Dev Uthani Ekadashi Geet Lyrics: उठो देव, जागो देव, हाथ-पांव फटकारो देव...देव उठनी एकादशी गीत लिरिक्स
Dev Uthani Ekadashi Geet Lyrics (उठो देव जागो देव गीत): इस साल देव उठनी एकादशी 12 नवंबर को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जाग जाते हैं। जानिए इस दौरान भगवान विष्णु को कौन सा गीत गाकर जगाया जाता है।
Dev Uthani Ekadashi Geet Lyrics, Utho Dev Baitho Dev Lyrics
Dev Uthani Ekadashi Geet Lyrics (उठो देव जागो देव गीत): देवउठनी एकादशी साल की सबसे बड़ी एकादशी मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से योग निद्रा में गए भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुन: जागृत अवस्था में आ जाते हैं। इसलिए इस एकादशी दो देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी के बाद से ही मांगलिक कार्यों की फिर से शुरुआत हो जाती है। चलिए आपको बताते हैं देव उठनी एकादशी पर भगवान को जगाने के लिए कौन सा गीत गाया जाता है।
देवउठनी एकादशी गीत (Dev Uthani Ekadashi Geet)
उठो देव बैठो देव
हाथ-पाँव फटकारो देव
उँगलियाँ चटकाओ देव
सिंघाड़े का भोग लगाओ देव
गन्ने का भोग लगाओ देव
सब चीजों का भोग लगाओ देव ॥
उठो देव बैठो देव
उठो देव, बैठो देव
देव उठेंगे कातक मोस
नयी टोकरी, नयी कपास
ज़ारे मूसे गोवल जा
गोवल जाके, दाब कटा
दाब कटाके, बोण बटा
बोण बटाके, खाट बुना
खाट बुनाके, दोवन दे
दोवन देके दरी बिछा
दरी बिछाके लोट लगा
लोट लगाके मोटों हो, झोटो हो
गोरी गाय, कपला गाय
जाको दूध, महापन होए,
सहापन होएI
जितनी अम्बर, तारिइयो
इतनी या घर गावनियो
जितने जंगल सीख सलाई
इतनी या घर बहुअन आई
जितने जंगल हीसा रोड़े
जितने जंगल झाऊ झुंड
इतने याघर जन्मो पूत
ओले क़ोले, धरे चपेटा
ओले क़ोले, धरे अनार
ओले क़ोले, धरे मंजीरा
उठो देव बैठो देव
उठो देव जागो देव गीत लिरिक्स (Utho Dev Jago Dev Geet Lyrics)
उठो देव बैठो देव, पाटकल्ली चटकाओ देव,
आषाढ़ में सोए देव, कार्तिक में जागो देव।।
कोरा कलशा मीठा पानी, उठो देव पियो पानी,
हाथ पैर चटकाओ देव, पूड़ी हलुआ खाओ देव।।
क्वारों के ब्याह कराओ, ब्याहों के गौना कराओ,
तुम पर फूल चढ़ाये देव, घी का दिया जलायें देव।।
आओ देव पधारो देव, तुमको हम मनायें देव।।
ओने कोने रखे अनार, ये हैं किशन तुम्हारे यार,
जितनी खूंटी टांगू सूट, उतने इस घर जन्में पूत।।
जितनी इस घर सीख सलाई, उतनी इस घर बहुएं आई।।
जितने इस घर इंट ओ रोड़े, उतने इन घर हाथी घोडे।।
गन्ने का भोग लगायो देव, दूध का भोग लगाओ देवं।।
धान, सिंघाड़े, बेर, गाजरें, सब का भोग लगाओ देव,
बेगन का भोग लगायो देव, पूए का का भोग लगाओ देव।।
चने की भाजी खाओ देव,
आज हमारे घर से आओ देव।।
जो मन भाये खाओ देव,
क्वारों का घर बसवाओ देव।।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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