Dharmraj Ki Kahani: क्या है धर्मराज की कहानी, जिसे सुनने से खुलते हैं स्वर्ग के द्वार, जानिए कब और कैसे पढ़नी चाहिए ये कथा

Dharmraj Ki Kahani (धर्मराज की कहानी): धार्मिक मान्यताओं अनुसार हर व्यक्ति को अपने जीवन काल में धर्मराज की कहानी जरूर सुननी चाहिए। कहते हैं इस कहानी को सुनने से वैकुण्ठ धाम के रास्ते खुल जाते हैं। जानिए क्या है धर्मराज की कहानी और इस पढ़ने के नियम क्या है।

Dharmraj Ki Kahani In Hindi

Dharmraj Ki Kahani In Hindi (धर्मराज की कहानी हिंदी में): पौराणिक कथा अनुसार एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी, वह खूब व्रत-पूजन करती थी। जब उसकी उम्र पूरी हो गई तो उसे एक दिन यमदूत उसे लेने आए और वह उनके साथ चल दी। रास्ते में चलते-चलते एक गहरी नदी आई तो यमदूत ने उससे पूछा कि माई तुमने गोदान किया है या नहीं? बुढ़िया ने तुरंत पूरी श्रद्धा से गाय का ध्यान किया तो गाय उसके समक्ष आ गई। फिर बुढ़िया उस गाय की पूंछ पकड़कर नदी आसानी से पार कर गई। कुछ देर बार उसके रास्ते में काले कुत्ते आ गए। तब यमदूत ने कहा कि कुत्तों को खाना दिया था या नहीं? बुढ़िया ने फिर कुत्तों का ध्यान किया तो वे रास्ते से चले गए।

बुढ़िया फिर से आगे बढ़ने लगी तब उसके रास्ते में कौए आ गए और उन्होंने उसके सिर में चोंच मारनी शुरु कर दी तो यमदूत बोले कि किसी ब्राह्मण की बेटी के सिर में तेल लगाया था या नहीं? बुढ़िया ने फिर ब्राह्मण की बेटी का ध्यान किया तो कौए वापस चले गए। कुछ आगे बढ़ने पर बुढ़िया के पैर में कांटे चुभने शुरू हो गए यमदूत बोले कि खड़ाऊ का दान किया है या नहीं? बुढ़िया ने उनका ध्यान किया तो खड़ाऊ उसके पैरों में आ गई। बुढ़िया फिर आगे बढ़ी तो फिर चित्रगुप्त जी ने यमराज से कहा कि आप यहां किसे लेकर आए हो?

तब यमराज जी बोले कि बुढ़िया ने दान-पुण्य तो बहुत किए हैं लेकिन उन्होंने अपने जीवन में धर्मराज जी के लिए कुछ नहीं किया इसलिए आगे के द्वार इसके लिए बंद हैं। धर्मराज की सारी बात सुनने के बाद बुढ़िया बोली कि आप मुझे सिर्फ सात दिन के लिए धरती पर वापस भेज दें। मैं पूरी श्रद्धा से धर्मराज जी का व्रत और उद्यापन करके वापस यहां लौट आऊंगी। यमराज ने उन्हें धरती पर वापस भेज दिया।

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