दिवाली लक्ष्मी पूजा सामग्री लिस्ट,पूजा शुभ मुहूर्त ,कथा, यहां चेक करें दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त और आरती टाइम
दिवाली लक्ष्मी पूजा सामग्री लिस्ट,पूजा शुभ मुहूर्त ,कथा, यहां चेक करें दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त और आरती टाइम
मां लक्ष्मी की पूजा का सबसे खास पर्व दिवाली इस साल 12 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन मां लक्ष्मी के साथ मां सरस्वती, मां काली, गणेश जी, कुबेर भगवान, राम दरबार की भी पूजा की जाती है। इस बार दिवाली लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त 12 नवंबर की शाम 05:39 से 07:35 तक रहेगा। वहीं दिवाली पर मां काली की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11:39 से 12:32 तक है। बता दें दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस साल कार्तिक अमावस्या 12 नवंबर की दोपहर 02:44 से 13 नवंबर की दोपहर 02:56 तक रहेगी। दिवाली लक्ष्मी पूजा सामग्री की बात करें तो इस दिन पूजा में लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, एक चौकी, लाल कपड़ा, नारियल, कलश, मिट्टी के दीपक समेत कई चीजें लगेंगी। आगे जानिए दिवाली पूजा की विधि, सामग्री लिस्ट, मंत्र, कथा और मुहूर्त।
Diwali Laxmi Puja Samagri List (दिवाली लक्ष्मी पूजा सामग्री लिस्ट)
एक चौकी, लाल कपड़ा, गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा, अक्षत यानी साबुत चावल के दानें, लौंग, इलायची, एक तांबे या पीतल का कलश, कुमकुम, हल्दी, दूर्वा, सुपारी, दो नारियल, 2 बड़े दीपक, 11 छोटे दीपक, घी, सरसों का तेल, आम के पत्ते, पान के पत्ते, मौली, जल पात्र, गंगाजल, पुष्प, कमल का फूल, दीये की बाती, धूप, अगरबत्ती, मिठाई, फल, मीठे बताशे, खील, पकवान, मेवे।
Diwali Laxmi Puja Vidhi 2023 (दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि)
-दिवाली के दिन मुख्य रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
-लक्ष्मी-गणेश पूजन के लिए सबसे पहले पूजा स्थान को साफ़ करें। फिर एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछा लें।
-इसके बाद चौकी पर लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
-ध्यान रखें कि गणेश जी के दाहिनी तरफ माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करनी है।
-इनके साथ भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कलश की स्थापना करें।
-फिर पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें।
-इसके बाद हाथ में कुछ फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें।
-फिर गणेश जी के बीज मंत्र का जाप करें - ऊँ गं गणपतये नम:का जाप करें।
-गणेश जी को तिलक लगाएं और उन्हें दूर्वा तथा मोदक अर्पित करें।
-फिर माता लक्ष्मी का पूजन करें। माता लक्ष्मी को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं।
-इसके बाद मां लक्ष्मी के श्री सूक्त मंत्र का पाठ करें।
-फिर इसी तरह से धन कुबेर और मां सरस्वती का पूजन करें।
-अंत में माता काली का पूजन करें।
-पूजन के बाद माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें।
-भगवान को भोग अर्पित करें।
-आरती के बाद परिवार के लोगों में प्रसादन बांट दें।
-लक्ष्मी और गणेश जी के पूजन के बाद दिवाली के दीपक प्रज्वलित करें।
दिवाली व्रत कथा (Diwali vrat Katha)
एक गांव में एक साहूकार उसकी पत्नी और उसकी बेटी रहती थे। वह रोजाना पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाते थे। इस पीपल के पेड़ में मां लक्ष्मी का निवास था। एक दिन मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी से कहा कि मैं तुम पर बहुत प्रसन्न हूं और अपनी सहेली बनाना चाहती हूं। इस पर लड़की ने कहा कि वह अपने माता-पिता से पूछ कर बताएगी। पिता की आज्ञा मांगने पर उन्होंने इस बात पर स्वीकृति दे दी। इसके बाद मां लक्ष्मी और वह लड़की सहेली बन गए। एक दिन मां लक्ष्मी ने उसे अपने यहां भोजन का निमंत्रण दिया। जब लड़की भोजन करने पहुंची तो मां लक्ष्मी मां ने बड़े ही अच्छे तरीके से उसका स्वागत किया और सोने और चांदी के बर्तनों में खाना खिलाया।Diwali Kali Puja Muhurat ( दिवाली काली पूजा मुहूर्त)
12 नवंबर 2023 को रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से लेकर 13 नवंबर को सुबह 12 बजकर 32 मिनट तक काली पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।Diwali Shpo Puja Muhurat: दिवाली व्यापार पूजा मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा का शुभ समय- 12 नवंबर शाम 5:38 बजे से 7:35 बजे तक।निशिता कर मुहूर्त- 12 नवंबर रात 11:35 बजे से 13 नवंबर दोपहर 12:32 बजे तक।प्रदोष काल- शाम 5:29 बजे से रात 8:08 बजे तक।वृषभ राशि - शाम 5:39 बजे शाम 7:35 बजे तकचौघड़िया पूजा मुहूर्त- दोपहर का मुहूर्त (शुभ चौगड़िया) 12 नवंबर को दोपहर 1:26 बजे से 2:46 बजे तक।दिवाली 2023 निशिता काल मुहूर्त (Diwali 2023 Night Puja muhurat)
शास्त्रों के अनुसार दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा मध्यरात्रि यानी निशिता काल मुहूर्त में भी की जाती है. धन की देवी की आराधना के लिए यह मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस समय देवी लक्ष्मी घर-घर में विचरण करती है और मां लक्ष्मी की पूजा से सहस्त्ररुप सर्व व्यापी लक्ष्मीजी सिद्धि होती हैं.लक्ष्मी पूजा - 12 नवंबर 2023, रात 11:39- 13 नवंबर 2023, प्रात: 12:32 (अवधि - 53 मिनट्स)सिंह लग्न - प्रात: 12:10 - प्रात: 02:27 (13 नवंबर 2023)दिवाली आरती टाइम ( Diwali Aarti Time)
दिवाली के दिन पूजा के समय आरती 6 से 7: 30 बजे के बीच कर सकते हैं।Diwali Laxmi Mata Ki Aarti: लक्ष्मी माता की आरती
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरगदधि की जाता।रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।Diwali Kali Puja Muhurat ( दिवाली काली पूजा मुहूर्त)
12 नवंबर 2023 को रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से लेकर 13 नवंबर को सुबह 12 बजकर 32 मिनट तक काली पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।Diwali lakshmi puja time at Bengaluru : बेंगलुरु दिवाली पूजा शुभ मुहूर्त
बेंगलुरु में ये शुभ मुहूर्त है शाम 06 बजकर 03 मिनट से रात 08 बजकर 05 मिनट तक.Diwali Puja Muhurat 2023: दिवाली पूजा मुहूर्त 2023
लक्ष्मी पूजा रविवार, नवम्बर 12, 2023 परलक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 05:39 पी एम से 07:35 पी एम
अवधि - 01 घण्टा 56 मिनट्स
प्रदोष काल - 05:29 पी एम से 08:08 पी एम
वृषभ काल - 05:39 पी एम से 07:35 पी एम
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 12, 2023 को 02:44 पी एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - नवम्बर 13, 2023 को 02:56 पी एम बजे
दिवाली व्रत कथा (Diwali vrat Katha)
एक गांव में एक साहूकार उसकी पत्नी और उसकी बेटी रहती थे। वह रोजाना पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाते थे। इस पीपल के पेड़ में मां लक्ष्मी का निवास था। एक दिन मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी से कहा कि मैं तुम पर बहुत प्रसन्न हूं और अपनी सहेली बनाना चाहती हूं। इस पर लड़की ने कहा कि वह अपने माता-पिता से पूछ कर बताएगी। पिता की आज्ञा मांगने पर उन्होंने इस बात पर स्वीकृति दे दी। इसके बाद मां लक्ष्मी और वह लड़की सहेली बन गए। एक दिन मां लक्ष्मी ने उसे अपने यहां भोजन का निमंत्रण दिया। जब लड़की भोजन करने पहुंची तो मां लक्ष्मी मां ने बड़े ही अच्छे तरीके से उसका स्वागत किया और सोने और चांदी के बर्तनों में खाना खिलाया।श्री लक्ष्मी चालीसा (Shri Lakshmi Chalisa)
॥ दोहा॥मातु लक्ष्मी करि कृपा,करो हृदय में वास ।मनोकामना सिद्घ करि,परुवहु मेरी आस ॥॥ सोरठा॥यही मोर अरदास,हाथ जोड़ विनती करुं ।सब विधि करौ सुवास,जय जननि जगदंबिका ॥॥ चौपाई ॥सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही ।ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥तुम समान नहिं कोई उपकारी ।सब विधि पुरवहु आस हमारी ॥जय जय जगत जननि जगदम्बा ।सबकी तुम ही हो अवलम्बा ॥तुम ही हो सब घट घट वासी ।विनती यही हमारी खासी ॥जगजननी जय सिन्धु कुमारी ।दीनन की तुम हो हितकारी ॥विनवौं नित्य तुमहिं महारानी ।कृपा करौ जग जननि भवानी ॥केहि विधि स्तुति करौं तिहारी ।सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी ।जगजननी विनती सुन मोरी ॥ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता ।संकट हरो हमारी माता ॥क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो ।चौदह रत्न सिन्धु में पायो ॥ 10चौदह रत्न में तुम सुखरासी ।सेवा कियो प्रभु बनि दासी ॥जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा ।रुप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा ।लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा ॥तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं ।सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ॥अपनाया तोहि अन्तर्यामी ।विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी ॥तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी ।कहं लौ महिमा कहौं बखानी ॥मन क्रम वचन करै सेवकाई ।मन इच्छित वांछित फल पाई ॥तजि छल कपट और चतुराई ।पूजहिं विविध भांति मनलाई ॥और हाल मैं कहौं बुझाई ।जो यह पाठ करै मन लाई ॥ताको कोई कष्ट नोई ।मन इच्छित पावै फल सोई ॥ 20त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि ।त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी ॥जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै ।ध्यान लगाकर सुनै सुनावै ॥ताकौ कोई न रोग सतावै ।पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै ॥पुत्रहीन अरु संपति हीना ।अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना ॥विप्र बोलाय कै पाठ करावै ।शंका दिल में कभी न लावै ॥पाठ करावै दिन चालीसा ।ता पर कृपा करैं गौरीसा ॥सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै ।कमी नहीं काहू की आवै ॥बारह मास करै जो पूजा ।तेहि सम धन्य और नहिं दूजा ॥प्रतिदिन पाठ करै मन माही ।उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं ॥बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई ।लेय परीक्षा ध्यान लगाई ॥ 30करि विश्वास करै व्रत नेमा ।होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा ॥जय जय जय लक्ष्मी भवानी ।सब में व्यापित हो गुण खानी ॥तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं ।तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं ॥मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै ।संकट काटि भक्ति मोहि दीजै ॥भूल चूक करि क्षमा हमारी ।दर्शन दजै दशा निहारी ॥बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी ।तुमहि अछत दुःख सहते भारी ॥नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में ।सब जानत हो अपने मन में ॥रुप चतुर्भुज करके धारण ।कष्ट मोर अब करहु निवारण ॥केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई ।ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई ॥॥ दोहा॥त्राहि त्राहि दुख हारिणी,हरो वेगि सब त्रास ।जयति जयति जय लक्ष्मी,करो शत्रु को नाश ॥रामदास धरि ध्यान नित,विनय करत कर जोर ।मातु लक्ष्मी दास पर,करहु दया की कोर ॥Diwali lakshmi puja time at Mumbai : दिवाली मुंबई लक्ष्मी पूजा टाइम
मुंबई वाले शाम 6 बजकर 12 मिनट से लेकर शाम 8 बजकर 12 मिनट तक कर सकते हैं।दिवाली 2023 निशिता काल मुहूर्त (Diwali 2023 Night Puja muhurat)
शास्त्रों के अनुसार दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा मध्यरात्रि यानी निशिता काल मुहूर्त में भी की जाती है. धन की देवी की आराधना के लिए यह मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस समय देवी लक्ष्मी घर-घर में विचरण करती है और मां लक्ष्मी की पूजा से सहस्त्ररुप सर्व व्यापी लक्ष्मीजी सिद्धि होती हैं.लक्ष्मी पूजा - 12 नवंबर 2023, रात 11:39- 13 नवंबर 2023, प्रात: 12:32 (अवधि - 53 मिनट्स)सिंह लग्न - प्रात: 12:10 - प्रात: 02:27 (13 नवंबर 2023)दिवाली व्रत कथा (Diwali vrat Katha)
एक गांव में एक साहूकार उसकी पत्नी और उसकी बेटी रहती थे। वह रोजाना पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाते थे। इस पीपल के पेड़ में मां लक्ष्मी का निवास था। एक दिन मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी से कहा कि मैं तुम पर बहुत प्रसन्न हूं और अपनी सहेली बनाना चाहती हूं। इस पर लड़की ने कहा कि वह अपने माता-पिता से पूछ कर बताएगी। पिता की आज्ञा मांगने पर उन्होंने इस बात पर स्वीकृति दे दी। इसके बाद मां लक्ष्मी और वह लड़की सहेली बन गए। एक दिन मां लक्ष्मी ने उसे अपने यहां भोजन का निमंत्रण दिया। जब लड़की भोजन करने पहुंची तो मां लक्ष्मी मां ने बड़े ही अच्छे तरीके से उसका स्वागत किया और सोने और चांदी के बर्तनों में खाना खिलाया।Diwali Kali Puja Muhurat ( दिवाली काली पूजा मुहूर्त)
12 नवंबर 2023 को रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से लेकर 13 नवंबर को सुबह 12 बजकर 32 मिनट तक काली पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।लक्ष्मी पूजा पूजा विधि (Lakshmi Puja Vidhi)
ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र स्नान करें।घर और मंदिर को साफ करें।अपने घर को रंगोली, फूलों और लाइटों से सजाएं।नए साफ कपड़े पहनें और लक्ष्मी पूजा के लिए सारी सामग्री एकत्रित कर लें।इस शुभ दिन पर कई साधक व्रत भी रखते हैं।शाम के समय एक लकड़ी के तख्ते पर श्री यंत्र और लड्डू गोपाल जी के साथ भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।21 मिट्टी के दीपक जलाएं और 11 कमल के फूल, पान, सुपारी, इलाइची, लौंग, विभिन्न प्रकार की मिठाइयां, खीर, खील चढ़ाकर देवी लक्ष्मी की पूजा करें।सबसे पहले भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी को तिलक लगाएं और फिर 108 बार लक्ष्मी मंत्र का जाप करें।मां लक्ष्मी के सामने अपने आभूषण और पैसे रख दें और उनसे सौभाग्य प्राप्ति की प्रार्थना करें।अंत में देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती करें।दिवाली पूजा मंत्र ( Diwali 2023 Puja Mantra)
ॐ श्रीं श्रीयै नम:ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥कुबेर मंत्र ( Kuber Mantra)धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पद:।।दीवाली पूजा लक्ष्मी मंत्र ( Lakshmi Mantra)महालक्ष्मी मंत्रॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।श्री लक्ष्मी बीज मंत्रॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥अर्घ्य मंत्रक्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:।।प्रार्थना मंत्रसर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते।मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी।।Ganesh Mantra ( गणेश मंत्र)गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:। नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।। धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:। गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।'Diwali Simple Rangoli: दिवाली सिंपल रंगोली
दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त (Diwali 2023 Chaughadiya Muhurat)
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - दोपहर 02:44 - दोपह 02:47 पी एम (12 नवंबर 2023)सायाह्न मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - शाम 05:29 - रात 10:26 पी एम (12 नवंबर 2023)रात्रि मुहूर्त (लाभ) - प्रात: 01:44 - प्रात: 03:24 (13 नवंबर 2023)उषाकाल मुहूर्त (शुभ) - प्रात: 05:06 - 06:45 (13 नवंबर 2023)चोपड़ा पूजा विधि( Chopda Puja Vidhi)
चोपड़ा पूजा के दिन शारदा मां और माता लक्ष्मी के साथ- साथ गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन घर में और दुकान में लक्ष्मी माता और सरस्वती माता और गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित करें। उसके बाद धूप- दीप जलाकर पुष्प अर्पित करें। इसके साथ ही इस दिन पूजा में मंत्रों का जाप करें । उसके बाद मिठाई का भोग लगाकर सब में प्रसाद वितरित करें।Diwali Pujan Samagri List (दिवाली पूजा सामग्री)
- एक चौकी
- लाल कपड़ा
- भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा या फोटो
- सुपारी
- लौंग
- इलायची
- अक्षत यानी साबुत चावल के दानें
- एक तांबे या पीतल का कलश
- दो नारियल
- 2 बड़े दीपक
- 11 छोटे दीपक
- आम के पत्ते
- पान के पत्ते
- कुमकुम
- हल्दी
- दूर्वा
- मौली
- घी
- जल पात्र
- गंगाजल
- पुष्प
- कमल का फूल
- मीठे बताशे
- खील
- मिठाई
- फल
- पकवान
- सरसों का तेल
- दीये की बाती
- धूप
- अगरबत्ती
- मेवे
Diwali Easy Rangoli: दिवाली रंगोली
Diwali Rangoli Design: दिवाली रंगोली
Today Trading Muhurat Time On Diwali 2023 (दिवाली ट्रेडिंग मुहूर्त 2023)
मुहूर्त ट्रेडिंग 12 नवंबर को शाम 6 बजे से सवा 7 बजे तक चलेगी। इसमें 6 से 6:15 बजे तक प्री-ओपनिंग होगी। इसके बाद 6.15 से 7.15 तक आम लोग ट्रेडिंग करेंगे। वहीं ट्रेड में मोडिफिकेशन शाम 7.25 बजे पर कर सकेंगे। बाजार बंद शाम को शाम 7:30 से लेकर 7:38 तक और मार्केट शाम को 7:40 पर बंद होगा।Today Muhurat Trading Time 2023: दिवाली पर मुहूर्त ट्रेडिंग का समय 2023
प्री-ओपन सेशन6:00 PM - 6:08 PMमुहूर्त ट्रेडिंग6:15 PM - 7:15 PM
बंद होने के बाद7:30 - 7:38 PM
बाजार बंद करें7:40 पीएम
दिवाली पर क्यों की जाती है लक्ष्मी- गणेश की पूजा ( Diwali 2023 Lakshmi Ganesh Puja)
हिंदू धर्म में भगवान श्री गणेश को प्रथम पूज्य के रूप में पूजा जाता है। इसलिए किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अनिवार्य है। माना जाता है कि इससे सभी कार्य सफलतापूर्वक पूरे होंगे और आपको सकारात्मक परिणाम मिलेगा। शास्त्र यह भी कहते हैं कि दिवाली पर लक्ष्मी पूजन करते समय भगवान विष्णु की बजाय भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु से बातचीत के दौरान देवी लक्ष्मी ने कहा कि मैं तुम्हें धन, समृद्धि और सभी आशीर्वाद दूंगी।ऐसे में मेरी पूजा सर्वोत्तम होनी चाहिए। भगवान विष्णु को देवी लक्ष्मी के इस घमंड के बारे में पता चला और उन्होंने इसे तोड़ने का फैसला किया। भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी से कहा कि भले ही वह सुख और समृद्धि लाती हैं, लेकिन जब तक वह मातृत्व का आनंद प्राप्त नहीं कर लेती, तब तक एक महिला अधूरी रहती है। अत: आपकी पूजा श्रेष्ठ नहीं मानी जा सकती। यह सुनकर माता लक्ष्मी बहुत निराश हुईं और अपना दुःख व्यक्त करने के लिए माता पार्वती के पास आईं। माता लक्ष्मी की पीड़ा देखकर माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को गोद दे दिया। इससे संतुष्ट होकर माता ने घोषणा की कि देवी लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा करने से ही धन और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। तभी से दिवाली पर देवी लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है।Ganesh Ji Ki Aarti: दिवाली की सुबह-सुबह जरूर करें गणेश जी की आरती
Ganesh Ji Ki Aarti (गणेश जी की आरती)जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
Happy Diwali 2023: दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं
जगमग-जगमग आई दिवालीखुशियां ढेरों लाई दिवाली
घर आंगन में खुशियां महके
प्यार, स्नेह की रंगोली छाई
दीप पर्व की हार्दिक बधाई और मंगलकामना
लक्ष्मी चालीसा ( Lakshmi Chalisa)
|दोहा ||मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥॥ सोरठा॥यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥॥ चौपाई ॥सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥॥ श्री लक्ष्मी चालीसा ॥तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥जय जय जगत जननि जगदंबा सबकी तुम ही हो अवलंबा॥तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥॥ दोहा॥त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास। जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर। मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोरDiwali Par Kya Karen (दिवाली पर क्या करें)
दिवाली के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ एवं सुन्दर वस्त्र धारण करें।दिन में पकवान बनाएं और घर सजाएं। अपने से बड़ों का आशीर्वाद लें।शाम को पूजा से पहले पुनः स्नान करें।इसके बाद लक्ष्मी-गणेश की विधि-विधान से पूजा करें। व्यावसायिक प्रतिष्ठान, गद्दी की भी विधिपूर्वक पूजा करें। घर के मुख्य द्वार पर दिपक जलाएं।Diwali 2023 Wishes In Hindi: दिवाली विशेज हिंदी में
दीपों का ये पावन त्योहार,आपके लिए लाए खुशियां हजार,लक्ष्मी जी विराजें आपके द्वार,हमारी शुभकामनाएं करे स्वीकार !आसमान है रोशन पटाखों की रोशनी से,खुशी का मौसम है चारों दिशाओं में,आई दीपावली ढेर सारा प्यार लाई,हर एक घर में चमक की मस्ती छाई !दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि (Diwali 2023 Lakshmi Puja)
लक्ष्मी जी की चौकी : दिवाली पूजा के लिए लक्ष्मी जी की चौकी बनाना चाहिए. इसके लिए कुछ उंचाई पर एक चौकी स्थापित करें. फिर इस पर एक लाल कपड़ा बिछाएं. फिर एक मुट्ठी चावल रखकर चौकी के मध्य में रखें.कलश स्थापना : दिवाली पर लक्ष्मी जी की पूजा शुरू करने से पहले कलश की स्थापना का भी विधान है. चावल के बीच में एक तांबा, पीतल या चांदी का कलश रखें. 3/4 कलश में पानी भरें और उसमें गेंदे का फूल, चावल के कुछ दाने. एक धातु का सिक्का और 1 साबुच सुपारी रखें. कलश के मुख पर पांच आम के पत्ते रखें. इन आम के पत्तों पर हल्दी की एक छोटी प्लेट रखें और हल्दी से कमल का फूल बनाएं.लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति : दिवाली पर लक्ष्मी जी पूजा के दौरान लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति या चित्र को चौकी के केंद्र में रखें. ध्यान रखें कि मूर्ति को कलश के दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही रखें. इसके बाद लक्ष्मी जी के सामने चावल की एक छोटी सी थाली रखें और चावल पर हल्दी से कमल का फूल बनाएं. साथ ही सिक्के, नोट, सोने की गिन्नी आभूषण आदि रख सकते हैं.लक्ष्मी मंत्र (Diwali Lakshmi Mantra)
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीदॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि,तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥लक्ष्मी पूजा तिथि और समय (Diwali Lakshmi Puja Shubh Time)
अमावस्या तिथि प्रारंभ - 12 नवंबर 02:44 सेअमावस्या तिथि समापन - 13 नवंबर, 02:56 तकलक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 12 नवंबर शाम 05:19 बजे से शाम 07:19 बजे तकDiwali 2023 Mantra: दिवाली मंत्र
अर्घ्य पूजा मंत्रक्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्यं नमो नमः॥निवेदन पूजा मंत्रसुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता।सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तामिदं ग्रस॥प्रार्थना पूजा मंत्रसर्वदेवमये देवि सर्वदेवैरलङ्कृते।मातर्ममाभिलषितं सफलं कुरु नन्दिनि॥Diwali Katha: दिवाली कथा
एक गांव में एक साहूकार और उसकी बेटी रहती थी। वह रोजाना पीपल पर जल चढ़ाने जाती थी। इस पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास था। फिर एक दिन ऐसा हुआ कि लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी ने कहा कि वो अपने पिता से पूछकर बताएगी। जब उसने अपने पिता से यह पूछा तो उन्होंने हां कर दी। फिर साहूकार की बेटी ने मां लक्ष्मी को सहेली बनने के लिए सहमती दे दी। इसके बाद साहूकार की बेटी और मां लक्ष्मी अच्छे मित्र बन गए।फिर एक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गईं। मां लक्ष्मी ने उसका स्वागत उनके घर में किया। उसे भोजन कराया। साहूकार की बेटी वापस अपने घर लौटने लगी तो लक्ष्मी जी ने कहा कि वो उन्हें अपने घर पर बुलाएगी। इस पर लड़की ने उन्हें अपने घर आने का निमंत्रण दे दिया। लेकिन साहूकार की हालत सही नहीं थी। लड़की को लगा कि वो ठीक तरह से उनका स्वागत नहीं कर पाएंगी।साहूकार ने अपनी बेटी को उदास देखा। वो समझ गया था कि उसकी बेटी क्यों परेशान है। साहूकार ने कहा कि तू मिट्टी से चौका लगा और साफ-सफाई कर। साथ ही चार बत्ती के मुख वाला दिया भी जलाए। इसके बाद लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जाए। इस दौरान एक चील आई और लड़की के पास किसी का नौलखा हार छोड़कर चली गई। फिर लड़की ने उस हार को बेचा और भोजन की तैयारी की। फिर कुछ देर बाद लक्ष्मी जी श्री गणेश के साथ आईं। लड़की ने उनकी खूब सेवा की और इससे लक्ष्मी जी बेहद प्रसन्न हुईं। लक्ष्मी जी ने प्रसन्न होकर साहूकार को बहुत अमीर बन दिया।छोटी दिवाली के चमत्कारी उपाय (Chhoti Diwali Upay)
अगर छोटी दिवाली के दिन सुबह उठकर तेल की मालिश के बाद पूरे शरीर पर उबटन लगाया जाए, तो मां लक्ष्मी की कृपा से सौंदर्या की प्राप्ति होती है। साथ ही उस व्यक्ति पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है।छोटी दिवाली पर यमदेव के लिए दीया जलाना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना गया है। इस बात का ध्यान रखें कि यह दीया घर की दक्षिण दिशा में जलाएं। साथ ही यह दीपक चार मुखी और सरसों के तेल का होना चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।छोटी दिवाली के दिन मां काली की पूजा का भी विधान है। अगर कोई व्यक्ति इस दिन मां काली की विशेष पूजा करता है, तो उसके जीवन की सभी परेशानियों का अंत तुरंत हो जाता है। साथ ही इस दिन मां के इस मंत्र 'ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा' का जाप बेहद फलदायी माना गया है।दिवाली 2023 अमावस्या तिथि (Diwali Amavasya Thithi)
हिंदू कैलेंडर के अनुसार दिवाली का पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 02:44 बजे से शुरू हो जाएगी जो अगले दिन यानी 13 नवंबर, सोमवार को दोपहर 02:56 बजे खत्म होगी। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा हमेशा अमावस्या तिथि के प्रदोष काल में मनाई जाती है। इस कारण से 12 नवंबर को प्रदोष काल में लक्ष्मी-गणेशजी की पूजा होगी।Diwali Ke Din Kya Karen ( दिवाली के दिन क्या करें)
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन की तैयारी सूर्योदय से पहले ही स्नान आदि से निवृत्त होकर कर लेनी चाहिए। पूजा से पहले घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करनी चाहिए। दिवाली पूजन में गाय के घी का इस्तेमाल करना चाहिए। घर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर दीपक जलाना चाहिए। गणेश-लक्ष्मी पूजा के दौरान लाल वस्त्रों को धारण करना शुभ माना जाता है।लक्ष्मी मंत्र (Diwali Lakshmi Mantra)
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीदॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि,तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥Aaj Ka Panchang 26 November 2024: पंचांग से जानिए उत्पन्ना एकादशी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, कब से कब तक रहेगा राहुकाल
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