Chhath Puja Ki Kahani: छठ पूजा की कहानी, जानिए कैसे हुई इस पर्व को मनाने की शुरुआत

Chhath Puja Ki Kahani: छठ पर्व सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का प्रमुख पर्व माना जाता है। जिसे मुख्य रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। ये पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। लेकिन इस पर्व को मनाने की शुरुआत कब और कैसे हुई? इस बारे में जानेंगे आप छठ पर्व की पौराणिक कथाओं से।

Chhath Puja Ki Kahani

Chhath Puja Ki Kahani

Chhath Puja Ki Kahani (छठ पूजा की कहानी): छठ पूजा बिहार का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। इस पर्व का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से खास महत्व होता है। छठ पूजा पूरे 4 दिनों तक चलने वाला महापर्व होता है जो हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलता है। इस साल छठ पूजा 5 नवंबर से 8 नवंबर तक चलेगी। इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रहकर सूर्य देव और छठी मैया की उपासना करती हैं। चलिए आपको बताते हैं छठ पर्व की शुरुआत किसने की और क्या है इसकी पौराणिक कथा।

Chhath Puja Vidhi In Hindi

छठ पूजा की कहानी (Chhath Puja Ki Kahani)

छठ पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा अनुसार, प्राचीन समय में सूर्यवंशी राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी मालिनी ने संतान प्राप्ति के लिए कई धार्मिक अनुष्ठान कराए लेकिन इसके बाद भी उन्हें कोई संतान नहीं प्राप्त हुई। इस कारण राजा-रानी दोनों बहुत दुखी रहने लगे थे। फिर राजा ने संतान प्राप्ति के लिए महर्षि कश्यप के निर्देशानुसार एक यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ के परिणामस्वरूप रानी मालिनी गर्भवती हुईं, लेकिन उन्हें मृत बच्चा पैदा हुआ। इससे राजा-रानी और भी ज्यादा दुखी हुए। राजा ने आत्महत्या करने का निर्णय लिया। लेकिन तभी भगवान की कृपा से देवी षष्ठी प्रकट हुईं, जिन्हें सभी छठी मैया के नाम से भी जानते हैं। देवी ने राजा से कहा कि यदि वह उनकी सच्चे मन से पूजा करेंगे और श्रद्धा के साथ व्रत करेंगे, तो उन्हें संतान अवश्य प्राप्त होगी। देवी की आज्ञा का पालन करते हुए राजा प्रियव्रत और रानी मालिनी ने पूरी श्रद्धा से छठ व्रत रखा। इसके परिणामस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। जिसके बाद दोनों पति-पत्नी खुशी-खुशी रहने लगे।

Chhath Vrat Vidhi In Hindi

छठ व्रत कथा महाभारत काल से जुड़ी (Chhath Puja Katha In Hindi)

छठ पूजा की एक प्रसिद्ध कथा महाभारत काल से भी जुड़ी है। कहते हैं जब पांडव अपना राजपाट हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। उनकी भक्ति और तपस्या के परिणामस्वरूप पांडवों को खोया हुआ राजपाट फिर से मिल गया।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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