Chhath Puja 2024 Date In Bihar: बिहार में कब मनाया जाएगा छठ पूजा का पर्व, यहां जानें सही तिथि और शुभ मुहूर्त
Chhath Puja 2024 Date In Bihar: छठ पूजा का त्योहार बिहार में खासतौर पर मनाया जाता है। ये त्योहार पूरे चार दिनों तक चलता है। ऐसे में आइए जानें बिहार में इस साल छठ का पर्व कब मनाया जाएगा।
Chhath Puja 2024 Date In Bihar
Chhath Puja 2024 Date In Bihar: छठ पूजा का त्योहार महापर्व के नाम से जाना जाता है। ये महापर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। इस पर्व में छठी मैया और सूर्य देवता की पूजा की जाती है। छठ पूजा साल में दो बार मनाया जाता है, लेकिन कार्तिक महीने में आने वाली छठ पूजा बहुत ही विशेष माना जाता है। ये पर्व उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार में खासतौर पर मनाया जाता है। इस पर्व का केवल धार्मिक ही महत्व नहीं हैं, बल्कि प्राकृति महत्व भी है। इस पूजा में प्राकृति की भी पूजा की जाती है। छठ पूजा का त्योहार संतान सुख और परिवार की सुख, समृद्धि के लिए उत्तम माना जाता है। इस व्रत में महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसे में आइए जानें इस साल बिहार में छठ पूजा कब मनाई जाएगी और शुभ मुहूर्त के बारे में।
Chhath Puja 2024 Date In Bihar (बिहार में छठ पूजा कब मनाई जाएगी 2024)
हिंदू पंचांग के अनुसार छठ पूजा का पर्व कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन से शुरू हो जाता है। इस व्रत का समापन सूर्य के उषा अर्घ्य देने के साथ किया जाता है। इस साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर को रात 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 8 नवंबर को रात 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में इस साल बिहार में छठ पूजा 7 और 8 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। 5 नवंबर को नहाय खाय और 6 नवंबर 2024 को खरना किया जाएगा।
Chhath Puja 2024 calendar (छठ पूजा 2024 कैलेंडर)
- छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय
- छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
- छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024- संध्या अर्घ्य
- छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य
नहाय- खाय, खरना और छठ पूजा महत्व
नहाय- खाय- नहाय- खाय छठ पूजा का पहला दिन होता है। इस दिन व्रती महिलाएं बाल धोकर नहाती हैं और शाम के समय में सात्विक भोजन करती हैं। ये पर्व कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थि तिथि पर मनाया जाता है।
खरना- खरना कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं शाम के समय में स्नान के बाद गुड का खीर और रोटी बनाती हैं। खीर बनाने के बाद खीर और रोटी का भोग छठी मैया और सूर्य देव को चढ़ाया जाता है। खरना की पूजा के बाद वहीं खाना व्रती महिलाएं खाती हैं और प्रसाद बांटती हैं।
संध्या अर्घ्य- छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के समय में सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और छठ का प्रसाद बनाकर उसे बांस के डाले में सजाया जाता है। सूर्य के उगने के बाद सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
उषा अर्घ्य- छठ पूजा के चौथे दिन सूर्य देवता को सुबह में सूरज उगने के बाद दिया जाता है। इसे उषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। उर्षा अर्घ्य के बाद व्रत पूरा होता है। इसके बाद इस व्रत का पारण किया जाता है।
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