Swapna Shastra: दिवास्वप्न भी होते हैं अपने, हर उम्र में दिखने वाले स्वप्न देते हैं अलग संदेश

कल्पना जगत या मन की अतृप्त इच्छाएं होते हैं दिवा स्वप्न। हर व्यक्ति एकांत में इन सपनों को देखता जरूर है। हर उम्र के पड़ाव पर अलग अलग होते हं दिवा स्वप्न। युवावस्था में जहां प्रेम और करियर की चिंता को लेकर होते हैं दिवा स्वप्न तो वृद्धावस्था में अनुभव से पगे होते हैं ये सपने। दिवा स्वप्नों में नहीं होता अच्छे बुरे का ज्ञान। दिवा स्वप्न की अलौकिक क्षमताएं करती हैं विचारों को पुष्ट।

दिवास्वप्न का अलग है विज्ञान

मुख्य बातें
  • प्रत्येक आयु में अलग− अलग रचना है मन दिवास्वप्न
  • प्रेम के वश में हैं बस दिवास्वप्न, वरना क्या कुछ नहीं देखता मन
  • वृद्धावस्था के दिवास्वप्न अनुभव की तराजू पर होते हैं।

Swapna Shastra: दिवा स्वप्न को हर व्यक्ति के जीवन की आधार शक्ति कहना गलत न होगा। जो खुली आंखाें से देखे जाते हैं वो ही कहलाते हैं दिवास्वप्न। हां बेशक बहुत बार इन सपनों को दोपहर के वक्त देखते− देखते हम गहरी नींद चले जाते हैं। उस वक्त भी मन दिवा स्वप्न ही देख रहा होता है। मानव मन जब एकांत में होता है तो दिवा स्वप्न तेजी से बदलते रहते हैं, जो कार्य वह प्रत्यक्ष नहीं कर सकता वह दिवा स्वप्न में कर लेता है। उसकी चेतना अचेतन की कल्पनाएं दिवा स्वप्न के रूप में प्रकट करती हैं। उसकी अतृप्ति को तृप्ति में बदलती हैं। इससे मानव मन को संतोष मिलता है।

हर आयु का अलग होता है दिवा स्वप्न

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