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Chhath Vrat Katha: सुनिए छठी मइया की यह पौराणिक कथा, होगी पुत्र रत्न की प्राप्ति

Chhath Vrat Katha (छठ व्रत कथा हिंदी में): छठ के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन प्रात: अर्घ्य के बाद छठी मइया की आरती व व्रत कथा का पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं व संतान के जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। ध्यान रहे बिना कथा का पाठ किए पूजा को संपूर्ण नहीं माना जाता है।

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छठ पूजा व्रत कथा

मुख्य बातें
  • आज छठ का चौथा दिन है।
  • सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद छठी मइया की इस कथा का करें पाठ।
  • रामायण व महाभारत काल में किया गया है छठ के व्रत का उल्लेख।

Chhath Vrat Katha (छठ व्रत कथा हिंदी में): लोक आस्था का महापर्व छठ का रंग उत्तर प्रदेश, बिहार झारखंड से लेकर पूरे देश में देखने को मिला। छठी मइया के जयकारों से पूरा देश गूंज उठा है। साथ ही आज यानी छठ पूजा के चौथे दिन उदीयमान सूरज को अर्घ्य देने के साथ इस पर्व का समापन हो गया है। उगते सूर्य के उपासना के बाद, अब व्रती महिलाएं 36 घंटे का उपवास तोड़ेंगी। धार्मिक ग्रंथों में छठी मइया को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री माना (Chhath Vrat Katha In Hindi) गया है।

मान्यता है कि, छठ के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन प्रात: अर्घ्य के बाद छठी मइया की आरती व व्रत कथा का पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं व संतान के जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। ध्यान रहे बिना कथा का पाठ किए पूजा को संपूर्ण नहीं माना जाता है। ऐसे में यहां आपके लिए छठी मइया की कथा लेकर आए हैं। आरती से पहले इस कथा का पाठ अवश्य करें।

पुत्र रत्न से जुड़ी पौराणिक कथा

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