Moksh in Bhagavad Gita: ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग होता है मोक्ष, भगवद्गीता में बताए गए हैं इसके 4 प्रकार
20 January 2025 Panchang: आज राहुकाल कितने बजे से लगेगा, क्या रहेगा अभिजीत मुहूर्त और सूर्योदय-सूर्योस्त का टाइम
दो दिन बाद बदलेगी मंगल की चाल, इन 4 राशि वालों का हो सकता है बुरा हाल, रहें सतर्क
Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर शाही स्नान का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा? जानिए क्या है इस तिथि का महत्व
Kumbh Mela 2025: कुंभ मेला कहां-कहां लगता है, क्यों प्रयागराज का कुंभ सबसे महत्वपूर्ण होता है?
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited