Diwali Aarti In Hindi: दिवाली आरती लिरिक्स हिंदी में
Dhanteras Aarti In Hindi: धनतेरस पूजा में 4 आरतियां जरूर शामिल करनी चाहिए। यहां देखें लक्ष्मी आरती, कुबेर आरती, गणेश आरती और धन्वंतरि आरती के लिरिक्स।
Dhanteras Aarti And Mantra Lyrics In Hindi
Dhanteras Aarti (धनतेरस आरती)
Laxmi Mata Aarti (लक्ष्मी माता की आरती)
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
Ganesh Ji Ki Aarti (भगवान गणेश आरती)
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
Kuber Ji Ki Aarti (कुबेर जी की आरती)
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के, भंडार कुबेर भरे।
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे ॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे ॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे, सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनि मंगल गावैं, सब जय जयकार करैं॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे ॥
गदा त्रिशूल हाथ में, शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन, धनुष टंकार करे॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं, साथ में उड़द चने॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥
यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी, मनवांछित फल पावे।
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
Dhanvantri Ji Ki Aarti (भगवान धन्वंतरि की आरती)
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।। जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
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