धनतेरस लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शाम कितने बजे से शुरू होगा, जानें पूजा की विधि और मंत्र, कथा, आरती सबकुछ
धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त 2023 (Dhanteras Puja Muhurat 2023)
धनतेरस पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त 10 नवंबर की शाम 5 बजकर 47 मिनट से 7 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। बता दें धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन प्रदोष काल 05:30 से 08:08 तक रहेगा वहीं वृषभ काल 05:47 से 07:43 तक रहेगा।
धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)
-प्रातः स्नान के बाद एक साफ चौकी पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
-मां लक्ष्मी की प्रतिमा के पास लाल कपड़े पर अक्षत डालें और वहां कलश स्थापित करें।
-फिर नारियल को लाल वस्त्र में लपेटकर कलश पर ऐसे रखें कि उसका ऊपरी हिस्सा नजर आए।
-फिर चौकी पर घी का दीपक जलाएं और मां लक्ष्मी के सामने रखें।
-मां लक्ष्मी को धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प, फल, पान, सुपारी आदि चीजें अर्पित करें।
-मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और उनके मंत्रों का जाप करें।
-मंत्र जाप के बाद लक्ष्मी चालीसा पढ़ें और माता की आरती गाएं।
-फिर भोग को प्रसाद के रूप में स्वयं भी ग्रहण करें और परिवार के सदस्यों में भी बांट दें।
धनतेरस 2023 मां लक्ष्मी के मंत्र (Dhanteras 2023 Maa Lakshmi Mantras)
-ॐ लक्ष्मी नम:
-ॐ धनाय नम:
-धनाय नमो नम:
-ऊं ह्रीं त्रिं हुं फट
-लक्ष्मी नारायण नम:
Dhanvantri Aarti: धन्वंतरि आरती
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ।जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा ।।जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥ तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए ।देवासुर के संकट आकर दूर किए ।।जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥ आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया ।सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया ।।जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥ भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी ।आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी ।।जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥ तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे ।असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे ।।जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा ।वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा ।।जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥ धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे ।रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे ।।जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥Lakshmi Mantra: लक्ष्मी मंत्र
श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र:ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।लक्ष्मी प्रार्थना मंत्र:नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया।या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।।श्री लक्ष्मी महामंत्र:ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।श्री गणेश आरती (Shri Ganesh Aarti)
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥एक दंत दयावंत,चार भुजा धारी ।माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥पान चढ़े फल चढ़े,और चढ़े मेवा ।लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥अंधन को आंख देत,कोढ़िन को काया ।बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥'सूर' श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥Laxmi Maa Aarti: लक्ष्मी आरती
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।धनतेरस 2023 माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा विधि (Dhanteras Kuber Puja Vidhi)
आज शुभ मुहूर्त में पूजन सामग्री का इंतजाम करें। फिर शुभ मुहूर्त में लकड़ी चौकी पर कुबेर, गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना करें। उनका पूजन अक्षत्, सिंदूर, फूल, दूर्वा, पान का पत्ता, सुपारी, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से करें। भगवान गणेश को मोदक, माता लक्ष्मी को खीर और कुबेर जी को धनिया की पंजीरी का भोग लगाएं। पूजा के समय इनके मंत्रों का उच्चारण करें। उसके बाद कलम, खाताबही आदि का भी पूजन करें। लक्ष्मी चालीसा और कुबेर चालीसा का पाठ करें। माता लक्ष्मी, गणेश जी और कुबेर की आरती करें। फिर तीनों से धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि और उन्नति का आशीर्वाद मांगें।Lakshmi Mantra: लक्ष्मी मंत्र
श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र:ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।लक्ष्मी प्रार्थना मंत्र:नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया।या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।।श्री लक्ष्मी महामंत्र:ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।माता लक्ष्मी के मंत्रॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।Kuber Mantra: कुबेर मंत्र
पहला मंत्र : ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये, धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥दूसरा मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥तीसरा मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥श्री गणेश आरती (Shri Ganesh Aarti)
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥एक दंत दयावंत,चार भुजा धारी ।माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥पान चढ़े फल चढ़े,और चढ़े मेवा ।लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥अंधन को आंख देत,कोढ़िन को काया ।बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥'सूर' श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥Laxmi Maa Aarti: लक्ष्मी आरती
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।Dhanteras Katha धनतेरस कथा
शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिस तिथि को भगवान धन्वंतरि समुद्र से निकले, वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी। भगवान धन्वंतरि समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है। भगवान धन्वंतरि को विष्णु भगवान का अंश माना जाता है और इन्होंने ही पूरी दुनिया में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया। भगवान धन्वंतरि के बाद माता लक्ष्मी दो दिन बाद समुद्र से निकली थीं इसलिए उस दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इनकी पूजा-अर्चना करने से आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है।कुबेर आरती ( Kuber Aarti)
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे ।शरण पड़े भगतों के,भण्डार कुबेर भरे ।॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े ।दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े ॥॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥स्वर्ण सिंहासन बैठे,सिर पर छत्र फिरे,स्वामी सिर पर छत्र फिरे ।योगिनी मंगल गावैं,सब जय जय कार करैं ॥॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥गदा त्रिशूल हाथ में,शस्त्र बहुत धरे,स्वामी शस्त्र बहुत धरे ।दुख भय संकट मोचन,धनुष टंकार करें ॥॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,स्वामी व्यंजन बहुत बने ।=मोहन भोग लगावैं,साथ में उड़द चने ॥॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥बल बुद्धि विद्या दाता,हम तेरी शरण पड़े,स्वामी हम तेरी शरण पड़े ।अपने भक्त जनों के,सारे काम संवारे ॥॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥मुकुट मणी की शोभा,मोतियन हार गले,स्वामी मोतियन हार गले ।अगर कपूर की बाती,घी की जोत जले ॥॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥यक्ष कुबेर जी की आरती,जो कोई नर गावे,स्वामी जो कोई नर गावे ।कहत प्रेमपाल स्वामी,मनवांछित फल पावे ॥॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥धनतेरस 203 शुभ मुहूर्त Dhanteras Puja Shubh Muhurat
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ: आज, दोपहर 12:35 बजे सेकार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का समापन: कल, दोपहर 01:57 बजे तकहस्त नक्षत्र: आज, प्रात:काल से लेकर रात 12:08 बजे तकप्रीति योग: आज, शाम 05:06 बजे से कल 04:59 बजे तकDhanteras Katha धनतेरस कथा
शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिस तिथि को भगवान धन्वंतरि समुद्र से निकले, वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी। भगवान धन्वंतरि समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है। भगवान धन्वंतरि को विष्णु भगवान का अंश माना जाता है और इन्होंने ही पूरी दुनिया में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया। भगवान धन्वंतरि के बाद माता लक्ष्मी दो दिन बाद समुद्र से निकली थीं इसलिए उस दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इनकी पूजा-अर्चना करने से आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है।धनतेरस पूजा मंत्र:Dhanteras Puja Mantra
लक्ष्मी पूजा मंत्र: ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:॥कुबेर पूजा मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥Diwali 2023 Puja Vidhi: दिवाली पूजा विधि
दिवाली पर मुख्य रूप से मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसे में पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थान को साफ करें और एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।फिर इस चौकी पर बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें। कलश को अनाज के बीच में रखें। कलश में पानी भरकर एक सुपारी, गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डालें।कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार आकार में रखें। बीच में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश के दाहिनी ओर भगवान गणेश की मूर्ति रखें। एक छोटी-सी थाली में चावल के दानों का एक छोटा सा पहाड़ बनाएं, हल्दी से कमल का फूल बनाएं, कुछ सिक्के डालें और मूर्ति के सामने रखें दें। इसके बाद अपने व्यापार/लेखा पुस्तक और अन्य धन/व्यवसाय से संबंधित वस्तुओं को मूर्ति के सामने रखें। अब देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक करें और दीपक जलाएं। इसके साथ ही कलश पर भी तिलक लगाएं। अब भगवान गणेश और लक्ष्मी को फूल चढ़ाएं। इसके बाद पूजा के लिए अपनी हथेली में कुछ फूल रखें। अपनी आंखें बंद करें और दिवाली पूजा मंत्र का पाठ करें।धनतेरस पर करें ये उपाय: Dhanteras Upay
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर, यमराज और भगवान गणेश जी की पूजा करें। धनतेरस के दिन घर और बाहर 13 दीपक जलाने से बीमारियों को दूर किया जा सकता है। दान करना पुण्य कर्म है। माना जाता है कि, दान करने से पिछले जन्म के पाप धुल जाते है। धनतेरस के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन यदि आप सूर्यास्त से पहले दान करते हैं तो आपको धन की कमी नहीं होगी। हालांकि इस दिन सफेद कपड़ा, चावल, चीनी आदि का दान नहीं करना है। धनतेरस पर पशुओं की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।धनतेरस 203 शुभ मुहूर्त Dhanteras Puja Shubh Muhurat
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ: आज, दोपहर 12:35 बजे सेकार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का समापन: कल, दोपहर 01:57 बजे तकहस्त नक्षत्र: आज, प्रात:काल से लेकर रात 12:08 बजे तकप्रीति योग: आज, शाम 05:06 बजे से कल 04:59 बजे तकधनतेरस पर क्या नहीं खरीदें?
इस दिन लोहा या लोहे से बनी वस्तुएं घर लाना शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार यदि आप धनतेरस के दिन लोहे से बनी कोई भी वस्तु घर लाते हैं, तो घर में दुर्भाग्य का प्रवेश हो जाता है। धनतेरस पर एल्युमिनियम या स्टील की वस्तुएं न खरीदें। मान्यता है कि स्टील या एल्युमिनियम से बने बर्तन या अन्य कोई सामान खरीदने से मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं।ज्योतिष के अनुसार यदि आप धनतेरस के दिन घर में कोई भी प्लास्टिक की चीज लेकर आएंगे तो इससे धन के स्थायित्व और बरकत में कमी आ सकती है, इसलिए धनतेरस के दिन प्लास्टिक की वस्तुएं भी न खरीदें। धनतेरस के शुभ अवसर पर शीशे या कांच की बनी चीजें भी बिल्कुल नहीं खरीदनी चाहिए। ज्योतिष के अनुसार धनतेरस के दिन चीनी मिट्टी या बोन चाइना की कोई भी वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।धनतेरस पर क्यों खरीदने चाहिए सोने-चांदी के सिक्के
धनतेरस पर जरूर खरीदें सोने-चांदी के सिक्के धनतेरस के दिन सोने-चांदी के सिक्के भी जरूर खरीदने चाहिए और फिर दिवाली के दिन इनकी विधि विधान पूजा करनी चाहिए। मान्यता है ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। जिससे घर परिवार में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती।धनतेरस के दिन घर में जरूर स्थापित करें श्री यंत्र
धनतेरस के दिन आप घर में श्री यंत्र स्थापित कर सकते हैं। इसे पहले पूजा में शामिल करें और उसके बाद आप इसे अपने घर या ऑफिस में उत्तर दिशा की तरफ रख दें। इस उपाय को करने से आपके जीवन में आर्थिक तंगी हमेशा के लिए दूर हो जाएगी।Yam Deepam Or Yam Deepak Mantra (यम दीपम मंत्र)
यमराज का दीप जलाते समय ये मंत्र बोलें - मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।’धनतेरस के दिन ना करें इन चीजों की खरीदारी
- लोहे के पात्र खरीदने से बचें। लोहे से बनी कोई वस्तु इस दिन मत खरीदें। यदि खरीदना नितांत आवश्यक ही है तो एक दिन पूर्व खरीद लें।
- धनतेरस के दिन काले रंग का कोई सामान नहीं खरदीना चाहिए। ये अच्छा नहीं माना जाता है।
- आरी,चाकू,कैंची इत्यादि धारदार वस्तुएं भी नहीं खरीदनी चाहिए।
- एक अत्यंत महत्वपूर्ण बात यह है कि इस दिन लोग वाहन चाहे वो मोटरसाइकिल हो या कार हो लोग खूब खरीददारी करते हैं। वाहन खरीदने में कोई बुराई नहीं है लेकिन उसका पेमेंट एक दिन पूर्व ही कर दें।
- यदि आप कोई पात्र खरीदते हैं तो उसको खाली अर्थात रिक्त पात्र घर में मत लाएं। उसमें अनाज या फल इत्यादि भर लें।
- प्रायः बच्चे साईकल खरीदने की जिद करते हैं तो इस दिन यह जिद पूरी मत करें। इसको एक दिन पहले खरीद सकते हैं।
- प्रायः इस दिन घर के गार्डेन के लिए पौधे भी खरीदते हैं तो इस दिवस पर कांटेदार पौधे घर पर विशेषकर नागफनी इत्यादि मत लाएं।
- सिंह राशि के लोग तो लोहे की वस्तुएं एक दिन पहले भी नहीं खरीदेंगे।
- कुंभ और मकर राशि के लोग स्वर्ण से बने सामान नहीं लेंगे।
- मेष और वृश्चिक राशि के जातक हीरे के सामानों का क्रय नहीं करेंगे।
Dhanteras 2023: धनतेरस के चमत्कारी उपाय
- धनतेरस के दिन इस दिन की पूजा के बाद रात में केसर या हल्दी से रंगे हुए 21 चावल के साबुत दाने किसी लाल साफ कपड़े में बांध लें और इसे अपनी तिजोरी में रख दें। ऐसा करने से घर में पैसों की किल्लत दूर होती है।
- धनतेरस की पूजा में दिशाओं का विशेष ध्यान रखें। इस दिन भगवान कुबेर की पूजा उत्तर दिशा में करें।
- धनतेरस के दिन उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके पूजा करें। ऐसा करने से भगवान कुबेर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
धनतेरस की सही पूजन विधि
- धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा का विधान बताया गया है।
- इस दिन इसके लिए शुभ मुहूर्त में कुबेर देवता, भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा प्रारम्भ करें और किसी पवित्र जगह पर इनकी तस्वीर या प्रतिमा को रखें।
- गणेश भगवान की मूर्ति भी पूजा में अवश्य शामिल करें।
- सभी देवी देवताओं को तिलक लगाएँ, उन्हें फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें, दीपक जलाएं।
- इसके बाद अपनी मनोकामना देवताओं से कहें।
- अंत में सबकी आरती उतारें और अनजाने में भी हुई किसी भी भूल की देवी-देवताओं से माफी मांगे।
10 November 2023 Shubh Muhurat (10 नवंबर 2023 शुभ मुहूर्त)
ब्रह्म मुहूर्त 04:54 AM से 05:47 AMप्रातः सन्ध्या 05:21 AM से 06:39 AM
अभिजित मुहूर्त 11:43 AM से 12:26 PM
विजय मुहूर्त01:53 PM से 02:37 PM
गोधूलि मुहूर्त 05:30 PM से 05:57 PM
अमृत काल 05:35 PM से 07:20 PM
निशिता मुहूर्त 11:39 PM से 12:32 AM, नवम्बर 11
Laxmi Ji Ki Aarti In Hindi (लक्ष्मी जी की आरती)
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
Dhanteras Puja Samagri (धनतेरस पूजा सामग्री)
चौकी, चौकी के स्थान पर स्वस्तिक या अल्पना बनाने के लिए अक्षत या आटा, चौकी पर बिछाने के लिए लाल वस्त्र, गंगाजल, भगवान की तस्वीर (माता लक्ष्मी, गणेशजी, भगवान कुबेर, धन्वंतरि और यमराज जी की तस्वीर या मूर्ति), पूजा की थाली, सुपारी, कुबेर यंत्र (इच्छानुसार), कलश, मौली या कलावा, मिट्टी के बड़े दीपक, सरसों का तेल, 13 मिट्टी के दीपक और बाती, कौड़ी, सिक्का, गुड़ या शक्कर जो हो, चंदन, कुमकुम और हल्दी, अक्षत, रोली या अबीर, गुलाल, लाल और पीले पुष्प, पुष्प माला, धुप-अगरबत्ती, चढ़ावा (इसमें खील-बताशा, धनिया के बीज, नए बर्तन, नई झाड़ू इत्यादि चीजें शामिल हैं), फल, मिठाई, ताम्बूल (पान, लौंग, सुपारी, इलायची), क्षमतानुसार दक्षिणा, कर्पूर इत्यादि।What To Buy On Dhanteras 2023 OR Dhanteras Par Kya Kharidna Chahiye (धनतेरस पर क्या-क्या खरीदना चाहिए)
सोना-चांदी के आभूषणझाड़ू
लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति
बर्तन
धनिये के बीज
चांदी के सिक्के
Dhanteras Puja Vidhi (धनतेरस पूजा विधि)
धनतेरस की पूजा शाम में प्रदोष काल के समय की जाती है।इससे पहले ही पूजा की तैयारी शुरू कर दें।
पूजा स्थल को साफ करके वहां आटे या चावल की मदद से रंगोली बनाएं।
ध्यान रहे कि चौकी की स्थापना ईशान कोण या पूर्व दिशा में करनी है।
आप चाहे तो चौकी के स्थान पर स्वस्तिक भी बना सकते हैं।
अब यहां चौकी स्थापित करें और इस पर एक लाल वस्त्र बिछाएं।
अब सभी भगवान के आसन के स्वरूप में इस पर अक्षत डालें।
इसके बाद चौकी पर माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
साथ ही कुबेर यंत्र को कुबेर देवता के रूप में और एक सुपारी को भगवान गणेश के रूप में स्थापित करें।
इसके बाद एक कलश में साफ जल भरें। इसकी ग्रीवा पर कलावा बांधें।
फिर चौकी पर कुछ अक्षत डालकर यहां विधि विधान कलश को स्थापित करें।
कलश के मुख पर एक बड़ा दीपक रखें और इसे जला लें।
यह जल कलश भगवान धन्वंतरि का स्वरूप माना जाता है।
आप चाहें तो इसकी जगह पर भगवान धन्वंतरि जी की प्रतिमा या फोटो भी रख सकते हैं।
अब यमराज देवता की पूजा के लिए एक बड़ा सा मिट्टी का दीपक लें।
इस दीपक में एक कौड़ी, एक सिक्का और थोड़ा सा गुड़ या शक्कर डालें।
इस दीपक में सरसों का तेल भर दें और इसमें 3 या 4 रुई की बातियां लगाकर इसे जला लें।
इसके बाद 13 मिट्टी के दीपक प्रज्वलित करके उसे पूजा की चौकी के पास रखें।
अब जल पात्र से 3 बार आचमन विधि करें फिर चौथी बार हाथ में जल लेकर हाथ साफ करें।
इसके बाद स्वस्तिवाचन मन्त्र का उच्चारण करें।
अब सबसे पहले प्रथम पूज्य श्री गणेश भगवान फिर माता लक्ष्मी, कुबेर देव, यमदीप और जलकलश पर गंगाजल छिड़कें।
अब हल्दी, कुमकुम, रोली, चंदन आदि का प्रयोग करते हुए पंचोपचार की क्रिया पूरी करें।
इसके बाद चौकी पर विराजमान देवों को कलावा चढ़ाएं।
फिर कौड़ी और सिक्का माता के चरणों में अर्पित करें।
इसके बाद सभी भगवान को अबीर, गुलाल और अन्य पूजा की चीजें चढ़ाएं, और धुप-अगरबत्ती और दीपक जला लें।
अब धनतेरस के दिन जो भी सामग्री आपने खरीदी है, उसे पूजा की चौकी के पास रख दें।
खील-बताशा और धनिया भी धनतेरस पूजा के समय अवश्य चढ़ाएं।
इसके साथ ही सोने- चांदी के आभूषण, सिक्के, नए बर्तन, नई झाड़ू, धान-मूंग आदि भी पूजा में जरूर रखें।
अब खीर और फल-मिष्ठान्न का भोग लगाएं।
भगवान को ताम्बूल (पान, लौंग, सुपारी, इलायची) चढ़ाएं और अपनी क्षमता के अनुसार दक्षिणा भी रखें।
इसके बाद हाथ में पुष्प लेकर सभी देवों से अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें।
अब भगवान की कर्पूर से आरती करें और अंत में सभी में प्रसाद वितरित कर दें।
पूजे के समय मृत्युदेव यमराज जी के लिए जो दीपक आपने जलाया है, उसे घर की दक्षिण दिशा में रखें।
ध्यान रहे कि इस दीपक को घर के बाहर दहलीज पर रखना है, घर के अंदर नहीं।
इसके बाद अगले दिन कलश का जल तुलसी को अर्पित कर दें।
धनतेरस 2023 शुभ योग (Dhanteras 2023 Shubh Yoga)
धनतेरस के दिन 5 महायोग का संयोग बन रहा है। इस दिन शुभकर्तरी, वरिष्ठ, सरल, सुमुख, प्रीति और अमृत योग बनेंगे। इसमें पूजा और खरीदारी करने से मां लक्ष्मी साधकर पर सालभर मेहरबान रहती है।धनतेरस पर सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त ( Dhanteras Par Sona Khareedne Ka Shubh Muhurat)
इस साल धनतेरस मनाने का समय 10 नवंबर को 12:35 PM से शुरू हो रहा है। यह 11 नवंबर को 01:57 PM पर खत्म होगा। इस दौरान आप गोल्ड खरीद सकते हैं। वहीं, धनतेरस पूजा मुहूर्त की बात करें, तो द्रिकपंचांग वेबसाइट के अनुसार, यह 05:7 PM से 7:43 PM तक है। धनतेरस के दिन प्रदोश काल 05:30 PM से 08:08 PM तक है। वृषभ काल 05:47 PM से 07:43 PM तक है। त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को 12:35 PM पर शुरू हो रही है और यह 11 नवंबर को 01:57 PM पर खत्म हो रही है।धनतेरस पर क्यों खरीदते हैं सोना-चांदी?
हिंदुओं का मानना है कि देवी लक्ष्मी, जिन्हें धन की देवी भी कहा जाता है, धन प्रदान करने, आय के अवसर बढ़ाने, व्यावसायिक संभावनाओं और सफलता के लिए भगवान धन्वंतरि के साथ घर आती हैं। सोना और अन्य कीमती धातुएं शुभ और सौभाग्य और धन लाने वाली मानी जाती हैं। दीपावली, जिसे रोशनी के त्योहार के रूप में जाना जाता है, पूरे भारत में व्यापक रूप से मनायी जाती है। लोग पूजा करते हैं, अनुष्ठान करते हैं। अपने घरों को दीयों, रंगोली, आभूषणों और रोशनी से सजाते हैं। स्वादिष्ट मिठाइयां खाते हैं और नए पारंपरिक कपड़े पहनते हैं।कब करें खरीददारी (Dhanteras 2023 Shopping muhurat)
इस बार खरीददारी के लिए धनतेरस पर दोपहर से शाम तक शुभ समय रहेगा। विशेषकर दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से 2 बजकर 6 मिनट तक और फिर सायं 4 बजकर 16 मिनट से 5 बजकर 26 मिनट तक श्रेष्ठ समय रहेगा।धनतेरस लक्ष्मी पूजा मुहूर्त :Dhanteras Lakshmi Puja Muhurat
धनतेरस के पावन पर्व पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर, शुक्रवार को शाम 05 बजकर 47 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।धनतेरस पूजा विधि Dhanteras Puja vidhi
प्रातः स्नान करें और आसन लेकर मंदिर के सामने बैठ जाएं।फिर बाएं हाथ में जल भरें और उसे खुद पर एवं आसपास छिड़कें।एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और कुबेर देव को स्थापित करें।कुबेर देव की तस्वीर भी चौकी पर विराजित कर सकते हैं। कुमकुम से लाल कपड़े पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं।फिर स्वास्तिक (शुभ काम से पहले क्यों बनाते हैं स्वास्तिक) पर अक्षत, फूल और फल रख अर्पित करें। कुबेर देव को मोली यानी कि कलावा वस्त्र के रूप में चढ़ाएं।कुबेर देव को श्रद्धा और क्षमता अनुसार आभूषण अर्पित करें। आभूषण नहीं हैं तो इसके अलावा नारियल चढ़ा सकते हैं।कुबेर देव को कमल के पुष्प या कमलगट्टा अर्पित करें। कुबेर देव के समक्ष धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं। फिर कुबेर देव को मिष्ठान का भोग लगाएं।कुबेर देव के मंत्रों का जाप करें और आरती उतारें।भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करें।धनतेरस कब है 2023 शुभ मुहूर्त?
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर 2023 दोपहर 12.35 मिनट से शुरू होगी और समापन 11 नवंबर को दोपहर 01.57 पर होगा। वैसे तो धनतेरस पर खरीदारी के लिए पूरा दिन यानी 10 नवंबर 2023, दोपहर 12.35 से 11 नवंबर, दोपहर 01.57 तक शुभ है लेकिन चौघड़िया मुहूर्त देखकर भी खरीदारी करना पुण्यफलदायी होता है।धनतेरस पर करें ये उपाय (Dhanteras Upay)
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर, यमराज और भगवान गणेश जी की पूजा करें। धनतेरस के दिन घर और बाहर 13 दीपक जलाने से बीमारियों को दूर किया जा सकता है। दान करना पुण्य कर्म है। माना जाता है कि, दान करने से पिछले जन्म के पाप धुल जाते है। धनतेरस के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन यदि आप सूर्यास्त से पहले दान करते हैं तो आपको धन की कमी नहीं होगी। हालांकि इस दिन सफेद कपड़ा, चावल, चीनी आदि का दान नहीं करना है। धनतेरस पर पशुओं की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।धनतेरस 2023 खरीदारी का मुहूर्त (Dhanteras 2023 Shopping Time)
वैसे तो धनतेरस पर खरीदारी के लिए पूरा दिन यानी 10 नवंबर 2023, दोपहर 12.35 से 11 नवंबर, दोपहर 01.57 तक शुभ है लेकिन चौघड़िया मुहूर्त देखकर भी खरीदारी करना पुण्यफलदायी होता है।अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11.43 - दोपहर 12:26 (10 नवंबर 2023)शुभ चौघड़िया - सुबह 11.59 - दोपहर 01.22 (10 नवंबर 2023)चर चौघड़िया- शाम 04.07 - शाम 05.30 (10 नवंबर 2023)लाभ चौघड़िया - रात 08.47 - रात 10.26 (10 नवंबर 2023)धनतेरस पर सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त ( Dhanteras Par Sona Khareedne Ka Shubh Muhurat)
इस साल धनतेरस मनाने का समय 10 नवंबर को 12:35 PM से शुरू हो रहा है। यह 11 नवंबर को 01:57 PM पर खत्म होगा। इस दौरान आप गोल्ड खरीद सकते हैं। वहीं, धनतेरस पूजा मुहूर्त की बात करें, तो द्रिकपंचांग वेबसाइट के अनुसार, यह 05:7 PM से 7:43 PM तक है। धनतेरस के दिन प्रदोश काल 05:30 PM से 08:08 PM तक है। वृषभ काल 05:47 PM से 07:43 PM तक है। त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को 12:35 PM पर शुरू हो रही है और यह 11 नवंबर को 01:57 PM पर खत्म हो रही है।धनतेरस पर क्या खरीदें?
धनतेरस के दिन सोना-चांदी के अलावा बर्तन, वाहन और कुबेर यंत्र खरीदना शुभ होता है। इसके अलावा झाड़ू खरीदना भी अच्छा माना जाता है। मान्यता है इस दिन झाड़ू खरीदने से मां लक्ष्मी मेहरबान रहती हैं।वहीं यदि धनतेरस के दिन आप कोई कीमती वस्तु नहीं खरीद पा रहे हैं तो साबुत धनिया जरूर घर ले आएं। मान्यता है इससे धन की कभी कमी नहीं होती है। इसके अलावा आप गोमती चक्र भी खरीद सकते हैं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited