उषा अर्घ्य के साथ हुआ छठ पर्व का समापन, जानिए व्रत के पारण का समय
Chhath Puja 2024 Sunrise Time Today In Delhi, Patna, छठ पूजा 2024 अर्घ्य देने का समय, Today Sunrise Timing, Surya Uday Time, Morning Arghya Time Todat In Bihar, UP, MP, Mumbai, Delhi, Haryana Updates: छठ व्रत में मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया की उपासना की जाती है। इस दौरान व्रती महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। जानिए छठ पूजा का उषा अर्घ्य समय क्या रहेगा।
उषा अर्घ्य के साथ हुआ छठ पर्व का समापन, जानिए व्रत के पारण का समय
चार दिवसीय छठ पर्व का 8 नवंबर 2024 को समापन हो जाएगा। इस दिन व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। जिसे उषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। उषा अर्घ्य के बाद सभी लोगों में प्रसाद बांटा जाता है। इसके बाद व्रतधारी अपना व्रत खोल लेते हैं। अब सवाल ये उठता है कि इस साल उषा अर्घ्य का समय क्या रहेगा? सूर्य कितने बजे निकलेगा? अगर आप भी इन सवालों का जवाब जानना चाहते हैं तो बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। यहां आप जानेंगे 8 नवंबर को सूर्य कितने बजे निकलेगा।
Chhath Puja Ke Gane
छठ पूजा 2024 सूर्योदय समय (Chhath Puja 2024 Sun Rise Time Tomorrow)
8 नवंबर 2024 को छठ पूजा का दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन व्रतधारी उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। पंचांग अनुसार इस दिन सूर्य निकलने का समय सुबह 6 बजकर 38 मिनट का है।
छठ पूजा उषा अर्घ्य समय 2024 (Chhath Puja Usha Arghya Time 2024)
8 नवंबर 2024 (उषा अर्घ्य समय)- 06 बजकर 38 मिनट
छठ पूजा उषा अर्घ्य विधि (Chhath Puja Usha Arghya Vidhi)
छठ पूजा के चौथे और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इसे ‘उषा अर्घ्य’ कहा जाता है। इस दिन सुबह-सुबह व्रतधारी नदी या जलाशय पर जाकर सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य देते हैं। फिर इसके बाद अपना व्रत खोल लेते हैं।
भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र (Surga Arghya Mantra)
छठ पूजा में व्रती को सूर्य को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें...ओम ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
छठ पूजा 2024 सूर्योदय समय शहर अनुसार (Chhath Puja 2024 Sunrise Time City Wise)
पटना (Sunrise Time Today In Patna)- 06:02 AM
दिल्ली (Sunrise Time Today In Delhi)- 06:38 AM
कोलकाता (Sunrise Time Today In Kolkata)- 05:45 AM
नोएडा (Sunrise Time Today In Noida)- 06:38 AM
मुंबई (Sunrise Time Today In Mumbai)- 06:42 AM
रांची (Sunrise Time Today In Ranchi)- 05:58 AM
लखनऊ (Sunrise Time Today In Lucknow)- 06:21 AM
बनारस (Sunrise Time Today In Banaras)- 06:10 AM
Chhath Puja Paran Time Todat: छठ पूजा 2024 पारण समय
आज छठ पूजा का पारण उषाकालीन अर्घ्य के बाद होगा। आपके शहर में जब सूर्योदय हो तो उस समय उगते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें। उसके बाद पारण करके व्रत को पूरा करें।Chhath Arag ka Time Today: छठ सूर्योदय का समय
उषाकाल अर्घ्य का समय सुबह 06 बजकर 38 बजे दिया जाएगा। इसके साथ ही व्रती छठ का प्रसाद ग्रहण करेंगे और व्रत का पारण करेंगे।Chhath Vrat Paran Vidhi (छठ व्रत पारण विधि)
छठ व्रत का पारण सूर्य देवता को उषा अर्घ्य देने के बाद स्नान और पूजा करके किया जाता है। इस व्रत को खोलने के लिए सबसे पहले छठ के महाप्रसाद ठेकुआ और मिठाई को खाकर किया जाता है। छठ का प्रसाद खाने के बाद ही किसी अन्य चीज का सेवन करना चाहिए। उसके बाद आप कच्चे दूध का सेवन कर सकते हैं। छठ व्रत का पारण करने से पहले अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए और सबको प्रसाद बांटना चाहिए। छठ का व्रत खोलते के साथ ही अधिक मसालेदार भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे सेहत पर असर पड़ सकता है। व्रत खोलने के लिए हल्का ही भोजन करें। छठ व्रत के फल की प्राप्ति तभी होती है। जब इस व्रत का पारण पूरे विधान के साथ किया जाए।Chhath Vrat Paran Time 2024 (छठ व्रत पारण टाइम 2024)
इस साल छठ व्रत का पारण 8 नवंबर 2024 को किया जाएगा। इस दिन सुबह के 06 बजकर 38 मिनट पर सूर्योदय होगा। सूर्योदय के साथ व्रती सूर्य देवता को अर्घ्य देंगी। सूर्य देवता को अर्घ्य देने के बाद ही इस व्रत का पारण किया जाएगा।छठ पूजा 2024 उषा अर्घ्य समय (Chhath Puja 2024 Usha Arghya Time)
छठ पूजा उषा अर्घ्य समय सुबह 06 बजकर 38 मिनट का है। सूर्योदय से पहले ही व्रतधारी घाट पर पहुंच जाएं। जिससे समय से छठ की पूजा की जा सके।छठ पूजा 2024 सूर्योदय समय (Chhath Puja 2024 Sunrise Time)
छठ पूजा के चौथे दिन यानी 8 नवंबर 2024 को सूर्योदय का समय सुबह 6 बूजकर 38 मिनट का है।पटना में सूर्योदय का समय (Sunrise Time Today In Patna)
पटना में सूर्योदय सुबह 06:02 AM पर होगा।आज सूर्यास्त कितने बजे होगा 2024 (Today Sunset Time In Bihar 2024)
शहरसूर्यास्त का समयदिल्ली अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 32 मिनट
मुंबई अर्घ्य का समय शाम को 6 बजकर 2 मिनट पर
पटना अर्घ्य का समय सूर्यास्त 5 बजकर 4 मिनट पर
बनारस अर्घ्य का समय शाम को 5 बजकर 13 मिनट
लखनऊ अर्घ्य का समय शाम को 5 बजकर 19 मिनट पर
गोरखपुर अर्घ्य का समय शाम को 5 बजकर 10 मिनट
प्रयागराज अर्घ्य का समय शाम को 5 बजकर 13 मिनट
धनबाद अर्घ्य का समय शाम को 5 बजकर 02 मिनट
भागलपुर अर्घ्य का समय शाम को 4 बजकर 58 मिनट
सीवान अर्घ्य का समय शाम को 5 बजकर 07 मिनट
पूर्णिया अर्घ्य का समय शाम 4 बजकर 55 मिनट
किशनगंज अर्घ्य का समय शाम 4 बजकर 52 मिनट
जमशेदपुर अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 4 मिनट
रांची अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 7 मिनट
कोलकाता अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 1 मिनट
गाजियाबाद अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 2 मिनट
मेरठ अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 3 मिनट
बिहार शरीफ अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 4 मिनट
Today Sunset Time In Delhi: दिल्ली में सूर्यास्त कितने बजे होगा
दिल्ली में सूर्यास्त शाम 5 बजकर 32 मिनट पर होगा।Chhath Puja 2024 Sunset Today Timing Today Patna, Chhath puja arag dene ka time: छठ पूजा अर्घ्य देने का समय
द्रिक पंचांग के अनुसार 7 नवंबर को सूर्योदय प्रातः 06:42 बजे तथा सूर्यास्त सायं 05:48 बजे होगा।Chhath Puja 2024 Sunset Today Timing Today Patna- छठ पूजा कहां मनाया जाता है
छठ पूजा एक हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड में मनाया जाता है. हालांकि, आजकल ये त्योहार देशभर में मनाया जाने लगाछठ पूजा 2024 सूर्य अर्घ्य समय (Chhath Puja Surya Arghya Time 2024)
संध्या अर्घ्य: 7 नवंबर 2024 की शाम 05 बजकर 32 मिनट सेउषा अर्घ्य: 8 नवंबर 2024 की सुबह 06 बजकर 38 मिनट तक।
Chhath Puja 2024 Sunset Today Timing Today: छठ पूजा टाइमिंग
हिंदी पंचांग के अनुसार आज शाम को छठ पूजा में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और कल सुबह यानी कि 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। आज सूर्यास्त 5 बजकर 28 मिनट पर होगा। सूर्योदय 8 नवंबर को सुबह 6 बजकर 32 मिनट पर होगा। देखें आपके शहर में अर्घ्य देने का समय क्या है।छठ पूजा की कहानी
छठ व्रत की कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक राजा राज्य करते थे, उनका नाम था प्रियंवद। राजा प्रियंवद की कोई संतान नहीं थी। राजा इस बात को लेकर बहुत परेशान रहते थे। उन्होंने महर्षि कश्यप को अपना दुख बताया। इसके बाद महर्षि कश्यप ने संतान प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया। यज्ञ में आहुति के लिए बनाई गई खीर राजा प्रियंवद की पत्नी मालिनी को खाने के लिए दी गई। इसके सेवन से रानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया। लेकिन उनका पुत्र मृत पैदा हुआ था।राजा प्रियंवद मृत पुत्र के शव को लेकर श्मशान गए और अपना प्राण भी त्यागने लगे। तभी ब्रह्माजी की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और राजा प्रियंवद को अपना परिचय देते हुए कहा, मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुईं हूं। इसलिए मेरा नाम षष्ठी भी है। तुम मेरी विधि-विधान से पूजा करो और लोगों के बीच प्रचार-प्रसार करो। इसके बाद राजा प्रियंवद ने पुत्र की कामना करते हुए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर विधि-विधान से माता का व्रत किया। इसके बाद राजा संतानवान बने। इसके बाद से यह व्रत रखा जाने लगा।
छठ की एक अन्य कहानी के अनुसार जब पांडव अपना राजपाट खो बैठे थे। तब द्रौपदी ने भगवान सूर्य देव की उपासना की थी और उनसे राजपाट वापस पाने की कामना की थी। द्रौपदी की भक्ति से खुश होकर सूर्य भगवान ने आशीर्वाद दिया और उसी के फल से पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला।
Chhath Puja In Periods(पीरियड में छठ पूजा कैसे करें)
छठ का व्रत यदि एक बार शुरू कर दिया जाता है तो उस व्रत को बीच में नहीं छोड़ा जाता है। छठ पर्व में शारिरिक और मानसिक दोनों ही शु्द्धता बहुत ही मान्य रखती है। ऐसे में यदि किसी भी महिला को छठ व्रत के बीच में पीरियड आ जाए तो वो व्रत तो कर सकती हैं, लेकिन पूजा के सामान को छूने की मनाही होती है। पीरियड के दौरान आप निर्जला व्रत जरूर रख सकती है पर पूजा का प्रसाद बनवाने से लेकर अन्य सारे काम आप किसी और से करवा सकती हैं। वहीं अगर आपके पीरियड्स का पहला या दूसरा दिन ही हो तो आप सूर्य देवता को अर्घ्य भी ना दें। वो भी अपने परिवार या पड़ोस में किसी व्रती महिला से दिलवा सकती है। अगर आपके पीरियड का पांचवां दिन हो तो आप सर धोकर अच्छे नहाकर सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित कर सकती हैं।Chhath puja ka mahatav: छठ पूजा का महत्व
छठ व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना से रखती हैं। वहीं ये व्रत संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए भी खास माना जाता है। इस पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की अराधना की जाती है। यह एक मात्र ऐसा व्रत है जिसमें चढ़ते सूरज की जगह डूबते सूरज की पूजा होती है।What Happens In Chhath Puja: छठ पूजा में क्या होता है
छठ का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है और इसकी शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। इस दौरान ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत पारण होता है। इस व्रत का पालन पूरा परिवार एक साथ मिलकर करता है।Pawan Singh Chhath Geet: पवन सिंह छठ गीत
छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?
कालांतर से पुत्र प्राप्ति हेतु छठ पूजा की जाती है।Chhath Puja Saman List: छठ पूजा की सामग्री
बांस की टोकरी यानी सूप, ठेकुआ, केला, नारियल, गन्ना, अनार, सेब, नींबू, और अन्य मौसमी फल, गंगाजल, नारियल, दीपक, धूप और अगरबत्ती, सिंदूर और हल्दी और कपूर।Surya Arghya Mantra: सूर्य अर्घ्य मंत्र
- ‘एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर. घृणि सूर्याय नमः ।।’
- ‘ॐ सूर्याय नम:।।’
- ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:।।’
- ‘ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।।’
- ‘ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:।।’
कांच ही बांस के बहंगिया (kanch hi bans ke bahangiya lyrics)
कांच ही बांस के बहंगिया, कांच ही बांस के बहंगिया,बहंगी लचकत जाए, बहंगी लचकत जाए ।।
होए ना बलम जी कहरिया , बहंगी घाटे पहुंचाए,
बहंगी घाटे पहुंचाए ।
कांच ही बांस के बहंगिया , बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए ।।
बाट जे पूछे ना बटोहिया , बहंगी केकरा के जाय,
बहंगी केकरा के जाय ।
तू तो आंध्र होवे रे बटोहिया , बहंगी छठ मैया के जाए,
बहंगी छठ मैया के जाए ।
वह रे जे बाड़ी छठी मैया, बहंगी उनका के जाए,
बहंगी उनका के जाए।
कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए ।।
होए ना देवर जी कहरिया, बहंगी घाटे पहुंचाई,
बहंगी घाटे पहुंचाई ।।
वह रे जो बाड़ी छठी मैया बहंगी उनका के जाए,
बहंगी उनका के जाए ।।
बाटे जे पूछे ना बटोहिया बहंगी केकरा के जाय,
बहंगी केकरा के जाय ।।
तू तो आन्हर होय रे बटोहिया बहंगी छठ मैया के जाए,
बहंगी छठ मैया के जाए ।।
वह रे जय भइली छठी मैया , बहंगी उनका के जाए,
बहंगी उनका के जाए ।।
Chhath Puja Sandhya Arghya Time: छठ पूजा संध्या अर्घ्य समय
सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 31 मिनटछठ पूजा कैसे होती है
कार्तिक माह में मनाए जाने वाले इस त्योहार के पहले दिन नहाय खाय की परंपरा को निभाया जाता है। इसके अगले दिन खरना पूजा होती है। इसके बाद निर्जला व्रत की शुरुआत होती है। इसके अगले दिन व्रत किया जाता है और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है।छठ पूजा की कहानी हिंदी में
एक और कथा के अनुसार, प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य के देव सूर्य मंदिर में छठी मैया अपनी पुत्री की आराधना की थी। तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था।Chhath Puja Ke Niyam (छठ पूजा व्रत के नियम)
छठ पूजा का व्रत लोक आस्था का सबसे बड़ा महापर्व माना जाता है। ये व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक होता है। छठ व्रत में मिट्टी के चूल्हे का ही प्रयोग करें। इसके साथ ही इस दिन मिट्टी के बर्तन ही इस्तेमाल करने चाहिए। मिट्टी के बर्तनों के बिना छठ पूजा का व्रत अधूरा माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन शुद्ध देशी घी में ही ठेकुआ प्रसाद बनाकर भोग लगाना चाहिए और भोग में गन्ने का प्रयोग जरूर करना चाहिए।छठ पूजा का तीसरा दिन
छठ पर्व में छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा-आराधना का विशेष महत्व है। छठ के तीसरे दिन किसी तालाब या नदी में खड़े होकर शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता है कि इस समय सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं। प्रत्यूषा को शाम के समय की देवी माना जाता है।छठ पूजा क्यों मनाते हैं
छठ पूजा का पर्व सूर्य देव को धन्यवाद देने और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। लोग इस दौरान सूर्य देव की बहन छठी मईया की भी पूजा करते हैं।छठ पूजा में कोसी कैसे भरा जाता है
कोसी बनाने के लिए सबसे पहले छठ पूजा की टोकरी को एक स्थान पर रखकर इसे चारों ओर चार या सात गन्ने की मदद से एक छत्र बनाया जाता है। गन्ने को खड़ा करने से पहले उसके ऊपरी हिस्से पर एक लाल कपड़े में ठेकुआ और फल आदि रखे जाते हैं। अब इसके अंदर मिट्टी के हाथी को रखा जाता है और उसके ऊपर एक घड़ा रखा जाता है।छठ पूजा किसके लिए होता है: chhath puja kiske liye hote hai
छठ पूजा का पर्व छठी मैया और सूर्य देव को समर्पित है। इस महापर्व को 04 दिन तक मनाया जाता है। कार्तिक माह में मनाए जाने वाले इस त्योहार के पहले दिन नहाय खाय की परंपरा को निभाया जाता है।छठ पूजा विधि इन हिंदी
छठ पर्व के पहले दिन नहाय-खाय किया जाता है। इसके दूसरे दिन खरना पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन व्रती महिलाएं मिट्टी का नया चूल्हा बनाती हैं। गुड़ और चावल की खीर का प्रसाद बनाती हैं। इसके बाद खरना पूजा होती है और छठी मैया को प्रसाद का भोग अर्पित किया जाता है। इस प्रसाद को व्रती महिलाएं ग्रहण करती हैं और परिवार के सदस्यों में प्रसाद का वितरण किया जाता है। इसके बाद से निर्जला व्रत शुरू होता है। इसके अगले दिन व्रत किया जाता है और डूबते हुए सूर्य को विधिपूर्वक अर्घ्य दिया जाता है और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस दौरान छठी मैया और सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान सूर्य देव के मन्त्रों का जप जरूर करना चाहिए। फिर लोगों में प्रसाद का वितरण किया जाता है और महिलाएं व्रत का पारण करती हैं। इसके पश्चात श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में दान करना शुभ माना जाता है।छठ पूजा कैसे मनाई जाती है: Chhath puja kaise manai jati hai
इस दिन व्रती महिलाएं मिट्टी का नया चूल्हा बनाती हैं। गुड़ और चावल की खीर का प्रसाद बनाती हैं। इसके बाद खरना पूजा होती है और छठी मैया को प्रसाद का भोग अर्पित किया जाता है। इस प्रसाद को व्रती महिलाएं ग्रहण करती हैं और परिवार के सदस्यों में प्रसाद का वितरण किया जाता है।छठ पूजा प्रसाद लिस्ट (Chhath Puja Prasad List)
ठेकुआ-केला
-डाभ नींबू
-नारियल
-गन्ना
-सिंघाड़ा, सुपारी और सुथनी
-आंवला
-मूली और पत्ते
-कच्चा हल्दी
-त्रिफला
पीरियड में छठ पूजा कैसे करें
मासिक धर्म के दौरान अगर आपको कोई परेशानी न हो, तो आप जल में हाथ जोड़कर खड़े रह सकते हैं लेकिन इस दौरान आपको सूर्य को अर्ध्य नहीं देना चाहिए बल्कि सूर्यदेव के मंत्र का जाप करते हुए छठी मैया की स्तुति करते रहें। पूजा की टोकरी या थाली के साथ कोई और जल में खड़ा रह सकता है।Chhath puja vidhi in hindi: छठ पूजा विधि इन हिंदी
नदी से मिटटी निकाल कर छठ माता का जो चौरा बना रहता है उस पर पूजा का सारा सामान रखकर नारियल चढाते है और दीप जलाते है। सूर्यास्त से कुछ समय पहले सूर्य देव की पूजा का सारा सामान लेकर घुटने भर पानी में जाकर खड़े हो जाते है और डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा करते है।छठ व्रत विधि (Chhath Vrat Vidhi In Hindi)
-छठ पूजा के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि से मुक्त होकर 36 घंटों के निर्जला छठ व्रत का संकल्प लें।इस दिन अन्न और जल किसी भी चीज का सेवन नहीं किया जाता है।
-छठ व्रत की शाम को व्रती नदी के तट पर जाते हैं और वहां स्नान आदि करके डूबते सूरज को अर्घ्य देते हैं। छठ पूजा के इस पहले अर्घ्य को संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है।
-ध्यान रखें कि सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए बांस की टोकरी का ही प्रयोग करें और अर्घ्य जल से दिया जाता है।
-इसके अलावा छठ पूजा में आप जिन टोकरियों का इस्तेमाल कर रहे हैं उसमें फल, फूल, सिंदूर आदि सभी सामग्रियां ठीक से रखें।
-सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद टोकरी में ही ठेकुआ, मालपुआ और अन्य व्यंजन को भोग स्वरुप चढ़ाया जाता है।
-पूरे दिन निर्जला व्रत का पालन करने के बाद आप अगले दिन सुबह उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।
Chhath Puja Ke Kahani: छठ पूजा की कहानी हिंदी में
छठ पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा अनुसार, प्राचीन समय में सूर्यवंशी राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी मालिनी ने संतान प्राप्ति के लिए कई धार्मिक अनुष्ठान कराए लेकिन इसके बाद भी उन्हें कोई संतान नहीं प्राप्त हुई। इस कारण राजा-रानी दोनों बहुत दुखी रहने लगे थे। फिर राजा ने संतान प्राप्ति के लिए महर्षि कश्यप के निर्देशानुसार एक यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ के परिणामस्वरूप रानी मालिनी गर्भवती हुईं, लेकिन उन्हें मृत बच्चा पैदा हुआ। इससे राजा-रानी और भी ज्यादा दुखी हुए। राजा ने आत्महत्या करने का निर्णय लिया। लेकिन तभी भगवान की कृपा से देवी षष्ठी प्रकट हुईं, जिन्हें सभी छठी मैया के नाम से भी जानते हैं। देवी ने राजा से कहा कि यदि वह उनकी सच्चे मन से पूजा करेंगे और श्रद्धा के साथ व्रत करेंगे, तो उन्हें संतान अवश्य प्राप्त होगी। देवी की आज्ञा का पालन करते हुए राजा प्रियव्रत और रानी मालिनी ने पूरी श्रद्धा से छठ व्रत रखा। इसके परिणामस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। जिसके बाद दोनों पति-पत्नी खुशी-खुशी रहने लगे।छठ व्रत में क्या-क्या खा सकते हैं? (Chhath Vrat Me Kya Kya Kha Sakte Hai)
छठ व्रत में कुछ भी खाया-पिया नहीं जाता है। दरअसल ये व्रत निर्जला रखना होता है। ऐसे में छठ व्रत उन्हीं को रखना चाहिए जो छठ व्रत रखने में सक्षम हों। जिनका स्वास्थ्य ठीक हो।घर पर छठ पूजा कैसे करें? (Ghar par chhath puja kaise kare)
घर पर छठ पूजा आप अपने आंगन या फिर छत पर कर सकते हैं। सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए आप छत पर ही छोटे बच्चों के स्वीमिंग पूल का इस्तेमाल कर सकते हैं।Chhath Puja Samagri: छठ पूजा की सामग्री
दूध, धूप, गुड़, जल, नए वस्त्र, बांस की 2 टोकरी, पानी वाला नारियल, पत्ते लगे गन्ने या बांस, अदरक का हरा पौधा, थाली, लोटा, चावल, सिंदूर, दीपक,धूपबत्ती या अगरबत्ती, नाशपाती या शकरकंदी, हल्दी, कुमकुम, चंदन, पान, सुपारी आदि।Aaj Ka Panchang 23 November 2024: मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का पंचांग, जानिए शुभ मुहूर्त और राहुकाल
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