Chaurchan Vrat Katha In Hindi: चौरचन व्रत कथा से जानिए इस त्योहार का महत्व

Chaurchan Puja Vrat Katha In Hindi (चौरचन पूजा की कथा): चौरचन पूजा का पर्व मुख्य रूप से बिहार के मिथिला में मनाया जाता है। यहां इस दिन चंद्र देव की विधि विधान पूजा की जाती है। यहां जानिए चौरचन पूजा की व्रत कथा।

Chaurchan Vrat Katha In Hindi

Chaurchan Puja Vrat Katha In Hindi: गणेश चतुर्थी पर चौरचन पूजा किए जाने की भी परंपरा है। इस त्योहार को चौठ चंद्र त्यौहार भी कहा जाता है। विशेष रूप से यह त्योहार बिहार के मिथिला में मनाया जाता है। इस पर्व में चंद्र देव की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन भगवान गणेश के साथ-साथ चंद्र देव की पूजा करता है वह चंद्र दोष से मुक्त हो जाता है। मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को कलंक लगा था इसलिए इस दिन चांद को देखने की मनाही होती है। यहां जानिए चौरचन पूजा की व्रत कथा।

Chaurchan Vrat Katha In Hindi

एक दिन भगवान गणेश अपने वाहन मूषक के साथ कैलाश का भ्रमण कर रहे थे। तभी अचानक चंद्र देव के हंसने की आवाज आई। भगवान गणेश ने चंद्रदेव से उनके हंसने का कारण पूछा। चंद्रदेव ने कहा कि भगवान गणेश का विचित्र रूप देखकर उन्हें हंसी आ रही है, साथ ही चंद्र देव ने अपने रूप की प्रशंसा करनी शुरु कर दी थी। मजाक उड़ाने की इस प्रवृत्ति को देखकर गणेश जी को गुस्सा आ गया। उन्होंने चंद्र देव को श्राप दिया और कहा कि जिस रूप पर इतना अभिमान है वह रूप आज से करूप हो जाएगा। जो कोई भी चंद्रदेव को इस दिन देखेगा, उसे झूठा कलंक लगेगा।

यह बात सुनते ही चंद्रदेव भगवान गणेश के सामने क्षमा मांगने लगे। उन्होंने भगवान गणेश को खुश करने के लिए भाद्रपद की चतुर्थी को गणेश जी की विधि विधान पूजा की और उनके लिए व्रत रखा। चंद्र देव को पश्चाताप करते हुए देखकर भगवान गणेश ने चंद्रदेव को माफ कर दिया और कहा कि वह अपने श्राप को वापस तो नहीं ले सकते परंतु वह इसका असर कम कर सकते हैं। उन्होंने कहा यदि चंद्र देव के झूठे आरोप से किसी व्यक्ति को बचना है तो उन्हें गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा की भी पूजा करनी होगी। इस तरह करने से व्यक्ति के जीवन पर लगने वाला कलंक निष्कलंक हो जाएगा। कहते हैं उसी समय से गणेश चतुर्थी के दिन चौरचन पूजा मनाई जाने लगी।

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