Chaurchan Vrat 2024 Katha In Hindi: चौरचन व्रत के दिन करें इस कथा का पाठ, हर मनोकामना होगी पूरी

Chaurchan Vrat 2024 Katha In Hindi: चौरचन का व्रत हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन इस व्रत की कथा का पाठ करना शुभ होता हैं। यहां पढ़ें चौरचन व्रत की कथा।

Chaurchan Vrat 2024 Katha

Chaurchan Vrat 2024 Katha

Chaurchan Vrat 2024 Katha In Hindi (चौरचन व्रत कथा हिंदी में): चौरचन का व्रत विशेषतौर पर बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में रखा जाता है। ये व्रत हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल चौरचन का व्रत 6 सितंबर 2024 को रखा जा रहा है। इस दिन बहुत सारे पकवाने बनाए जाते हैं और शाम के समय चंद्र देवता को इन पकवानों का अर्घ्य चढ़ाया जाता है। इस व्रत को करने की परंपरा बिहार में सदियों से चली आ रही है। चौरचन को चौठ चंद्र के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखती हैं और प्रसाद बनाती हैं और शान के चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत खोलती हैं। इस व्रत को रखने के पीछे के महत्वपूर्ण कथा है। आइए यहां पढ़ें चौरचन व्रत की कथा।

Chaurchan Vrat 2024 Katha In Hindi (चौरचन व्रत कथा हिंदी में)

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान गणेश अपने वाहन मूषक के साथ पूरे कैलाश का भ्रमण कर रहे थे। उसी समय अचानक वहां पर चंद्र देवता के हंसने की आवाज सुनाई दी। जब भगवान गणेश ने उनसे उनके हंसने की वजह पूछी तो चंद्रदेव ने कहा कि उनको भगवान गणेश की ये विचित्र रूप देखकर हंसी आ गई। इसके साथ ही वो वहां पर भगवान गणेश से अपने रूप की प्रशंसा करने लगे।
चंद्र देवता के इस मजाक उड़ाने की प्रवृति को देखकर भगवान गणेश को बहुत ही क्रोध आ गया। उसी क्षण भगवान गणेश ने चंद्र देवता को श्राप दे दिया कि जिस रूप पर तुमको इतना अभिमान है, वो रूप आज के कंलकित और कुरूप हो जाएगा। जो कोई भी इस दिन चंद्र देवता दर्शन करेगा। उसके झूठे कलंक का सामना करना पड़ेगा।
इस बात को सुनकर चंद्रदेन तुरंत ही भगवान गणेश से क्षमा याचना करने लगे। उन्होंने गणपति जी को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि- विधान के साथ भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश जी की पूजा की। चंद्र देव को पश्चाताप करते हुए देखकर गणेश जी उनसे प्रसन्न हुए और उनको उनकी भूल के लिए क्षमा कर दिया, लेकिन वो अपना श्राप तो नहीं वापस ले सकते थे। इसका कारण उन्होंने कहा कि जो भी कोई इस चतुर्थी तिथि पर चंद्रमा की विधि- विधान से पूजा करेगा तो उस पर कलंकित चंद्रमा का असर कम होगा। यदि किसी को झूठे कलंक से बचना है तो उसको भादव मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन चंद्रमा का पूजन करना होगा। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन पर लगने वाला कलंक निष्कलंक हो जाएगा। इसी दिन के बाद से चौरचन व्रत करने की परंपरा शुरू हो गई। चौरचन के चंद्र देव की पूजा की जाती है और हाथों में फल या मिठाई लेकर चंद्रमा के दर्शन किये जाते हैं।
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जयंती झा author

बिहार के मधुबनी जिले से की रहने वाली हूं, लेकिन शिक्षा की शुरुआत उत्तर प्रदेश की गजियाबाद जिले से हुई। दिल्ली विश्वविद्यायलय से हिंदी ऑनर्स से ग्रेजुए...और देखें

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