Dhanvantari Puja Vidhi In Hindi: धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा कैसे करें, यहां जानिए स्टेप बाय स्टेप पूरी विधि
Dhanvantari Puja Vidhi In Hindi: धनतेरस के दिन धन्वंतरि भगवान ही नहीं बल्कि माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की भी पूजा की जाती है। चलिए आपको बताते हैं धनतेरस पर माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और धन्वंतरि भगवान की पूजा विधि।
Dhanvantari Puja Vidhi In Hindi
Dhanvantari Puja Vidhi In Hindi: सनातन धर्म में धन्वंतरि जी को आरोग्य का देवता कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इनका जन्म कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को यानी दिवाली से दो दिन पहले हुआ था। इसी वजह से हर साल इस तिथि पर धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। धन्वंतरि जी को माता लक्ष्मी के भाई के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए धनतेरस पर माता लक्ष्मी की भी पूजा होती है। चलिए आपको बताते हैं धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा कैसे की जाती है।
धन्वंतरि पूजा विधि (Dhanavantari Puja Vidhi In Hindi)
- पूजा घर के पास एक लकड़ी का पटरा रखें और उस पर लाल या पीला रंग का कपड़ा बिछा लें।
- फिर उस पर धन्वंतरि जी की मूर्ति या चित्र रखें। साथ में कुबेर देवता और माता लक्ष्मी की भी फोटो रखें।
- मंदिर में जो दीया जलाकर रखेंगे उसके नीचे थोड़ा सा चावल या नया धान रखें।
- फिर तांबे के जल में कलश भरकर रखें और जल से सभी देवी और देवताओं को आचमन करवाएं।
- सभी स्थापित देवी देवता की प्रतिमा को रोली कुमकुम, फूल, दूर्वा, पान, फूल, हल्दी, पीला चावल, श्री फल और नैवेद्य अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान धन्वंतरि से रोगों के नाश और आरोग्यता के लिए प्रार्थना करें।
- माता लक्ष्मी और कुबेर देवता से धन-धान्य की प्रार्थना करें।
- भगवान धन्वंतरि की पूजा के दौरान 'ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः' का जाप करते रहें।
- अंत में आरती करके प्रसाद सभी में बांट दें।
धन्वंतरि पूजा मंत्र (Dhanvantari Puja Mantra)
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
धन्वंतरि भगवान की आरती (Dhanvantari Bhagwan ki Aarti)
ॐ जय धन्वन्तरि देवा, स्वामी जय धन्वन्तरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
धन्वंतरि स्तोत्र (Dhanvantari Stotra)
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम।
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम।
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय।
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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