Chhath Puja 2022 Kharna: छठ महापर्व के दूसरे दिन ये हैं व्रत के नियम, नहाय खाय के बाद जानिए खरना की पूजा विधि
Chhath Puja 2022 Kharna Kab Hai, Puja Vidhi, Muhurat in Hindi: छठ पूजा का पहला दिन नहाय खान होता है। वहीं, कार्तिक मास की पंचमी में छठ का दूसरा दिन खरना होता है। खरना के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। जानिए खरना से जुड़ी पूजा विधि और इनके नियम।
Chhath Puja 2022
- छठ का त्योहार नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है।
- छठ पूजा के दूसरा दिन को खरना कहा जाता है।
- खरना में महिलाएं सूर्यास्त तक व्रत रखती हैं।
Chhath Puja 2022 Kharna Importance and Vidhi: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत 28 अक्टूबर से हो गई है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन छठी मईया और सूर्य भगवान की पूजा अर्चना की जाती हैं और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय होता है। वहीं, दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व में श्रद्धालु 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर खरना करते हैं।
छठ पूजा के दूसरे दिन खरना (Kharna) होता है। खरना का मतलब शुद्धिकरण होता है। व्रती महिलाएं सूरज उगने से लेकर सूर्यास्त तक कठिन निर्जला व्रत करती हैं। शाम को महिलाएं गुड़ और खीर का प्रसाद खाकर अपना उपवास खोलती हैं। इसके बाद ये प्रसाद सभी लोगों को बांटा जाता है। दिवाली की तरह इस त्योहार में भी साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके अलावा सात्विक भोजन भी किया जाता है। ऐसे में लहसुन और प्याज बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। खाना बनाने के लिए नए मिट्टी और आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है।
खरना की पूजा विधि (Chhath 2022 Kharna Puja Vidhi)
खरना की पूजा विधि की बात करें तो इस दिन व्रती महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाएं। महिलाएं दिन भर व्रत रखने के बाद शाम के वक्त लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ और चावल की खीर बनाकर प्रसाद बनाएं। शाम को सूर्य देव की पूजा करने के बाद व्रती महिलाएं खीर खाकर अपना व्रत खोल सकती हैं। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है। खरना पूजा के बाद घर में षठी देवी यानी छठी मइयां भी आ जाती हैं। वहीं, प्रसाद में ठेकुआ और खजूर भी बनाया जाता है।
छठ पूजा के चार दिन (Chhath Puja four days)
- नहाय खाय का व्रत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होता है। इसी दिन व्रती स्नान करके नए वस्त्र को धारण करते हैं।
- कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना कहते हैं। पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को व्रती गुड़ से बनी खीर और रोटी का भोजन करते हैं।
- तीसरे दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाते हैं। टोकरी की पूजा कर व्रती सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाते हैं। नहाने के बाद डूबते सूर्य की पूजा करते हैं।
- चौथे दिन सप्तमी को सुबह सूर्योदय के समय विधिवत पूजा कर प्रसाद वितरित किया जाता है।
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