Devshyani Ekadashi Puja Vidhi: देवशयनी एकादशी की पूजा विधि हिंदी में विस्तार से यहां देखें

Devshyani/Ashadhi Ekadashi Puja Vidhi In Hindi (आषाढ़ी एकादशी पूजा विधि): हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का खास महत्व माना गया है। क्योंकि इसी दिन से भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा में चले जाते हैं और चातुर्मास लग जाता है। इस एकादशी को आषाढ़ी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। चलिए जानते हैं देवशयनी एकादशी क्या होती है, इसका महत्व और पूजा विधि क्या है।

Devshyani Ekadashi Vrat Vidhi

Devshyani/Ashadhi Ekadashi Puja Vidhi In Hindi (आषाढ़ी एकादशी पूजा विधि): धार्मिक मान्यताओं अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत रखने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस साल देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को मनाई जाएगी। इस एकादशी को कई जगह पर आषाढ़ी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। यहां हम आपको बताएंगे आषाढ़ी एकादशी या देवशयनी एकादशी की पूजा विधि।

Devshyani/Ashadhi Ekadashi Vrat Vidhi In Hindi (देवशयनी या आषाढ़ एकादशी व्रत विधि)

  • देवशयनी एकादशी या आषाढ़ी एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • इसके बाद पूजा के स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को पीले रंग के आसन पर स्थापित करें और उनकी षोडशोपचार पूजा करें।
  • इसके बाद श्री हरि विष्णु को पीले रंग के वस्त्र , पीले फूल और पीला चन्दन चढ़ाया जाता है।
  • फिर भगवान के एक हाथ में शंख, दूसरे में चक्र, तीसरे में गदा और चौथे में पद्म सुशोभित करें।
  • इसके बाद भगवान को पान और सुपारी चढ़ाई जाती है।
  • मंदिर में शुद्ध घी का एक दीपक जला लें। फिर पुष्प अर्पित करें।
  • देवशयनी एकादशी की कथा सुनें।
  • इसके बाद इस मंत्र से भगवान विष्णु का ध्यान करें- ‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्। विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।।'
  • इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं। खुद भी फलाहार ग्रहण करें।
  • इस दिन रात में भजन-कीर्तन करें।
  • क्योंकि इस दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इसलिए इस दिन स्वयं सोने से पहले भगवान विष्णु को सुलाएं।
  • अंत में आरती करके भोग लगाकर प्रसाद सभी में बांट दें।
  • इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। आप फलाहार ले सकते हैं।
  • एकादशी व्रत अगले दिन पूजा करने के बाद खोला जाता है।
Devshyani/Ashadhi Ekadashi Significance (देवशयनी/आषाढ़ी एकादशी का महत्व)

देवशयनी एकादशी को आषाढ़ी एकादशी, हरिशयनी और पद्मनाभा एकादशी आदि कई नामों से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन से भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं। भगवान के शयनकाल की अवधि चार महीनों की होती है इसलिए इसे चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि जो जातक देवशयनी एकादशी का व्रत रखता है उसके सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।

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