Diwali 2024 kali Puja vidhi: दिवाली पर कैसे करें मां काली की पूजा, यहां जानिए पूरी विधि स्टेप बाय स्टेप

Diwali 2024 kali Puja vidhi: दिवाली के दिन बंगाल में काली माता की पूजा होती है। कहते हैं जो भक्त सच्चे मन से दिवाली की रात को मां काली को पूजता है उसके जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं।

Diwali 2024 kali Puja vidhi

Diwali 2024 kali Puja vidhi

Diwali 2024 kali Puja vidhi: दिवाली पर काली पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है। जहां दिवाली पर देश के हर राज्य में मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा होती है तो वहीं बंगाल में इस दिन काली पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या की आधी रात में मां काली की पूजा करने से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं। चलिए आपको बताते हैं काली पूजा की विधि, मुहूर्त, मंत्र सबकुछ।

Diwali 2024 Laxmi Puja Vidhi

दिवाली काली पूजा मुहूर्त 2024 (Diwali Kali Puja Muhurat 2024)

इस साल काली पूजा 31 अक्तूबर 2024 को मनाई जाएगी। काली पूजा का शुभ मुहूर्त 11:39 PM से 12:31 AM तक रहेगा। ये निशिता काल समय है। माता काली की पूजा के लिए यही मुहूर्त शुभ माना जाता है।

काली पूजा सामग्री (Kali Puja Samagri)

मां काली की प्रतिमा, अगरबत्ती, बताशा, हलवा, पूड़ी, मीठा पान, अक्षत, सुपारी, लौंग, नारियल आदि, माता काली की तस्वीर, गुड़हल का फूल, धूप, दीप आदि।

दिवाली काली पूजा विधि (Diwali Kali Puja Vidhi)

  • मां काली की पूजा के लिए सुबह स्नान कर तैयार हो जाएं।
  • माता काली की मूर्ति को एक चौकी पर लाल या काले कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।
  • फिर मां काली का आह्वान करें।
  • माता काली की मूर्ति पर जल, दूध और फूल अर्पित करें।
  • फिर माता को सिंदूर, हल्दी, कुमकुम और काजल चढ़ाएं।
  • माता को फूल माला पहनाएं।
  • उनके समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं और कपूर से उनकी आरती करें।
  • माता की प्रतिमा के आगे धूप या अगरबत्ती जलाएं।
  • फिर मिठाई, फल और नैवेद्य मां को अर्पित करें।
  • पूजा के समय ॐ क्रीं काली या क्रीं काली का जाप करें।
  • फिर मां काली की कपूर से आरती करें। पूजा क बाद प्रसाद सभी में बांट दें।
मां काली मंत्र (Maa Kali Mantra)

  • ॐ क्रीं काली
  • ॐ क्रीं कालिकायै नमः
  • ॐ श्री महा कलिकायै नमः

दिवाली काली पूजा सरल विधि (Diwali Kali Puja Kaise Kare)

माता काली की पूजा में विशेष रूप से 108 गुड़हल के फूल, 108 बेलपत्र और माला, 108 मिट्टी के दीपक और 108 दुर्वा चढ़ाए जाने की परंपरा है। इसके अलावा इस दिन मौसमी फल, खीर, तली हुई सब्जी, मिठाई, खिचड़ी और अन्य व्यंजनों का भी भोग चढ़ाया जाता है। इस दिन भक्तजन सुबह से रात तक उपवास रखते हैं और रात्रि में विधि विधान पूजा करके अपना व्रत खोलते हैं।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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