Chhath Puja 2024 Arghya Time Today Live: छठ पूजा का पहला अर्घ्य कब दिया जाएगा, जानिए सही समय और विधि
Chhath Puja Arghya Time 2024 Today, छठ पूजा 2024 अर्घ्य देने का समय, Chhath Puja Sandhya Arghya, Usha Arghya Date Time, Surya Mantra, Importance, Chhath Morning Arghya Time Today In Bihar, UP, MP, Mumbai, Delhi, Haryana Updates: छठ व्रत में मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया की उपासना की जाती है। इस दौरान व्रती महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। जानिए इस साल छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य देने का समय क्या रहेगा।
Chhath Puja 2024 Arghya Time Today Live: छठ पूजा का पहला अर्घ्य कब दिया जाएगा, जानिए सही समय और विधि
Chhath Puja Arghya Time 2024 Today, छठ पूजा 2024 अर्घ्य देने का समय, Chhath Puja Sandhya, Usha Arghya ka Samay, Surya Mantra, Importance, Chhath Morning Arghya Time Today In Bihar, UP, MP, Mumbai, Delhi, Haryana Updates: चार दिवसीय छठ पर्व का सबसे प्रमुख दिन होता है कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि। इस दिन व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। इस बार छठ पर्व में संध्या अर्घ्य 7 नवंबर को दिया जाएगा। व्रतधारी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पास की ही किसी पवित्र नदी, तालाब, कुण्ड में जाते हैं और वहां पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। फिर अगली सुबह व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हुए उसे नमस्कार करते हैं और इसी के साथ छठ पर्व का समापन हो जाता है।
Chhath Puja Ke Gane
छठ पूजा सूर्य अर्घ्य समय 2024 (Chhath Puja Surya Arghya Time 2024)
7 नवंबर 2024 (संध्या अर्घ्य समय)- सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 31 मिनट
8 नवंबर 2024 (उषा अर्घ्य समय)- सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 38 मिनट
छठ पूजा सूर्य अर्घ्य विधि (Chhath Puja Surya Arghya Vidhi)
छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्य देव को अर्पित करने के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है। फिर इस प्रसाद और फलों को एक बांस की टोकरी में सजाया जाता है। इसके बाद टोकरी की पूजा की जाती है। फिर सूर्य डूबने से पहले सभी व्रती पास के ही किसी तालाब, नदी या घाट पर जाते हैं। वहां स्नान करके पानी में खड़े रहकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। बता दें सूर्य देव को अर्घ्य बांस या पीतल की टोकरी का इस्तेमाल करते हुए दिया जाता है। अर्घ्य देने के लिए एक लोटे में पवित्र जल लें। फिर इसमें कच्चे दूध की कुछ बूंदे, साथ में लाल चंदन, फूल, अक्षत और कुश भी डाल दें। फिर सूर्य देव की तरफ देखते हुए सूर्य मंत्र का जाप करें और धीरे-धीरे अर्घ्य दें। ध्यान रहे कि अर्घ्य के जल ते छीटें आपके पैरों पर न पढ़ें। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद सजाए गए सूप से छठी मैया की विधि विधान पूजा की जाती है। फिर छठी मैया के गीत और व्रत कथा सुनी जाती है। इसके बाद छठ पूजा के चौथे दिन सुबह के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।इसके बाद छठ का प्रसाद सभी में बांटा जाता है और इसी के साथ छठ व्रत का समापन हो जाता है।
भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र (Surga Arghya Mantra)
छठ पूजा में व्रती को सूर्य को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें...ओम ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
घर पर छठ पूजा कैसे करें? (Ghar par chhath puja kaise kare)
घर पर छठ पूजा आप अपने आंगन या फिर छत पर कर सकते हैं। सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए आप छत पर ही छोटे बच्चों के स्वीमिंग पूल का इस्तेमाल कर सकते हैं।Chhath Puja Samagri: छठ पूजा की सामग्री
दूध, धूप, गुड़, जल, नए वस्त्र, बांस की 2 टोकरी, पानी वाला नारियल, पत्ते लगे गन्ने या बांस, अदरक का हरा पौधा, थाली, लोटा, चावल, सिंदूर, दीपक,धूपबत्ती या अगरबत्ती, नाशपाती या शकरकंदी, हल्दी, कुमकुम, चंदन, पान, सुपारी आदि।Who Is Chhathi Maiya: छठी मैया कौन हैं
छठी मैया को संतान प्राप्ति की देवी कहा जाता है। पैराणिक कथा में छठी मैया को ब्रम्हदेव की मानस पुत्री और भगवान सूर्य की बहन के रूप में दर्शाया गया है।छठ पर्व उषा अर्घ्य
छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने का होता है। इसे ‘उषा अर्घ्य’ कहा जाता है। इस दिन सुबह-सुबह व्रतधारी नदी या जलाशय पर जाकर सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य अर्पित करते हैं। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतधारी अपना व्रत तोड़ते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं।छठ पूजा का महत्व
छठ व्रत बेहद प्रभावशाली माना जाता है। कहते हैं इस व्रत को करने से छठी मैया और सूर्य देव की कृपा से इंसान के घर में धन का भंडार हमेशा बना रहता है। छठ माई संतान सुख भी प्रदान करने वाली मानी गई है। जिस किसी भी दंपत्ति को सूर्य जितनी श्रेष्ठ संतान की चाह होती है वह इस दिन का उपवास अवश्य रखते हैं।Chhath Puja 2024: भगवान सूर्य के परम भक्त
महाभारत के अनुसार, कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। वह प्रतिदिन घंटों तक जल में खड़े होकर सूर्य की पूजा करते थे। सूर्य की कृपा से कर्ण महान योद्धा बने और उन्हें अत्यधिक शक्ति और पराक्रम प्राप्त हुआ। कहा जाता है कि कर्ण ने ही सबसे पहले सूर्य देव की आराधना के रूप में छठ पूजा की शुरुआत की थी।Chhath Puja Katha: छठ पूजा कथा
छठ पूजा की एक और प्रसिद्ध कथा महाभारत काल से जुड़ी है। जब पांडव अपना राजपाट हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। वह सूर्य देव की उपासना करके अपने पति और परिवार की समृद्धि और पुनः राजपाट प्राप्त करने के लिए व्रत करने लगीं। उनकी भक्ति और तपस्या के परिणामस्वरूप पांडवों को खोया हुआ राजपाट और सुख-समृद्धि प्राप्त हुई।Chhath Puja Fruits List: छठ पूजा में फल लिस्ट
केला, नारियल, गन्ना, अनार, सेब, नींबू, और अन्य मौसमी फल।Tulsi Vivah 2024 Date: 12 या 13 नवंबर तुलसी विवाह की सही तारीख क्या है?
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