बच्चे का हुआ है अगर गंडमूल में जन्म तो मां करना न भूलें ये विशेष उपाय
Child Care Tips: 27 नक्षत्रों में से एक होते हैं गंडमूल नक्षत्र। गंडमूल नक्षत्र में बाल का जन्म यदि हो तो माना जाता है इसे दोष। गंडमूल दोष का दुष्प्रभाव पड़ता है बालक के पूरे परिवार पर। मां यदि विशेष उपाय करे तो इस दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
गंडमूल के उपाय
मुख्य बातें
- गंडमूल नक्षत्र में जन्म को गंडमूल दोष कहा जाता है
- गंडमूल दोष का असर पड़ता है बालक के परिवार पर
- जन्म से 27 दिन का होता है गंडमूल नक्षत्र का उपाय
Child Care Tips:सनातन वैदिक ज्योतिष के अनुसार गंडमूल नक्षत्र में यदि बच्चे का जन्म हो तो गंडमूल दोष माना जाता है। इस दोष के कारण बालक के माता− पिता सहित अन्य परिजनों पर कष्टों का प्रभाव रहता है। इसलिए गंडमूल दोष की शांति के लिए विशेष उपाय बताए गए हैं। यदि इनमें से कुछ उपाय माता द्वारा हों तो लाभ प्रभावकारी होता है। आइये आपको बताते हैं माता के लिए विशेष उपाय।संबंधित खबरें
गंडमूल शांति के लिए उपायसंबंधित खबरें
- गंडमूल में जन्मे बच्चों के लिए 27 दिन में ही गंडमूल का उपाय होना चाहिए। अगर उपाय नहीं कर पाए तो इस नक्षत्र में जन्मे बच्चे जीवन भर महीने के एक शनिवार को थाेड़ा सा दूध मिट्टी के बर्तन में भैंरो बाबा को अर्पित करें।
- ज्येष्ठ नक्षत्र या जेष्ठ माह में बड़े बच्चे का जन्म हुआ हो तो परेशानी होगी।
- माता के द्वारा सोमवार को चांदी की चेन या चांदी का पेडेंट पहनें।
- शनि राहु से प्रभावित बच्चे या चंद्रमा राहु शनि से प्रभावित हो तो इन बच्चों की मां ज्यादा परेशान होती है।
- यदि बच्चे का जन्म गंडमूल नक्षत्र और कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, नवमी या चतुर्थी तिथि को हुआ है तो बच्चे मां का ख्याल नहीं रख पाएंगे।
- यदि इन तिथियों में से किसी पर बच्चे का जन्म हुआ है तो मां और संतान घर में कलश की स्थापना करें।
- मेहमान को बच्चों के हाथ से गोला, गुड़ और गुड़ से बनी चीज खिलाएं और बच्चों के हाथ से पानी भरा गिलास पिलाएं।
- बच्चे से वर्षा के प्रथम जल से भगवान विष्णु का अभिषेक कराएं।
- शनि या राहु से प्रभावित बच्चों को रात में दूध न दें। घर दुधारु पशु भी न पालें। बच्चे से बृहस्पतिवार को पीला पस्त्र गुरु को या कभी− कभी किसी विद्वान को दान कराएं। गाय को गुड़ जरूर खिलवाएं।
एकादशी पर करें ये परहेजसंबंधित खबरें
जिन बच्चों का जन्म गंडमूल नक्षत्र में होता है वो बच्चे अक्सर जिद्दी स्वभाव के भी होते हैं। इन बच्चों की माता को चाहिए कि एकादशी पर भूल से भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिय। यदि संभव हो तो एकादशी पर एक समय फलाहार ही करें। पूरे दिन व्रत रखें। संबंधित खबरें
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)संबंधित खबरें
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