Devshayani Ekadashi Mantra: देवशयनी एकादशी पर जरूर पढ़ें भगवान विष्णु को सुलाने का मंत्र
Devshayani Ekadashi Mantra: देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु समेत सभी देवताओं का शयन काल शुरू हो जाता है। ऐसे में इस दिन भगवान को सुलाने से पहले एक विशेष मंत्र का जाप किया जाता है। जानिए क्या है देवों को सुलाने का मंत्र (Devo Ko Sulane Ka Mantra)।

Devshayani Ekadashi Mantra: देवों को सुलाने का मंत्र
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देवशयनी एकादशी का मंत्र (Devshayani Ekadashi Mantra)
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्।
विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।
मंत्र का अर्थ- हे प्रभु आपके जगने से पूरी धरती जग जाती है और आपके सोने से पूरी धरती, चर और अचर सभी सो जाते हैं। आपकी कृपा से ही यह सृष्टि सोती है और जागती है, आपकी करुणा से हमारे ऊपर कृपा बनाए रखें।
देवशयनी एकादशी संकल्प मंत्र
सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा।
धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।।
कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च।
श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।।
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का मंत्र
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम।
विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत सर्वं चराचरम।
क्षमा मंत्र
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।
देवशयनी एकादशी पूजा विधि (Devshayani Ekadashi Puja Vidhi)
देवशयनी या हरिशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को सुलाने से पहले उनकी विधि विधान पूजा करें। भगवान विष्णु की प्रतिमा के नीचे पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और फिर उनकी षोडशोपचार पूजा करें। भगवान को पीले रंग के वस्त्र , पीले फूल और पीला चन्दन जरूर चढ़ाएं। साथ ही पीली वस्तुओं का भोग लगाएं। इसके बाद भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। मंत्रों का जाप तुलसी या चंदन की माला से करना ज्यादा फलदायी माना जाता है। फिर श्री हरि विष्णु भगवान की आरती करें। अंत में भगवान विष्णु को सुलाने का मंत्र बोलें।
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