Chaurchan Puja Vidhi, Muhurat 2024: चौरचन पूजा कैसे की जाती है, जानिए इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती सबकुछ

Chaurchan Puja 2024 Vidhi, Muhurat, Mantra, Katha, Aarti, Moonrise Time (Chauth Chandra 2024 Date): गणेश चतुर्थी के दिन मिथिला में चौथ चांद की पूजा की जाती है जिसे चौरचन पर्व के नाम से जाना जाता है। ये एक लोकपर्व है। जिसे स्त्री और पुरुष दोनों करते हैं। चलिए जानते हैं इस साल चौरचन पूजा कब है और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

chaurchan puja vidhi

Chaurchan Puja Vidhi In Hindi

Chaurchan Puja 2024 Vidhi, Muhurat, Mantra, Moonrise Time, Chand Nikalne Ka Samay In Hindi (चौरचन पूजा विधि 2024): मिथिला में चौरचन पूजा का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। छठ की तरह ही चौरचन पर्व भी स्त्री और पुरुष दोनों समान रूप से मनाते हैं। पंचांग अनुसार चौरचन पूजा पर्व भादो शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। ये तिथि इस बार 6 सितंबर की दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू हो रही है और इसकी समाप्ति 7 सितंबर की शाम 5 बजकर 37 मिनट पर होगी। क्योंकि चौरचन पूजा में चांद की पूजा की जाती है (Chand Ki Puja Kaise Ki Jati Hai) इसलिए ये पर्व 6 सितंबर को मनाया जाएगा। चलिए जानते हैं चौरचन पूजा की विधि, मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती, चांद निकलने का समय सबकुछ।

मिथिला चौरचन पूजा 2024 तिथि व मुहूर्त (Mithila Chaurchan Puja 2024 Date And Time)

इस साल चौरचन पूजा पर्व 6 सितंबर 2024 को शुक्रवार के दिन मनाया जा रहा है। इस दिन चांद की पूजा की जाती है। चौरचन पूजा का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर की दोपहर 3 बजकर 1 मिनट से 7 सितंबर की शाम 5 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।

चौरचन पूजा विधि इन हिंदी (Chaurchan Puja Vidhi In Hindi)

  • चौरचन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
  • ये व्रत सुबह से शाम तक रखा जाता है।
  • शाम के समय घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपकर अच्छे से साफ-सुथरा कर लें।
  • इसके बाद घर के आंगन में पीसे हुए चावल से रंगोली बनाएं।
  • फिर केले के पत्ते की मदद से एक गोलाकार चांद बना लें।
  • इसके बाद तरह-तरह के मीठे पकवान जैसे खीर, मिठाई, गुझिया और फल आदि भोग के रूप में चढ़ाने के लिए तैयार कर लें।
  • फिर चंद्रमा की विधि विधान पूजा करें।
  • चौरचन पूजा में दही का जरूर इस्तेमाल किया जाता है।
  • इस दिन मिट्टी के बर्तन में दही जरूर जमाया जाता है।
  • साथ ही बांस के बर्तन में खीर तैयार की जाती है। इसी खीर का चंद्र देव को भोग लगाया जाता है।

चौरचन पूजा मंत्र (Chaurchan Puja Mantra)

चौरचन पूजा में चांद की पूजा करते समय 'रोहिणीक्षत्र भाद्रशुक्ल चतुर्थी चंद्रायनमः' मंत्र पढ़ा जाता है।

चौरचन पूजा के दिन चांद पूजा का समय (Chaurchan Puja Par Chand Nikalne Ka Samay)

चौरचन पूजा के दिन चांद पूजा का समय शाम 7 बजकर 50 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।

चौरचन पूजा क्यों की जाती है (Chaurchan Puja Ki Kahani In Hindi)

चौरचन पूजा की कथा अनुसार जब हेमांगद ठाकुर मिथिला आये तो रानी हेमलता ने कहा कि मिथिला का चांद आज कलंकमुक्त हो गया है, इसलिए हम उनका दर्शन और पूजन करेंगे। इस तरह से रानी हेमलता के पूजन की बात जन जन तक पहुंची। जिसके बाद मिथिला के बाकी लोगों ने भी चंद्र पूजा की इच्छा व्यक्त की। इसके बाद मिथिला के पंडितों से विचार विमर्श के बाद राजा हेमांगद ठाकुर ने इसे लोकपर्व का दर्जा दे दिया। फिर मिथिला के लोगों ने चांद के कलंकमुक्ति की कामना को लेकर चतुर्थी चन्द्र की पूजा शुरू कर दी। कहते हैं तभी से लेकर आज तक हर साल मिथिला के के लोग शाम को अपने घर के आंगन या छत पर चिकनी मिट्टी से या फिर गाय के गोबर से नीप कर पीठार से अरिपन देते हैं। जिसके बाद पूरी-पकवान, फल, मिठाई, दही आदि चीजों को अरिपन पर सजाया जाता है और फिर इसे हाथ में उठाकर चंद्रमा का दर्शन कर उन्हें भोग अर्पित किया जाता है।
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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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