Diwali 2022 Date, Puja Timings: क्यों मनाया जाता है दिवाली का पर्व, जानें पौराणिक कथा

Diwali 2022 Date, Time, Puja Muhurat in Hindi: दिवाली का त्योहार मां लक्ष्मी की पूजा से जोड़कर देखा जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी और मां सरस्वती की पूजा भी की जाती है।

diwali history

Diwali 2022 Date, Time, Puja Muhurat in Hindi: दिवाली का इतिहास

Diwali 2022 Date, Time, Puja Muhurat: दीपों का पर्व दिवाली इस साल 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। ये हिंदू धर्म का एक बड़ा त्योहार है। इस पर्व को दीप उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। ये पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। हिंदू पंचांग अनुसार दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या को पड़ती है। इस दिन प्रदोष काल में माता लक्ष्मी, विघ्नहर्ता भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा होती है। दिवाली वाले दिन साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। जानें दिवाली पर्व का महत्व, इतिहास और पूजा का शुभ मुहूर्त।

दिवाली पूजा मुहूर्त 2022 (Diwali 2022 Puja Muhurat)

लक्ष्मी पूजा शाम 06:54 से 08:16 तक
प्रदोष काल शाम 05:43 से 08:16 तक
वृषभ काल शाम 06:54 से 08:50:43 तक
दिवाली महानिशीथ काल पूजा मुहूर्त रात 11:40 से रात 12:31 तक

क्यों मनाई जाती है दिवाली (Why We Celebrate Diwali)

पहली कहानी- पौराणिक कथाओं अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन भगवान श्री राम चंद्र जी चौदह वर्ष का वनवास काटकर और रावण का नाश करके अयोध्या लौटे थे। उनके घर वापस आने की खुशी में अयोध्या के लोगों ने दीप जलाकर ये उत्सव मनाया था। कहते हैं तभी से दिवाली की शुरुआत हुई।
दूसरी कहानी- एक कथा के अनुसार नरकासुर नामक राक्षस ने सभी देवता और साधु-संतों को परेशान कर दिया था। इस राक्षस ने साधु-संतों की 16 हजार स्त्रियों को भी बंदी बना लिया था। नरकासुर के बढ़ते अत्याचारों से परेशान होकर देवता भगवान श्री कृष्ण से मदद लेने पहुंचे। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध कर दिया और साथ ही 16 हजार स्त्रियों को भी कैद से मुक्त कराया। इसी खुशी में इसके दूसरे दिन यानि कार्तिक मास की अमावस्या को लोगों ने अपने घरों में दीये जलाए। तभी से नरक चतुर्दशी और दीपावली का त्यौहार मनाया जाने की परंपरा चली आ रही है।
तीसरी कहानी- धार्मिक मान्यता अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया और इंद्र ने स्वर्ग को सुरक्षित पाकर इस दिन खुशी से दीपावली मनाई थी।
चौथी कहानी- इसी दिन समुंद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से धन की देवी मां लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं और उन्होंने भगवान विष्णु को पति के रूप में स्वीकार किया था।
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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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