Dhanteras Vrat Katha In Hindi: धनतेरस पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, हर कामना होगी पूरी

Dhanteras 2023 Vrat Katha in Hindi: धनतेरस का त्योहार इस साल 10 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन मां लक्ष्मी, धन्वंतरि देव, कुबेर देवता और यमराज की पूजा की जाती है। यहां देखिए धनतेरस की व्रत कथा।

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Dhanteras Vrat Katha In Hindi

Dhanteras 2023 Vrat Katha in Hindi: धनतेरस का त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान धनवन्तरी, कुबेर देवता और यमराज की पूजा का विधान है। इस साल धनतेरस पर्व 10 नवंबर को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं अनुसार ये वही दिन है जब देवताओं के वैद्य धन्वंतरि जी समुद्र मंथन से अपने हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, जिस कारण इस दिन धन्वंतरि जयंती यानि धनतेरस पर्व मनाया जाता है। धनतेरस पर मुख्य रूप से सोना-चांदी और बर्तनों की खरीदारी की जाती है। यहां देखिए धनतेरस की व्रत कथा।

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Dhanteras Vrat Katha In Hindi (धनतेरस व्रत कथा)

धनतेरस की पौराणिक कथा अनुसार एक बार भगवान विष्‍णु अपनी पत्‍नी यानि देवी लक्ष्‍मी के साथ क्षीर सागर से पृथ्‍वी लोक पर घूमने आए हुए थे। यहां आने के बाद भगवान विष्णु बोले हे देवी मैं किसी काम से दक्षिण दिशा की तरफ जा रहा हूं। जब तक मैं वापस नही आ जाऊ तुम यहीं पर ठहरना। यह कहकर विष्‍णु जी दक्षिण दिशा की ओर चल दिए किन्‍तु माता लक्ष्‍मी भी उनके पीछे चल दीं।

कुछ दूर जाने पर उन्‍हें एक गन्‍ने का खेत दिखा। उस गन्‍ने के खेत में से माता लक्ष्‍मी ने एक गन्‍ना तोड़ा और उसे चूसने लगीं। जब भगवान विष्‍णु ने लक्ष्मी जी को गन्ने के खेत में देखा तो वे बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने माता को श्राप दिया कि तुम जिस किसान के खेत में से गन्‍ना तोड़कर चूस रही हो। उसका भार उताने के लिए तुम्हें उस किसान के घर में 12 वर्ष तक सेवा करनी होगी। जिसके बाद ही आप क्षीर सागर में प्रवेश कर सकेंगी।

यह कह कर भगवान विष्‍णु क्षीर सागर को चले गए। जिसके बाद माता लक्ष्‍मी ने मिले हुए श्राप के अनुसार किसान के घर में 12 वर्षों तक सेवा की। इन 12 वर्षो में किसान धन-धान्य से पूर्ण हो गया। बारह वर्ष के बाद भगवान विष्‍णु जी माता लक्ष्‍मी को लेने आए।

लेकिन उस किसान ने माता लक्ष्मी को जाने से रोक दिया। तब विष्णु जी ने किसान से कहा कि तुम अपने परिवार के साथ गंगा स्नान करने जाओ और मैं तुम्‍हें ये कौड़िया देता हूं। इन सभी को गंगा माता को अर्पित कर देना। जब तक तुम लौटकर नहीं आओगे हम यहां से कही नही जाऐंगे।

भगवान विष्णु के कहे अनुसार वह किसान अपने पूरे परिवार के साथ गंगा स्नान करने चला गया और वहा जाकर स्नान आदि करके उन कौड़ियों को उसने जैसे ही गंगा में डाला वो चार चतुर्भुज का रूप लेकर चलने लगी। यह देखकर वह किसान आश्चर्यचकित रह गया और माता गंगा से पूछने लगा की ये चार हाथ किसके हैं।

गंगा माता ने बताया की ये चारो हाथ मेरे ही है ये तुम्‍हे किसने दिए हैं। किसान बोला कि मेरे घर पर एक स्त्री और पुरूष आऐ हैं उन्‍होने ही ये चारो कौड़ियां मुझे दी और कहा की उन्हें गंगा को अर्पित कर देना। किसान की बात सुनकर गंगा माता बोली आपके घर में स्वयं भगवान विष्‍णु जी और माता लक्ष्मी जी पधारे हैं। तुम शीघ्र अपने घर जाओ और माता लक्ष्मी को घर से मत जाने देना। नहीं तो तुम फिर निर्धन हो जाओगे।

किसान अपने घर वापस आया और माता लक्ष्मी के दोनों पैरों को पकड़ कर बैठ गया और कहा कि माता आप कहीं नहीं जाएंगी। तब भगवान ने उसे समझाया कि यह तो मेरे श्राप के कारण ही तुम्‍हारे घर में निवास कर रही थी और अब इनके जाने का समय आ गया है और फिर ये तो चंचल है इन्‍हें बड़े-बड़े नही रोक पाये तो तुम व्यर्थ में हठ कर रहे हो।

माता लक्ष्‍मी ने कहा हे किसान यदि तुम मुझे रोकना चाहते हो तो कल धनतेरस है। तुम उस दिन अपने घर को स्वच्छ करके रात के समय में घी का दीपक जलाकर मेरे सामने रखोगे और सच्चे मन से मेरी पूजा-अर्चना करोगे तो मैं पुन: तुम्‍हारे पास आ जाऊंगी। लेकिन मैं तुम्हारे पास अदृश्‍य होकर रहूंगी।

माता लक्ष्मी के कहे अनुसार किसान ने माता की पूर्ण रूप से विदाई दी। इसके बाद धनतेरस पर उसने माता की विधि विधान पूजा की। जिससे उस किसान का घर धन-दौलत से भर गया और वह अपने परिवार के साथ आनंद पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा।

यदि आप भी धनतेरस के दिन उस किसान की तरह माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करेंगे तो आपका सम्पूर्ण जीवन माता लक्ष्‍मी धन दौलत से भर देंगी।

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    TNN अध्यात्म डेस्क author

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