Chhathi Mata Ka Photo: छठी मैया कौन हैं? यहां देखें छठ माता के फोटो
Chhathi Maiya Photo: छठ पर्व के दौरान सूर्य देव और छठी मैया की अराधना की जाती है। कहते हैं छठी मैया की अराधना से संतान को लंबी आयु और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं छठी मैया कौन हैं और इनका स्वरूप कैसा है।
Chhathi Maiya Photo
Chhathi Maiya Photo: धार्मिक मान्यताओं अनुसार षष्ठी देवी को ही लोकभाषा में छठ माता के नाम से जाना जाता है। ये ऋषि कश्यप और अदिति की मानस पुत्री मानी जाती हैं। छठी मैया को देवसेना के नाम से भी जाना जाता है जो भगवान सूर्य की बहन कहलाती हैं। ऐसी मान्यता है कि नवजात शिशुओं के जन्म से लेकर अगले 6 दिनों तक छठ माता उनके पास रहकर उनकी रक्षा करती हैं। कैसा है छठी मैया का स्वरूप जानने के लिए देखिए इनकी फोटोज।
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कौन है छठी मैया (Who Is Chhathi Maiya)
छठी मैया को संतान प्राप्ति की देवी कहा जाता है। पैराणिक कथा में छठी मैया को ब्रम्हदेव की मानस पुत्री और भगवान सूर्य की बहन के रूप में दर्शाया गया है।
Chhathi Maiya Photo
पुराणों के अनुसार जब ब्रम्हा देव संसार की रचना कर रहे थे तब उन्होंने अपने आप को दो भाग में बांट दिया था। जिसमें से एक भाग पुरुष तो दूसरा भाग प्रकृति के रूप में था। जिसके बाद प्रकृति ने भी अपने आप को 6 भागों में बांटा, जिसमें से एक मातृ देवी हैं और छठी मैया मातृ देवी की छठवी अंस मानी जाती हैं।
Chhath Mata Photo Hd
छठी मैया की कहानी
पुराणों मान्यताओं के अनुसार राजा प्रियंवद की कोई संतान नहीं थी। तब राजा प्रियंवद की संतान प्राप्ति की कामना को पूरा करने के लिए महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराया और राजा प्रियंवद की पत्नी मालिनी को यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई खीर खाने को दी। इस खीर को खाने से रानी मालिनी को पुत्र रत्न की प्राप्ति तो हुई लेकिन वह बच्चा मृत पैदा हुआ। तब प्रियंवद अपने मरे हुए पुत्र के शरीर को लेकर श्मशान गये और पुत्र के साथ-साथ अपने भी प्राण त्यागने लगे।
तभी वहां भगवान ब्रह्मा की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुईं और उन्होंने राजा से कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से प्रकट होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। हे राजन तुम पूरी श्रद्धा से मेरा पूजन करो और दूसरों को भी इस पूजन के लिए प्रेरित करो। माता के कहने पर राजा ने सच्चे मन से देवी षष्ठी का व्रत किया। इस व्रत को करने से उन्हें एक स्वस्थ पुत्र की प्राप्ति हुई। ऐसा कहा जाता है कि ये पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी। कहते हैं तभी से लोग संतान प्राप्ति और संतान की रक्षा के लिए छठ पूजा पर्व मनाने लगे।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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