Kartik Purnima Katha In Hindi: कार्तिक पूर्णिमा की संपूर्ण कथा यहां पढ़ें

Kartik Purnima Vrat Katha: शास्त्रों की मानें तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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Dev Diwali 2022: देव दिवाली का पर्व 7 सितंबर को यानी आज मनाया जा रहा है।

Kartik Purnima Katha In Hindi: हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाई जाती है। लेकिन इस बार चंद्र ग्रहण लगने की वजह से देव दिवाली एक दिन पहले यानी 7 नवंबर को मनाई गई। वहीं कार्तिक पूर्णिमा व्रत 8 नवंबर को ही रखा जायेगा। इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व होता है। कार्तिक पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में नदी स्नान बेहद ही शुभ फलदायी बताया जाता है। पूर्णिमा तिथि 8 नवंबर को शाम 4 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। जानें कार्तिक पूर्णिमा की पावन व्रत कथा।

कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा (Kartik Purnima Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर नाम का एक दैत्य था, जिसके 3 पुत्र थे। तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली (त्रिपुरा)। जब भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय जी ने तारकासुर राक्षस का वध कर दिया तो उसके तीनों पुत्रों ने बदला लेने के लिए दिन-रात घोर तपस्या शुरू कर दी थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उन्होंने उन तीनों को वरदान मांगने के लिए कहा। तो उन्होंने अमर होने का वरदान मांगा। ब्रह्मा जी ये बात अच्छे से जानते थे कि यदि उन्हें यह वरदान दे दिया गया तो वे अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करेंगे और सभी को परेशान करेंगे। इसलिए उन्होंने ये वरदान देने से साफ मना कर दिया।
ब्रह्मा जी ने उनसे कोई अन्य वरदान मांगने को कहा, तो उन्होंने कहा कि उनके नाम का एक नगर बसाया जाए और जब भी कोई उनका वध करना चाहे तो सिर्फ एक तीर से तीनों का अंत एकसाथ कर सके। इस पर ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह दिया।
वरदान प्राप्त करने के बाद तारकासुर के तीनों पुत्रों ने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया और उसने देवताओं पर अत्याचार शुरू कर दिया। उनके अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव के पास गए और अपनी परेशानी बताई। तब महादेव ने विश्वकर्मा जी से एक रथ का निर्माण कराया और उस पर सवार होकर तीनों का वध करने के लिए निकल पड़े। देवताओं और राक्षसों के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था और युद्ध के दौरान जब तीनों राक्षस एक सीध में आए तभी भगवान शिव ने एक तीर से तीनों का वध कर दिया। धार्मिक मान्यताओं अनुसार तभी से भगवान शिव को त्रिपुरारी कहा जाने लगा। कहते हैं उन तीनों के अत्याचारों से मुक्त होने की खुशी में ही देवताओं ने देव दिवाली महापर्व मनाना शुरू कर दिया।
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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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