Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics: भगवान विष्णु की इस आरती के बिना अधूरी है देवउठनी एकादशी की पूजा
Dev Uthani Ekadashi Ki Aarti, Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics: देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन श्री हरि विष्णु भगवान की ओम जय जगदीश हरे आरती जरूर करनी चाहिए। यहां देखें देवउठनी एकादशी के लिरिक्स।

Dev Uthani Ekadashi Aarti
Dev Uthani Ekadashi Ki Aarti, Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics: देवउठनी एकादशी इस साल 12 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है। इस दिन भक्तजन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। मान्यताओं अनुसार देवउठनी एकादशी का व्रत रखने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। शास्त्रों अनुसार इस एकादशी पर भगवान विष्णु जागृत अवस्था में आ जाते हैं। जिससे सभी तरह के मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। चलिए आपको बताते हैं देवउठनी एकादशी की आरती के लिरिक्स।
Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi
विष्णु जी की आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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