Dhanteras 2022 Puja Vidhi: प्रदोष काल में ऐसे करें धनतेरस पूजा, जानें पूजा की पूरी विधि

धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Method): धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा का विधान है। जानिए इनकी पूजा की पूरी विधि यहां।

Dhanteras 2022: धनतेरस पूजा विधि

मुख्य बातें
  • धनतेरस वाले दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा होती है।
  • इस त्योहार में लोग शुभ मुहूर्त में सोना, चांदी, बर्तन, झाड़ू और अन्य जरूरी चीजें खरीदते हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि धनतेरस पर खरीदारी करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

दिवाली (Diwali 2022) की तरह ही धनतेरस पर भी शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना की जाती है। दिवाली पर्व इस बार 24 अक्टूबर को पड़ रहा है। वहीं धनतेरस का पर्व 23 अक्टूबर को पड़ रहा है। धनतेरस पर पूजा का जितना महत्व होता है उतना ही इस दिन खरीदारी का भी महत्व होता है। इस त्योहार में लोग शुभ मुहूर्त में सोना, चांदी, बर्तन, झाड़ू और अन्य जरूरी चीजें खरीदते हैं। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस पर खरीदारी करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। यहां आप जानेंगे धनतेरस पूजा की सरल और पूरी विधि।

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धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi In Hindi)

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  1. सुबह उठकर नहाकर साफ वस्त्र धारण करें।
  2. अब चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और चौकी को गंगाजल से शुद्ध कर लें।
  3. इसके बाद उसपर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा स्थापित करें।
  4. इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं और नीचे लिखे मंत्र को पढ़कर भगवान धन्वंतरि का आह्वान करें।
  5. ( सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।)
  6. भगवान के समक्ष देसी घी का दीपक और धूप जलाएं।
  7. इसके बाद सभी देवी-देवताओं को लाल रंग के फूल अर्पित करें।
  8. आपने इस दिन जिस भी धातु या फिर बर्तन की खरीदारी की है उसे भी भगवान की प्रतिमा के पास रखें।
  9. इसके बाद अपनी इच्छा अनुसार लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्तोत्र का पाठ करें।
  10. भगवान कुबेर के इस मंत्र का जाप करें- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये। धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
  11. फिर माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें और मिठाई का भोग भी लगाएं।
  12. इसके बाद भगवान धन्वंतरि को चावल चढ़ाएं। आचमन के लिए जल छोड़ें और भगवान धन्वंतरि को वस्त्र रूप में मौली चढ़ाएं।
  13. भगवान धन्वंतरि पर अबीर, पुष्प, रोली और अन्य सुगंधित चीजें चढ़ाएं।
  14. फिर चांदी के बर्तन में खीर रखकर उन्हें भोग लगाएं लेकिन अगर चांदी का बर्तन न हो तो अन्य किसी भी बर्तन में भोग लगा सकते हैं।
  15. इसके बाद आचमन के लिए जल नीचे की तरफ छोड़ दें।
  16. मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग और सुपारी अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भगवान धन्वंतरि को चढ़ाएं।
  17. अंत में भगवान धन्वंतरि से रोग नाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें- ऊं रं रूद्र रोग नाशाय धनवंतर्ये फट्।।
  18. भगवान धन्वंतरि को श्रीफल व दक्षिणा जरूर अर्पित करें। अंत में उनकी कर्पूर से आरती करें।
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