Devshayani Ekadashi Vrat Katha: देवशयनी एकादशी व्रत कथा पढ़ने से हर बाधा होगी दूर
Devshayani Ekadashi 2023 Vrat Katha In Hindi (देवशयनी एकादशी व्रत कथा): देवशयनी एकादशी को महा एकादशी, थोली एकादशी (Tholi Ekadashi), हरि देवशयनी (Hari Devshayani Ekadashi), पद्मनाभा, शयनी और प्रबोधनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) भी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को इस एकादशी की कथा जरूर पढ़नी चाहिए। जानिए देवशयनी एकादशी व्रत कथा।
Devshayani Ekadashi Vrat Katha: देवशयनी एकादशी कथा
Devshayani Ekadashi 2023 Vrat Katha In Hindi (देवशनयी एकादशी व्रत कथा हिंदी में): ब्रह्म वैवर्त पुराण में देवशयनी एकादशी व्रत के महत्व का वर्णन किया गया है। कहते हैं इस व्रत को करने वाली व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। ये व्रत हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इसलिए इसे आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi 2023) भी कहते हैं। इस एकादशी से चातुर्मास (Chaturmas 2023) भी शुरू हो जाता है। मान्यता है इस दौरान भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं। फिर चार महीने बाद देवोत्थानी एकादशी पर जागते हैं। जानिए देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi KI Katha) की पावन कथा।
Devshayani Ekadashi Vrat Katha In Hindi
एक बार की बात है धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा: हे केशव! आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है? इस व्रत को करने की क्या है विधि है इससे क्या लाभ मिलता है? श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! जिस कथा को ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा था मैं वो कथा तुम्हें सुनाता हूं।
भगवान कृष्ण ने कहा एक बार देवऋषि नारदजी ने ब्रह्माजी से इस एकादशी का महत्व जानने की इच्छा जताई थी, तब ब्रह्माजी ने उन्हें बताया: सतयुग में मांधाता नामक एक चक्रवर्ती सम्राट राज्य करते था। वो एक अच्छा राजा था उसकी प्रजा काफी खुश रहती थी। लेकिन भविष्य में कब क्या हो जाए, ये कोई नहीं जानता। अतः राजा भी इस बात से अनभिज्ञ थे कि उनके राज्य में भयंकर अकाल पड़ने वाला है।
एक समय ऐसा आया जब उनके राज्य में पूरे तीन साल तक वर्षा नहीं हुई। इस अकाल से चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। राजा सोचने लगे कि आखिर मैंने ऐसा कौन-सा पाप-कर्म किया है जिससे मेरे राज्य का ये हाल हो गया है? इस कष्ट से मुक्ति पाने के लिए राजा जंगल की और चल दिए।
जंगल में विचरण करते-करते राजा ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम पहुंचे और उन्हें अपना कष्ट बताया। राजा की परेशानी सुनकर महर्षि अंगिरा ने कहा: हे राजन! ब्राह्मण के अतिरिक्त किसी अन्य को तप करने का अधिकार नहीं है जबकि आपके राज्य में एक शूद्र तपस्या कर रहा है। इसी वजह से आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है। जब तक वह शूद्र काल को प्राप्त नहीं होगा, तब तक आपकी परेशानी का अंत नहीं होगा। दुर्भिक्ष की शांति उसे मारने से ही संभव है।
इस पर राजा कहने लगा कि मैं उस निरपराध तपस्या करने वाले शूद्र को कैसे मार सकता हूं। आप कृप्या करके इस दोष से छूटने का कोई दूसरा रास्ता बताएं। तब ऋषि कहने लगे कि हे राजन! यदि तुम अन्य उपाय जानना चाहते हो तो ध्यान से सुनो।
महर्षि अंगिरा ने बताया: आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करो। इस व्रत के प्रभाव से अवश्य वर्षा होगी। राजा ने महर्षि के बताए अनुसार पद्मा एकादशी का विधिपूर्वक व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उनके राज्य में वर्षा हुई और पूरा राज्य धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया। अत: इस मास की एकादशी का व्रत हर मनुष्यों को करना चाहिए। कहते हैं जो व्यक्ति इस कथा को पढ़ता और सुनता है उस व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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