Diwali 2022 Laxmi Ji Ki Aarti, Katha Updates: मां लक्ष्मी की पूरी आरती हिंदी में देखें यहां
Diwali 2022 Laxmi Ji Ki Aarti, Katha Updates: मां लक्ष्मी की पूरी आरती हिंदी में देखें यहां
Diwali 2022 Laxmi Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Mantra, Aarti in Hindi Updates: दीपों का त्योहार दिवाली इस बार 24 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। ये पर्व अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक होता है। इस त्योहार को हर कोई खूब धूमधाम से मनाता है। इस दिन चारों तरफ खुशियों की लहर और रोशनी की चमक दिखाई देती है। पंचांग अनुसार ये पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस बार इस तिथि पर हस्त नक्षत्र है। इसी के साथ शुभ योग वैधृति बन रहा है। इस योग में व्यक्ति को सुखमय व आनंदमय जीवन की प्राप्ति होती है।
दिवाली 2022 लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: दिवाली पूजा प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में की जाती है। 24 अक्टूबर को प्रदोष काल 05:43 PM से 08:16 PM तक रहेगा। वहीं स्थिर लग्न (वृषभ लग्न) 06:53 PM से 08:48 PM तक रहेगा। पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त 06:53 PM से 08:16 PM तक है। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर को 05:27 PM से और समाप्ति 25 अक्टूबर को 04:18 PM पर। महानिशीथ काल रात 11:40 से रात 12:31 तक रहेगा। सिंह काल रात 01:23 से 03:41 तक।
दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त:
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 05:27 PM से 05:43 PM
सायाह्न मुहूर्त (चर) - 05:43 PM से 07:18 PM
रात्रि मुहूर्त (लाभ) - रात 10:30 से रात 12:05 तक।
दिवाली की पूजा विधि, आरती, मंत्र, कथा, उपाय, महत्व सबकुछ जानें हमारे इस लाइव ब्लॉग में...
Diwali 2022 Puja: प्रसाद को कर सकते हैं ग्रहण
पूजा में चढ़ाए गए नारियल को आप प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। इसके अलावा पान के पत्ते, सुपारी, इलायची- इसे भी आप प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं।Diwali 2022: कलश के जल को पौधे में डालें
कलश के जल को पहले किसी पुष्प से घर में छिड़कें। इसके बाद कलश का जो जल बच गया है उसे किसी पौधे में डाल दें।Diwali 2022: पुराने फूलों को हटा दें
पूजा के तुरंत बाद आप फूल को तुरंत बाद हटा दें। दरअसल पुराने फूल भगवान को समर्पित नहीं करनी चाहिए। ऐसे में इसे तुरंत ही विसर्जित कर दें। वहीं, महालक्ष्मी पूजन के बाद पूजा में इस्तेमाल किए चावलों को चिड़ियों को चुगने के लिए दे दें।Diwali 2022 Laxmi Pujan Chowki: जानिए कब हटाएं लक्ष्मी पूजन की चौकी
दिवाली पूजन में इस्तेमाल की गई चौकी को भाई दूज के बाद ही अपने स्थान से हटाएं। भाईदूज का त्योहार इस साल 27 अक्टूबर को मनाया जा रहा है।Maha Laxmi Strotram Lyrics: इंद्र देव द्वारा रचित महालक्ष्मी स्त्रोत का करें पाठ
धन और वैभव के लिए आप महालक्ष्मी स्तोत्रम का भी पाठ कर सकते हैं। इसकी रचना देवराज इंद्र ने की थी।नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।Diwali 2022 Ganesh Ji Mantra: गणेश जी के इस मंत्र का करें जाप
लक्ष्मी पूजन में गणेश जी के मंत्र का करें जाप लक्ष्मी पूजन के साथ गणेश जी के इस मंत्र का करें जाप। जाननम्भूतगभू गणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।Diwali 2022 Kuberji Mantra: कुबेरजी के इस मंत्र का करें जाप
लक्ष्मी पूजन के साथ कुबेर जी के इस मंत्र का जाप अवश्य करें। ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥Diwali Maa Laxmi Puja Mantra: दिवाली पर मां लक्ष्मी के पूजा मंत्र
ॐ श्रीं श्रीयै नम:ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥Kuberji Ki Arti Lyrics in Hindi: ॐ जय यक्ष कुबेर हरे
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।शरण पड़े भगतों के,भण्डार कुबेर भरे।॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े।दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े ॥॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥स्वर्ण सिंहासन बैठे,सिर पर छत्र फिरे,स्वामी सिर पर छत्र फिरे।योगिनी मंगल गावैं,सब जय जय कार करैं॥॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥गदा त्रिशूल हाथ में,शस्त्र बहुत धरे,स्वामी शस्त्र बहुत धरे।दुख भय संकट मोचन,धनुष टंकार करे॥॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,स्वामी व्यंजन बहुत बने।मोहन भोग लगावैं,साथ में उड़द चने॥॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥बल बुद्धि विद्या दाता,हम तेरी शरण पड़े,स्वामी हम तेरी शरण पड़े,अपने भक्त जनों के,सारे काम संवारे॥॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥मुकुट मणी की शोभा,मोतियन हार गले,स्वामी मोतियन हार गले।अगर कपूर की बाती,घी की जोत जले॥॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥यक्ष कुबेर जी की आरती,जो कोई नर गावे,स्वामी जो कोई नर गावे ।कहत प्रेमपाल स्वामी,मनवांछित फल पावे।॥ इति श्री कुबेर आरती ॥Om Jai Jagdish Hare Lyrics: ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का, स्वामी दुःख बिनसे मन का ।सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी॥॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी ।पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी॥॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता ।मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति ।किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे ।अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे॥॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे…॥Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva Arti Lyrics: जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी। पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया। 'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।। जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा .. माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा। दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।लक्ष्मी जी की आरती (Diwali 2022 LakshmiJi ki aarti)
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।तुमको निसदिन सेवत हर-विष्णु-धाता ॥ॐ जय…उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ॐ जय…तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।जोकोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ॐ जय…तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ॐ जय…जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ॐ जय…तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ॐ जय…शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ॐ जय…महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता ।उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥ॐ जय…Diwali 2022 Laxmi Pujan: ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:,ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:
ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:,ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:,ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:,ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:,ॐ कामलक्ष्म्यै नम:,ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:,ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:,ॐ योगलक्ष्म्यै नम:।।अर्थ- हम सभी मां लक्ष्मी के सभी रूपों को बार-बार प्रणाम करते हैं। हे मां लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, सौभाग्य प्रदान करने वाली मां लक्ष्मी, हे माता अमृत स्वरूपा, हे सत्य लक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी, हे योगलक्ष्मी हम सभी आपको बार-बार प्रणाम करते हैं, आपको नमन करते हैं।Diwali 2022 Laxmi Pujan Mantra: 'लक्ष्मी मां तुम्हारे चरण पूजत सब संसार'
लक्ष्मी मां तुम्हारे चरण पूजत सब संसार। रिद्धि-सिद्धि देकर हमें कर दो कृपा अपार।।अर्थ- हे माता लक्ष्मी पूरा संसार आपकी पूजन करता रहता है। हम भी आपका भजन करते है और आपका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं। हे माता कृपा करके हमें रिद्धि-सिद्धि प्राप्त करने का आशीर्वाद दें।Diwali 2022 Laxmi Pujan Mantra: जय देवी, जय देवी, जय महालक्ष्मी' मंत्र
जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी।वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी।।अर्थ- हे मां लक्ष्मी चारों दिशा में आपकी जय जयकार होती रहती है। आप ही जगत की पालनहार है और आप ही स्थूल रूप में इस जगत में समाई हुई है। हे मां लक्ष्मी आप हमें अपना आशीर्वाद प्रदान करें।Diwali 2022 Laxmi Pujan Mantra: जानिए लक्ष्मी जी के मंत्र और उनका अर्थ
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता, नमस्त्यै नमस्त्यै नमस्त्यै नमस्त्यै नमों नम:।अर्थ- हे मां आदि शक्ति आप सदैव हमारे पास लक्ष्मी (धन) के रूप में निवास करें। हम सभी आपको हृदय से आपको बारंबार नमस्कार करते हैं।Diwali 2022 Laxmi Pujan: जयपुर में लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त
जयपुर में लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम सात बजकर दो मिनट से शुरू होगा। ये रात आठ बजकर 33 मिनट तक रहेगा।Diwali 2022 - ऐसे प्राप्त करें लक्ष्मी गणेश का आशीर्वाद
प्रदोष काल में दिवाली की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि विधिवत गणेश-लक्ष्मी जी की पूजा करने से धन की देवी मां लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान गणेश का आशीर्वाद सदैव बना रहता है।श्री लक्ष्मी महामंत्र
ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।Diwali Puja vidhi - इस मंत्र का करें जप, होगा कल्याण
यदि आपको व्यापार में लगातार घाटे का सामना करना पड़ रहा है, तो मां लक्ष्मी के इस मंत्र का जाप करें।ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:Diwali 2022 Puja Vidhi - कार्तिक मास की अमावस्या तिथि
दिवाली का पावन पर्व प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विधिवत विघ्नहर्ता भगवान गणेश और धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाए पूर्ण होती हैं।Diwali 2022 - दिलाली पूजा समय
दिवाली पूजा शाम के समय प्रदोष काल में की जाती है। पूजा के लिए एक चौकी पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की मूर्तियां रख ले, मूर्ति इस तरह रखें कि लक्ष्मी जी के बायीं ओर गणेश जी रहें और उनका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे।Diwali 2022 - पूजा का विधान
दिवाली के दिन विधि विधान से धन की देवी मां लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सुख समृद्धि का आशीर्वाद सदैव अपने भक्तों पर बना रहता है।दिवाली पर मां लक्ष्मी के इस मंत्र का जरूर करें जाप
लक्ष्मी पूजन के समय लक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करते रहें – ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:मां लक्ष्मी की आरती (Maa Laxmi Aarti)
ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
दिवाली 2022 लक्ष्मी पूजा मुहूर्त:
24 अक्टूबर को प्रदोष काल 05:43 PM से 08:16 PM तक रहेगा। पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त 06:53 PM से 08:16 PM तक है। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर को 05:27 PM से और समाप्ति 25 अक्टूबर को 04:18 PM पर।दिवाली पूजन सामग्री (Diwali Puja Samagri)
माँ को वस्त्र में लाल या पीले रंग का रेशमी वस्त्र प्रिय है। देवी लक्ष्मी की पूजा में दीपक, कलश, कमल पुष्प, जावित्री, मोदक, श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार के फल, गुलाब, चन्दन इत्र, चावल, केसर की मिठाई, शिरा आदि का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। दीप प्रज्वलित करने हेतु गाय घी, मूंगफली या तिल के तेल के प्रयोग से लक्ष्मी माँ को प्रसन्न किया जाता है।दिवाली व्रत कथा (Diwali Katha)
एक बार की बात है एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वो जल चढ़ाती थी उस पर पर मां लक्ष्मी का वास था। एक दिन मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी से कहा मैं तुमसें मित्रता करना चाहती हूँ। ये सुनकर साहूकार की बेटी ने कहा मैं अपने पिता से पूछकर आपको बताऊंगी। पूरी कथा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करेंदीपावली पर माता लक्ष्मी जी की कथा
दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की यह कथा काफी प्रचलित है। एक बार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को माता लक्ष्मी विचरण कर रहीं थीं, तभी वह रास्ता भूल गईं। हर ओर घोर अंधेरा था। पृथ्वी लोक पर हर कोई सो रहा था, सभी के घर के दरवाजे बंद थे। माता लक्ष्मी जी भ्रमण करते हुए एक वृद्ध महिला के घर पहुंचीं, जो चरखा चला रही थी। उन्होंने माता लक्ष्मी को विश्राम करने के लिए बिस्तर आदि की व्यवस्था की, जहां पर माता लक्ष्मी ने विश्राम किया। इस दौरान वह वृदा अपने काम में व्यस्त रही। काम करते-करते वह सो गईं। जब उनकी आंख खुली तो उनकी कुटिया की जगह महल बन गया था। उनके घर में धन-धान्य के अलावा और भी सभी चीजें मौजूद थीं। किसी चीज की कमी नहीं थी। माता लक्ष्मी वहां से कब चली गई थीं, यह उस वृद्ध महिला को पता ही नहीं चल पाया था। माता लक्ष्मी जी ने उस महिला की सेवा से प्रसन्न होकर उस पर कृपा की थी। उसके बाद से हर वर्ष कार्तिक अमावस्या को रात्रि में प्रकाशोत्सव करने की परंपरा शुरू हो गई। इस दिन माता लक्ष्मी के आगमन के लिए लोग अपने घरों के द्वार खोलकर रखने लगे।दिवाली पर झाड़ू के उपाय
दीपावली के दिन घर से पुरानी झाड़ू को हटा दें और उसकी जगह इस दिन नई झाड़ू खरीदें। ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन झाड़ू का दान करना भी बहुत शुभ माना गया है।किस समय करनी चाहिए लक्ष्मी पूजा
लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिये। कुछ स्त्रोत लक्ष्मी पूजा के लिए महानिशिता काल का सुझाव भी देते हैं। लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान ही होता है।इस दिन होती है लक्ष्मी-गणेश की पूजा
लक्ष्मी पूजा के लिए एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर, उस पर श्री गणेश व देवी लक्ष्मी की सुन्दर रेशमी वस्त्रों व आभूषणों से सुसज्जित मूर्तियों को स्थापित किया जाता है। आसन के बायीं ओर एक सफ़ेद कपड़ा बिछाकर, उस पर नवग्रह स्थापित किये जाते हैं।लक्ष्मी पूजा की तैयारी
दीवाली या लक्ष्मी पूजा के दिन लोग अपने घरों और दुकानों को गेंदे के फूल की लड़ियों व अशोक, आम तथा केले के पत्तों से सजाते हैं। इस दिन कलश में नारियल स्थापित कर, उसे घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर रखने को शुभ माना जाता है।लक्ष्मी पूजा व्रत और अनुष्ठान
दीवाली के दिन प्रातः जल्दी उठकर अपने परिवार के पूर्वजों व कुल के देवी-देवताओं का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। पारम्परिक रूप से इस दिन उपवास रखा जाता है। शाम को लक्ष्मी पूजा के बाद ही अन्न ग्रहण करते हैं।
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