Devshayani Ekadashi Vrat Katha: यहां पढ़ें देवशयनी एकादशी की व्रत कथा

Devshayani Ekadashi Katha: साल में कुल 24 एकादशी आती हैं और हर एकादशी का नाम अलग-अलग होता है। 17 जुलाई को आषाढ़ महीने की आषाढ़ी एकादशी मनाई जाएगी। जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पढ़ें देवशयनी एकादशी की व्रत कथा।

Ashadhi Ekadashi katha

Devshayani Ekadashi Vrat Katha In Hindi

Devshayani Ekadashi Katha In Hindi (देवशयनी एकादशी व्रत कथा): आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आषाढ़ी एकादशी और देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार इस एकादशी से भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में शयन करने के लिए चले जाते हैं। इसलिए ही इसे हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां आप जानेंगे देवशयनी एकादशी की व्रत कथा।

Devshayani Ekadashi Katha In Hindi (देवशयनी एकादशी कथा)

देवशयनी एकादशी की व्रत कथा अनुसार सतयुग में मांधाता नामक एक चक्रवर्ती सम्राट रहता था। उसके राज्य में हर कोई उसके शासन से खुश था। लेकिन राजा और जनता इस बात से अंजान थे कि शीघ्र ही उनके राज्य में भयंकर अकाल पड़ने वाला है। राजा के राज्य में तीन सालों तक बारीश न होने के कारण भयंकर अकाल पड़ गया। इस अकाल से चारों तरफ त्राहि-त्राहि मच गई। राजा सोचने लगे कि आखिर मैंने ऐसा कौन सा पाप किया है जिसके कारण मुझे ऐसा दंड मिला और मेरे राज्य का बुरा हाल हो गया। इस कष्ट से मुक्ति पाने का मार्ग खोजने के उद्देश्य से राजा सेना को लेकर जंगल की ओर चल दिए।
वहां वे ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंचे और उन्हें साष्टांग प्रणाम किया। राजा ने हाथ जोड़कर ऋषि को अपने राज्य में पड़े अकाल के बारे में बताया कहा कि आखिर किस कारण से ऐसा हो रहा है, कृपया इसका समाधान करें। तब महर्षि अंगिरा ने कहा ब्राह्मण के अतिरिक्त किसी अन्य जाति को तप करने का अधिकार नहीं है ये आप अच्छे से जानते हैं लेकिन आपके राज्य में एक शूद्र तपस्या कर रहा है। इसी वजह से आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है। ऋषि ने कहा कि जब तक वह शूद्र काल को प्राप्त नहीं होगा, तब तक आपके राज्य की स्थिति नहीं सुधरेगी।
किंतु राजा का हृदय उस निरपराध शूद्र तपस्वी को मारने की इजाजत नहीं दे रहा था। उन्होंने कहा: हे देव मैं उसे कैसे मार दूं उसने ऐसा कोई अपराध नहीं किया है। कृपा करके आप कोई और उपाय बताएं। कब महर्षि अंगिरा ने कहा कि आप और आप आषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की एकादशी का व्रत करें। इससे आपके राज्य में अवश्य की वर्षा हो जाएगी। राजा ने विधिपूर्वक ये व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उनके राज्य में वर्षा हुई और सभी लोग आनंद से रहने लगे। ब्रह्म वैवर्त पुराण अनुसार देवशयनी एकादशी व्रत करने से प्राणी की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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