Deepawali 2022: छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली और गोवर्धन पर इतने दीपक जलाना है बेहद शुभ, जानिए पूरा तरीका

Diwali 2022: दिवाली दीप और प्रकाश का त्योहार है जोकि पूरे पांच दिनों तक मनाया जाता है। धनतेरस, छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली और गोवर्धन पूजा में दीपक जलाने का महत्व है। लेकिन इन सभी दिनों में अलग-अलग संख्या में दीये जलाए जाते हैं।

Diwali 2022 Rituals and Importance Of Deepak

Diwali 2022 Rituals and Importance Of Deepak

मुख्य बातें
  • पांच दिवसीय प्रकाशपर्व है दिवाली का त्योहार
  • दिवाली से पहले और बाद भी जलाए जाते हैं दीये
  • पांच दिवसीय दीपावली में दीपक जलाने की संख्या में होता अंतर
Diwali 2022 Deepak Importance: दिवाली का त्योहार पांच दिनों तक चलता है। पांच दिवसीय दीपोत्सव के त्योहार में पहले छोटी दिवाली या नरक चतुर्थी, धनतरेस और दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे पर्व मनाए जाते हैं। दिवाली को प्रकाशपर्व कहा जाता है और इसलिए इसमें दीपों का विशेष महत्व होता है। लेकिन छोटी दिवाली, धनतेतरस, बड़ी दिवाली और गोवर्धन पूजा में दीप जलाने की संख्या में अंतर होता है। जानते हैं कि पांच दिवसीय दीपोत्सव में किस दिन जलाने चाहिए कितने दीये।

छोटी दीपावली पर पांच दीये जलाएं

दिवाली के एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है। जिस तरह दिवाली के दिन का महत्व होता है, उसी तरह छोटी दिवाली का भी अपना महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब अयोध्या वासियों को यह खबर मिली कि भगवान राम ने रावण का अंत कर दिया और वह वापस अयोध्या पहुंचने वाले हैं, तब कई दिनों तक अयोध्यावासियों ने जश्न मनाया और दीपक जलाए। इसलिए दिवाली के एक दिन पहले छोटी दिवाली का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है। शास्त्रों के अनुसार छोटी दिवाली के दिन घर में मिट्टी के पांच दीये भगवान के सामने जलाने चाहिए और उसे घर की अलग-अलग जगहों पर रख देना चाहिए।

दिवाली के दिन 13 दीपक जलाना होता है शुभ

दिवाली को लेकर मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम वनवास से अयोध्या वापस आए थे। इसलिए इस पर्व को खुशी और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को ही समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी प्रकट हुई थी। तभी से दिवाली के दिन वैभव और यश की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दिवाली खुशहाली का पर्व है, इसलिए इसमें पूरे घर को दीपक से रोशन कर दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार दिवाली के दिन मिट्टी के 13 दीपक शुद्ध घी के जलाने चाहिए। सारे दीपक भगवान के पास जलाकर उन्हें घर की अलग-अलग जगहों पर रख देना चाहिए। जिसमें एक दीया रसोई, एक दीया भंडार घर में, एक दीया पानी के स्रोत के पास, एक दीपक पेड़ के पास और कुछ दीया घर के बाहर दरवाजे पर जलाना शुभ माना गया है। हालांकि इसके अलावा भी आप जितना हो सके दीपक जलाकर घर को रोशन कर सकते हैं। दिवाली के दिन केवल पूजा के लिए 13 दीपक घी के जलाने की बात कही गई है।

गोवर्धन पूजा के दिन विषम संख्या में दीपक जलाएं

गोवर्धन पूजा दिवाली के ठीक अगले दिन कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। यह पर्व भगवान कृष्ण को समर्पित है। भगवान कृष्ण ने इसी दिन इंद्रदेव के घमंड को चूर कर दिया था और गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ उंगली पर उठाकर बृजवासियों की भारी वर्षा से जान बचाई थी। हिंदू परंपराओं के अनुसार इस दिन शुभ मुहूर्त पर घरों में विषम संख्याओं में दीपक जलाने चाहिए। गोवर्धन पूजा के अवसर पर घर में पांच, सात, ग्यारह आदि विषम संख्या में दीपक जलाना शुभ माना गया है।

दीपक जलाने का सही तरीका क्या है?

हिंदू परंपरा में शुभ मुहूर्त पर दीपक जलाने की परंपरा है। छोटी दिवाली, दिवाली और गोवर्धन पूजा के अवसर पर भी हम भगवान के पास दीपक जलाते हैं। वास्तु के अनुसार दीपक की लौ हमेशा पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए। हालांकि कई वास्तु शास्त्रों में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि अगर आप भगवान के पास दीपक जलाते हैं और भगवान पूर्व दिशा में विराजमान ना होकर किसी और दिशा में विराजमान हैं तो ऐसी परिस्थिति में भगवान जिस दिशा में विराजित हों, दीपक की लौ उसी दिशा की ओर होना उचित है।
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