Dhanteras 2022: कौन हैं भगवान धन्वन्तरि? धनतेरस पर जिनकी पूजा से मिलता है आरोग्य का आशीर्वाद
Dhanteras 2022: धनतेरस के दिन भगवान कुबेर और भगवान धन्वन्तरि की पूजा की जाती है। धन्वन्तरि को आयुर्वेद का जन्मदाता भी कहा जाता है। आइए आज आपको बताते हैं कि धन्वन्तरि का जन्म कैसे हुआ था और धनतेरस पर इनकी पूजा से क्या लाभ मिलता है।
धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की पूजा से होते हैं ये बड़े फायदे
मुख्य बातें
- भगवान धनवंतरी को कहा जाता है आयुर्वेद का रचनाकार
- धनतेरस पर इनकी पूजा से मिलेगा आरोग्य का वरदान
- भगवान विष्णु के 12वें अवतार हैं धनवंतरी
Dhanteras 2022: इस वर्ष धनतेरस का त्योहार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन भगवान कुबेर और भगवान धन्वन्तरि की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यताएं हैं कि धन्वन्तरि भगवान विष्णु के 12वें अवतार हैं। इन्हें आयुर्वेद का जन्मदाता भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, धन्वन्तरि कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि यानी धनतेरस के दिन अवतरित हुए थे। इसलिए धनतेरस पर हर साल उनका जन्मदिवस मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है। आइए आज आपको बताते हैं कि भगवान धन्वन्तरि का जन्म कैसे हुआ था और धनतेरस के दिन इनकी पूजा से क्या लाभ होता है।
कैसे हुआ भगवान धन्वन्तरि का जन्म?
ऐसा कहा जाता है कि भगवान धन्वन्तरि समुद्र मंथन से पैदा हुए थे। वह समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर निकले थे, जिसके पीछे देवों और असुरों में युद्ध छिड़ा था। श्रीमद्भागवत पुराण, महाभारत और विष्णु पुराण में भी इस समुद्र मंथन का जिक्र मिलता है। एक कथा में ये भी है कि काशी के राजवंश में धन्व नाम के एक राजा ने अन्न देव को प्रसन्न किया था, जिसके बाद उन्हें धन्वन्तरि नामक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। ब्रह्म पुराण और विष्णु पुराण में इस कथा का उल्लेख मिलता है।
सनातम धर्म में भगवान धन्वन्तरि को आयुर्वेद का जन्मदाता कहा जाता है। उन्होंने ही सृष्टि की वनस्पतियों पर अध्ययन किया था और उनके अच्छे-बुरे परिणामों को सामने रखा था। भगवान धन्वन्तरि ने कई ग्रंथों का भी निर्माण किया। इन्हीं में से एक है धन्वन्तरि संहिता जिसे आयुर्वेद का मूल ग्रंथ कहा जाता है। आयुर्वेद के आदि आचार्य सुश्रुत मुनि ने धन्वन्तरि से ही आयुर्वेद की शिक्षा प्राप्त की थी। फिर चरक आदि ने चिकित्सा शास्त्र की इस परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया था।
ये है पूजा विधि
धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा करने से अरोग्य का वरदान प्राप्त होता है। धन्वन्तरि की पूजा करने के लिए उनकी एक प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। धन्वन्तरि की पूजा के दौरान अपना चेहरा पूर्व दिशा की ओर रखें। इसके बाद अपने स्थान पर बैठकर भगवान धन्वन्तरि को याद करें। अब उन्हें रोली, अक्षत, फूल, मिठाई, जल, वस्त्र, कलावा और धूप अर्पित करें। दीप से उनकी आरती उतारें और नैवेद्य चढ़ाएं। आखिर में भगवान धन्वन्तरि के मंत्रों का जाप करें।
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