Dhanteras 2022 Yama Deepam Time: धनतेरस पर शाम इतने बजे जलाएं यम दीपम, जानें विधि
Dhanteras 2022 Yama Deepam Time, Vidhi, Muhurat, Mantra: 23 अक्टूबर को यम के नाम का दीपक जलाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार ये दीप जलाने से परिवार में अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है। साथ ही परिवार के सदस्यों की सुरक्षा भी होती है। जानिए यम दीपम मुहूर्त और विधि।
यम के नाम का दीपक जलाने की विधि और मुहूर्त यहां जानें।
मुख्य बातें
- 23 अक्टूबर को यम के नाम का दीपक जलाया जाएगा।
- मान्यता है यम के नाम दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
- धनतेरस के दिन शाम के समय ये दीपक जलाया जाता है।
Yama Deepam Time And Vidhi: धनतेरस पर माता लक्ष्मी, कुबेर देव, धन्वंतरि जी की पूजा करने के साथ मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा होती है। इस दिन शाम के समय घर के बाहर यम के नाम का दीपक जलाया जाता है। कहते हैं ऐसा करने से परिवार के सदस्यों की सुरक्षा होती है और उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। दीपदान से यमदेव प्रसन्न होते हैं। ये दीपक दक्षिण दिशा में जलाया जाता है क्योंकि ये दिशा देवता यमराज की मानी जाती है। जानिए यम दीपम की विधि और मुहूर्त।
धनतेरस पर यम दीपम मुहूर्त (Dhanteras 2022 Time)
23 अक्टूबर को यम दीपम समय शाम 5 बजकर 33 मिनट से शाम 6 बजकर 3 मिनट तक का है। यानी आपके पास यम के नाम का दीपक जलाने के लिए सिर्फ 29 मिनट का समय रहेगा।
यम दीपम विधि: आटे का चार मुंह वाला दीपक बनाएं। फिर सूर्यास्त के बाद उस दीपक में सरसों का या तिल का तेल डालकर जलाएं। इस दीपक को घर के बाहर दक्षिण दिशा की तरफ रखा जाता है। ऐसा करते हुए यमराज के मंत्र का जाप करें और यम देवता से अपने घर-परिवार के लोगों की लंबी उम्र की कामना करें। ऐसी मान्यता है कि इस दिन यम के लिए दीपदान करने से परिवार में बीमारी नहीं आती और अकाल मृत्यु का भय भी नहीं सताता।
यम दीपम मंत्र - मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम।।
क्यों जलाते हैं यम दीपक? एक पौराणिक कथा के अनुसारर किसी राज्य में एक हेम नामक राजा रहता था। देव की कृपा से उसे पुत्र की प्राप्ति हुई। जब उसने किसी पंडित को अपने पुत्र की कुंडली दिखाई तो पता चला कि शादी के बाद राजकुमार की मृत्यु हो जाएगी। ऐसे में राजा ने अपने पुत्र को ऐसी जगह भेज दिया जहां पर किसी कन्या की परछाई तक उस पर न पड़े। लेकिन वहीं उसने एक राजकुमारी से शादी कर ली। विधि के अनुसार शादी के चौथे दिन यमराज के दूत राजकुमार को लेने आ गए। राजकुमारी ये देखकर खूब रोई। ये सब बातें दूतों ने यमराज को बता दीं और उन्होंने यमराज से पूछा कि हे यमराज कोई ऐसा तरीका नहीं है जिससे व्यक्ति अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए। तब यमराज से कहा कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जो व्यक्ति शाम के समय दक्षिण दिशा में मेरे नाम का दीपक जलाएगा। उसे और उसके परिवार के सदस्यों को अकाल मृत्यु से मुक्ति मिल जाएगी। इसी कारण हर साल इस दिन यम के नाम का दीपक जलाने की प्रथा है।
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लवीना शर्मा author
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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