Chhath Puja Vidhi And Muhurat: छठ पर्व के तीसरे दिन सूर्य को अर्घ्य देने का समय और विधि क्या रहेगी, यहां जानें पूरी जानकारी

Chhath Puja 2024 Surya Arghya Vidhi And Muhurat: छठ पर्व का तीसरा दिन यानी चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि सबसे प्रमुख मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग अपने परिवार के साथ मिलकर सूर्यदेव की अराधना करते हैं। इस दिन डूबते हुए सूर्य को जल दिया जाता है। यहां जानिए छठ पूजा विधि।

Chhath Puja Vidhi

Chhath Puja Surya Arghya Vidhi, Time

Chhath Puja 2024 Surya Arghya Vidhi And Muhurat: छठ पूजा का पावन पर्व चल रहा है और 14 तारीख को इस महापर्व का सबसे प्रमुख दिन है। इस दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। जिसे संध्या अर्घ्य भी कहते हैं। इस दिन छठ का विशेष भोग तैयार किया जाता है। जिसमें मुख्य रूप से ठेकुआ प्रसिद्ध है। प्रसाद तैयार करने के बाद उसे एक टोकरी में रखा जाता है साथ में टोकरी के अंदर फल भी सजाए जाते हैं। इसके बाद व्रती इस टोकरी को लेकर तालाब, नदी या घाट पर जाकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यहां जानिए छठ पूजा की विधि और मुहूर्त।

छठ पूजा अप्रैल 2024 संध्या अर्घ्य समय (Chhath Puja April 2024 Sandhya Arghya Time)

14 अप्रैल को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा। इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 06 बजकर 46 मिनट का है। बेहतर होगा आप इस समय से पहले ही घाट पर पहुंच जाए। जिससे पूजा की तैयारी समय पर पूरी की जा सके।

छठ पूजा अप्रैल 2024 ऊषा अर्घ्य समय (Chhath Puja April 2024 Usha Arghya Time)

छठ पूजा में ऊषा अर्घ्य का समय सुबह 5 बजकर 55 मिनट का है। ऐसे में सूर्य देव के निकलने से पहले ही नदी या घाट पर पहुंच जाए जिससे अर्घ्य देने में देरी न हो पाए।

छठ पर्व की पूजा विधि (Chhath Puja Vidhi)

छठ की पूजा विधि जानने से पहले इसकी सामग्री जरूर नोट कर लें जिन्हें आपको टोकरी में सजाना है। फिर यही टोकरी आप लेकर सूर्य अर्घ्य देने के लिए जाएंगे।
  • बांस से बनी 3 बड़ी टोकरी
  • बांस या पीतल के बने 3 सूप
  • एक थाली, गिलास
  • दूध, नारियल, हल्दी, चावल,
  • लाल सिंदूर, दीपक
  • सब्जी, शकरकंदी, गन्ना और सुथनी
  • पान, साबुत सुपारी, नाशपती, बड़ा नींबू, शहद,चंदन, मिठाई
  • कैराव और कपूर
  • ठेकुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, मालपुआ, चावल के बने लड्डू

सूर्य को अर्घ्य देने की विधि (Chhath Puja Surya Arghya Vidhi)

ऊपर बताई गई सभी सामग्री बांस की टोकरी में अच्छे से सजा लें और सूर्य को अर्घ्य देते समय प्रसाद को सूप में रखें। इसके बाद सूप में एक दीपक जलाया जाता है और नदी या तालाब में उतरकर भगवान सूर्य को विधि विधान अर्घ्य दिया जाता है। ध्यान रहे कि आपको डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देना है। फिर छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है। इसी के साथ व्रत का समापन हो जाता है।
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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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