Chhath Vrat Paran Time And Vidhi 2024: छठ पूजा का पारण कब किया जाएगा, जानिए शुभ मुहूर्त और विधि
Chhath Vrat Paran Time And Vidhi 2024 : छठ पूजा का त्योहार पूरे चार दिनों तक चलता है। इस व्रत का पारण पूरे 36 घंटे के बाद किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल छठ व्रत का पारण कब किया जाएगा और इसकी विधि के बारे में।
Chhath Vrat Paran Time And Vidhi 2024
Chhath Vrat Paran Time And Vidhi 2024 : छठ व्रत की शुरुआत कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से हो जाती है। इस साल छठ व्रत का संध्या अर्घ्य 7 नवंबर 2024 यानि आज दिया गया है। वहीं 8 नवंबर 2024 को उषा अर्घ्य के साथ इस व्रत का समापन होगा। छठ का व्रत पूरे 36 घंटे तक निर्जला रहकर किया जाता है। इस व्रत में छठी मैया और सूर्य देवता की पूजा की जाती है। ये व्रत परिवार की सुख, शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है। वहीं इस व्रत के फल से संतान सुख की भी प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं छठ व्रत का पारण कब किया जाएगा और इसकी विधि के बारे में।
Chhath Puja 2024 Sunrise Time, Usha Arghya Samay
Chhath Vrat Paran Time 2024 (छठ व्रत पारण टाइम 2024)
इस साल छठ व्रत का पारण 8 नवंबर 2024 को किया जाएगा। इस दिन सुबह के 06 बजकर 38 मिनट पर सूर्योदय होगा। सूर्योदय के साथ व्रती सूर्य देवता को अर्घ्य देंगी। सूर्य देवता को अर्घ्य देने के बाद ही इस व्रत का पारण किया जाएगा।
Chhath Vrat Paran Vidhi (छठ व्रत पारण विधि)
छठ व्रत का पारण सूर्य देवता को उषा अर्घ्य देने के बाद स्नान और पूजा करके किया जाता है। इस व्रत को खोलने के लिए सबसे पहले छठ के महाप्रसाद ठेकुआ और मिठाई को खाकर किया जाता है। छठ का प्रसाद खाने के बाद ही किसी अन्य चीज का सेवन करना चाहिए। उसके बाद आप कच्चे दूध का सेवन कर सकते हैं। छठ व्रत का पारण करने से पहले अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए और सबको प्रसाद बांटना चाहिए। छठ का व्रत खोलते के साथ ही अधिक मसालेदार भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे सेहत पर असर पड़ सकता है। व्रत खोलने के लिए हल्का ही भोजन करें। छठ व्रत के फल की प्राप्ति तभी होती है। जब इस व्रत का पारण पूरे विधान के साथ किया जाए।
Chhath Vrat Mahatav (छठ पर्व का महत्व)
छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल से मानी जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार छठ का व्रत सबसे पहले द्रौपदी ने अपने परिवार और पांडवों के राज्य वापस मिलने की कामना से किया था। ऐसा माना जाता है कि छठी मैया के व्रत के प्रताप से पांडवों को कौरवों पर विजय मिली थी और राजपाठ फिर से प्राप्त हुआ था। ऐसा भी माना जाता है कि कुंती ने पुत्र प्राप्ति के लिए सूर्य देवता का आवह्न करके इस व्रत को किया था।
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