Chitragupta Puja Vrat Katha: चित्रगुप्त पूजा की व्रत कथा, पौराणिक कहानी से जानें पाप दूर करने वाले व्रत का महत्व
Chitragupta Puja 2022 Vrat Katha in Hindi: चित्रगुप्त पूजा के पर्व को कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। महाराज चित्रगुप्त को यमराज के दरबार का सबसे अहम सदस्य माना गया है, जो मनुष्य के जीवन में किए गए अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं। यहां देखें चित्रगुप्त पूजा की व्रत कथा हिंदी में।
Chitragupta Puja 2022 Vrat Katha
Chitragupta Puja 2022 Vrat Katha in Hindi: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। इस दिन कलम, दवात सहित बहीखातों की विधिवत पूजा करने से सारे पाप धुल जाते हैं और जातक को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। पूजा के दौरान कई मंत्र, स्तोत्र, स्तुति, आरती के अलावा व्रत कथा सुनने या पढ़ने का भी विधान है। तो चलिए इसकी कथा के जरिए चित्रगुप्त पूजा के महत्व को जान लेते हैं।संबंधित खबरें
Chitragupta Puja Vrat Katha In Hindi
किसी नगर में एक सौदास नाम का राजा रहता था। वह कभी किसका भला नहीं करता था। बल्कि वह एक अन्यायी और अत्याचारी राजा था। एक दिन वह अपने राज्य में भटक रहा था तभी उसका सामना एक पूजा कर रहे ब्राह्मण से हुआ। ब्राह्मण को देख राजा की जिज्ञासा जगी और उनसे पूछने लगा कि वह किस भगवान की पूजा कर रहे हैं। ब्राह्मण ने जवाब देते हुए कहा कि आज कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष का दूसरा दिन है। इसलिए मैं मृत्यु और धर्म के देवता यमराज और चित्रगुप्त की पूजा कर रहा हूं। ब्राह्मण ने साथ में यह भी बताया कि इस पूजा से पाप कम होते हैं और नरक से मुक्ति मिलती है। ऐसा सुनकर सौदास ने भी अनुष्ठानों का पालन करते हुए पूजा करना शुरू कर दिया।संबंधित खबरें
राजा की मृत्यु के बाद जब उन्हें यमराज के पास ले जाया गया। तब भगवान चित्रगुप्त ने उनके कर्मों की जांच की। फिर उन्होंने यमराज को सूचित किया कि इस राजा ने भले ही कई पाप किए हों लेकिन उसने पूरी श्रद्धा के साथ यम का पूजन किया है। इसलिए राजा को नरक नहीं भेजा जा सकता। इस प्रकार राजा केवल एक दिन पूजा करके ही अपने सभी पापों से मुक्त हो गया और उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई। संबंधित खबरें
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चित्रगुप्त महाराज की पूजा के दिन सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ऊं चित्रगुप्ताय नमः लिखकर भगवान जी के पास रख दें। इसके अलावा आप ॐ नम: शिवाय और लक्ष्मी माता जी सदा सहाय भी लिख सकते हैं। फिर यहां स्वास्तिक बनाकर विद्या, बुद्धि और लेखन का भगवान से अशीर्वाद मांगें।संबंधित खबरें
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