Chhath Vrat Katha In Hindi: सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पढ़ें छठी मैया की कथा, हर कामना हो जाएंगी पूर्ण
Chhath Puja Katha In Hindi: छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इसकी तैयारी पहले से ही शुरू हो जाती है। यहां जानिए छठ पर्व क्यों मनाया जाता है, क्या है इसकी कहानी।
Chhath Puja Vrat Katha In Hindi
Chhath Puja Katha In Hindi (छठ पर्व की कहानी): छठ का पावन त्योहार हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इससे जुड़े रीति-रवाज और परंपराएं चतुर्थी तिथि से ही शुरू हो जाती हैं। यह चार दिवसीय पर्व मुख्य रूप से बिहार के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इस दौरान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। कहते हैं जो भक्त सच्चे मन से छठ पूजा करता है उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं। यहां देखिए छठ पूजा की व्रत कथा।
Chhath Puja Katha In Hindi (छठ पूजा की कहानी)
पौराणिक मान्यता के अनुसार राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी मालिनी दोनों संतान न होने की वजह से दुखी रहते थे। एक समय उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए महर्षि कश्यप से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। यज्ञ की समाप्ति पर महर्षि ने मालिनी को खीर खाने के लिए दी। खीर का सेवन करने से मालिनी गर्भवती हो गई और ठीक 9 महीने बाद उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन दुर्भाग्य से उसका पुत्र मृत जन्मा था। अपनी मृत संतान को देखकर राजा और भी ज्यादा दुखी हो गए और उन्होने आत्महत्या करने का मन बना लिया, परंतु जैसे ही राजा ने अपने प्राण त्यागने की कोशिश की उनके सामने भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हो गईं।
माता ने राजा को अपना परिचय बताते हुए कहा कि मैं षष्ठी देवी हूं और मैं लोगों को संतान होने का सौभाग्य प्रदान करती हूं। इसके अलावा जो सच्चे मन से मेरी पूजा करते हैं मैं उनकी समस्त मनोकामना भी पूर्ण करती हूं। यदि राजन तुम मेरी विधि विधान से पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न अवश्य प्रदान करूंगी। देवी के कहे अनुसार राजा प्रियव्रत ने कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को देवी षष्ठी की पूरे विधि विधान से पूजा की। इस पूजा के फलस्वरूप रानी मालिनी फिर गर्भवती हुई और उन्होंने एक संदुर पुत्र को जन्म दिया। कहते हैं तभी से छठ का पावन पर्व मनाये जाने की परंपरा शुरू हो गई।
Chhath Puja Kyu Manaya Jata Hai (छठ पूजा क्यों की जाती है)
छठ पर्व से जुड़ी एक और पौराणिक कथा है जिसके अनुसार, महाभारत काल के समय जब पांडव अपना सबकुछ जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। जिसके प्रभाव से पांडवों को उनका राजपाट वापस मिल गया था। कहते हैं छठ का व्रत करने से सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। वहीं एक अन्य पौराणिक कथा के मुताबिक, महाभारत काल में सूर्य पुत्र कर्ण ने ही सबसे पहले सूर्य देव की पूजा शुरू की थी। वे घंटों पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे। सूर्य देव की कृपा से कर्ण एक महान योद्धा बने। आज भी छठ में सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा चली आ रही है।
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