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दिवाली के दिन आरती किस टाइम की जाएगी, यहां देखें पूरी विधि, सामग्री लिस्ट, मंत्र, कथा, मुहूर्त सहित सारी जानकारी

दिवाली का पावन पर्व इस साल कहीं 31 अक्टूबर तो कहीं 1 नवंबर को मनाया जा रहा है। जो लोग 1 नवंबर को दिवाली मना रहे हैं वो जान लें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि।

दिवाली के दिन आरती किस टाइम की जाएगी, यहां देखें पूरी विधि, सामग्री लिस्ट, मंत्र, कथा, मुहूर्त सहित सारी जानकारी
आज दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। ये दिन माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए सबसे खास माना जाता है। दिवाली की शाम में लोग लक्ष्मी-गणेश का पूजन करते हैं। घर के मुख्य द्वार पर रंगोली मनाते हैं। एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर दिवाली की शुभकामनाएं देते हैं। मान्यताओं अनुसार दिवाली की रात में माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं और इस दौरान जो व्यक्ति उनकी सच्चे मन से अराधना करता है उस पर माता अपनी कृपा जरूर बरसाती है। चलिए जानते हैं दिवाली पर्व कैसे और क्यों मना जाता है। इसकी पूजा विधि क्या है।

Diwali Ki Katha (दिवाली की कथा pdf)
एक समय की बात है कार्तिक अमावस्या को लक्ष्मीजी भ्रमण करने के लिए निकलीं थीं। उस दिन चारों तरफ अंधकार व्याप्त था। जिस कारण वो रास्ता भूल गईं। तब उन्होंने निश्चय किया कि वो रात वे मृत्युलोक यानी धरती पर ही गुजार लेंगी और सूर्योदय के बाद बैकुंठधाम वापस चली जाएंगी। उस रात माता ने देखा कि लोग अपने घरों के द्वार बंद कर सो रहे हैं। तभी माता को अंधकार के साम्राज्य में एक द्वार खुला देखा जिसमें दीपक जल रहा था। माता दीपक की रोशनी देख उसी घर की तरफ चल दीं। वहां माता ने एक बूढ़ी महिला को चरखा चलाते देखा। उस रात माता वृद्धि महिला की अनुमति से उसी के घर ठहर गईं। वृद्ध महिला ने माता को आराम करने के लिए बिस्तर दिया। इसके बाद वो फिर से अपने काम में लग गई। चरख चलाते चलाते बूढ़ी महिला को नींद आ गई। जब दूसरे दिन सुबह उसकी आंख खुली तो उसने देखा जो महिला रात में रूकी थी वो चली गई है। लेकिन बुढ़िया ये देखकर हैरान रह गई कि उसकी कुटिया में महल में बदल चुकी है। चारों तरफ धन-धान्य और रत्न बिखरे हुए थे। कथा अनुसार जो व्यक्ति अमावस्या की रात में माता की सच्चे मन से अराधना करता है उसके जीवन में धन-दौलत की कभी कमी नहीं होती। हे लक्ष्मी माता जैसे आप उस वृद्ध महिला पर प्रसन्न हुईं ठीक वैसे ही सब पर प्रसन्न होना। कहते हैं तभी से कार्तिक अमावस पर दीप जलाने की परंपरा शुरू हो गई। इसलिए इस दिन लोग द्वार खोलकर और दीपक जलाकर माता लक्ष्मी के आने की प्रतिक्षा करते हैं।

दिवाली लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 2024 (Diwali Laxmi Pujan Muhurat 2024)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 05:36 PM से 06:16 PM
प्रदोष काल - 05:36 PM से 08:11 PM
वृषभ काल - 06:20 PM से 08:15 PM
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त स्थिर लग्न के बिना

Diwali Wishes In Hindi

दिवाली चौघड़िया मुहूर्त 2024 (Diwali Choghadiya Muhurat 2024)
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 06:33 से 10:42
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - 12:04 PM से 1:27 PM
अपराह्न मुहूर्त (चर) - 04:13 PM से 05:36 PM

दिवाली लक्ष्मी पूजा की विधि (Diwali Laxmi Puja Vidhi)
  • दिवाली पर मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा की जाती है।
  • दिवाली के दिन पूजन से पहले घर की साफ-सफाई करें और पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
  • घर के मंदिर के पास और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं।
  • फिर पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। फिर चौकी पर लक्ष्मी जी, सरस्वती जी, कुबेर देवता और गणेश जी की मूर्ति रखें।
  • चौकी के पास जल से भरा एक कलश भी रखें।
  • फिर भगवान की मूर्तियों पर तिलक लगाएं और घी का दीपक जलाएं।
  • फिर भगवान को जल, मौली, गुड़, हल्दी, चावल, फल, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें और साथ में महालक्ष्मी की स्तुति करें।
  • मां लक्ष्मी के साथ ही मां सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि विधान पूजा करें।
  • महालक्ष्मी पूजा के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरणों की भी पूजा करें।
  • पूजन के बाद जरुरतमंद को मिठाई और दक्षिणा दें।

दिवाली पूजन सामग्री (Diwali Pujan Samagri)
लकड़ी की चौकी, लाल कपड़ा, कुमकुम, हल्दी की गांठ, रोली, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति,अगरबत्ती, धूप, दीपक, पान, सुपारी, लोंग, माचिस, फूल, फल, कपूर, घी, गंगाजल, पंचामृत, गेहूं, दूर्वा घास, चांदी के सिक्के, जनेऊ, खील बताशे और कलावा होना चाहिए।
Nov 1, 2024 | 03:54 PM IST

महालक्ष्मी मन्त्र (Mahalaxmi Mantra)

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
Nov 1, 2024 | 03:11 PM IST

diwali aarti time 2024: दिवाली की आरती का समय

दिवाली की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए शाम में दिवाली पूजा के बाद आरती कर सकते हैं।
Nov 1, 2024 | 02:42 PM IST

दिवाली पर दीपक कहां-कहां रखने चाहिए (Diwali Par Deepak Kha Kha Rakhe)

सबसे पहले मंदिर में सरसो और घी का दीपक जलाएं
मुख्य द्वार पर दीपक जरूर रखें
लिविंग रूम में दीपक जलाकर रखना चाहिए
घर की रसोई में दीये जरूर जलाएं
छत और बालकनी में भी दीपक जरूर जलाएं
एक दीपक तुलसी के पौधे के पास रखें
एक दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं
एक दीया घर के पास किसी मंदिर में जाकर जलाएं
इसके अलावा घर के हर कमरे के द्वार पर भी दीये रखने चाहिए
Nov 1, 2024 | 02:08 PM IST

दिवाली पूजा मंत्र

ऊँ गं गणपतये नमो नमः ।
ॐ महालक्ष्म्यै नमो नमः
ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह।
Nov 1, 2024 | 01:30 PM IST

Diwali aarti lyrics

ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
Nov 1, 2024 | 12:50 PM IST

लक्ष्मी जी की आरती लिरिक्स: laxmi ji ke aarti lyrics

ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
Nov 1, 2024 | 12:05 PM IST

दिवाली पूजा विधि (Diwali Pujan Vidhi)

दिवाली लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी या पटरा रख दें।
इस पटरे पर लाल या गुलाबी रंग का एक सुंदर कपड़ा बिछा लें।
चौकी पर सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति विराजित करें। फिर उनके दाहिनी ओर मां लक्ष्मी जी की तस्वीर रख दें।
फिर खुद आसान पर बैठें और अपने चारों तरफ गंगाजल छिड़क लें। इसके बाद पूजा प्रारंभ करें।
सबसे पहले भगवान गणेश को रोली और दूर्वा अर्पित की जाती है और फिर मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करें।
इसके बाद लक्ष्मी-गणेश जी की प्रतिमा पर फूल चढ़ाएँ। मंदिर में भगवान की प्रतिमा के सामने एक मुखी घी का दीपक जलाएं।
इसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें। लक्ष्मी चालीसा पढ़ सकते हैं।
माता लक्ष्मी और गणेश जी को प्रसाद चढ़ाएं।
अंत में लक्ष्मी-गणेश जी की आरती करें और फिर शंखनाद करें।
पूजा के बाद घर के अलग-अलग हिस्सों में दीपक जरूर जलाएं।
दिवाली रोशनी का त्योहार है। इसलिए इस दिन घर के हर कोने में दीपक जलाना चाहिए।
Nov 1, 2024 | 10:28 AM IST

दिवाली पूजा विधि (Diwali Puja Vidhi In Hindi)

  • दिवाली पर लक्ष्मी-पूजन से पहले घर की अच्छे से सफाई कर लें।
  • फिर पूजा स्थान पर एक चौकी रखें और उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछा लें।
  • इस चौकी पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें। ध्यान रखें कि गणेश जी के दाहिनी तरफ माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करनी है।
  • इनके साथ आप राम दरबाकर, भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कलश की भी स्थापना करें।
  • पूजा स्थान पर सबसे पहले सभी मूर्तियों और पूजा सामग्री पर गंगाजल छिड़कें। फिर हाथ में लाल या पीले फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें और उनके बीज मंत्र - ऊँ गं गणपतये नम:का जाप करें।
  • फिर गणेश जी को तिलक लगाएं और उन्हें दूर्वा और मोदक लड्डू अर्पित करें।
  • फिर माता लक्ष्मी का पूजन करें। माता लक्ष्मी को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं और श्री सूक्त मंत्र का पाठ करें। इसी तरह आप धन कुबेर, राम दरबार और मां सरस्वती का पूजन करें।
  • कई लोग दिवाली की रात में माता काली की भी पूजा करते हैं।
  • पूजा के बाद माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें।
  • इसके बाद घर के कोने-कोने में दीपक जलाकर रखें। मंदिर में एक घी का बड़ा दीपक और एक सरसों के तेल का बड़ा दीपक जरूर रखें। जो पूरी रात जलता रहेगा।
Nov 1, 2024 | 08:46 AM IST

दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन कब करना चाहिए

लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान ही होता है, जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है। ऐसा माना जाता है कि, अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है। इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।
Nov 1, 2024 | 07:16 AM IST

2024 में दिवाली का शुभ मुहूर्त क्या है?

दिवाली 2024 का शुभ मुहूर्त: लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त :17:35:38 से 18:18:58 तक
अवधि :0 घंटे 43 मिनट
प्रदोष काल :17:35:38 से 20:11:20 तक
वृषभ काल :18:21:23 से 20:17:16 तक
Oct 31, 2024 | 06:59 PM IST

लक्ष्मी आरती

ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।

ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
Oct 31, 2024 | 06:27 PM IST

गणेश चालीसा

॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥

॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू ।
मंगल भरण करण शुभः काजू ॥

जै गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥

राजत मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥

ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥

एक समय गिरिराज कुमारी ।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥

अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥

अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा ।
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥

गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥

कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥

हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो ।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥

चले षडानन, भरमि भुलाई ।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहसमुख सके न गाई ॥

मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥

अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥

॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा,
पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै,
लहे जगत सन्मान ॥
Oct 31, 2024 | 06:13 PM IST

diwali katha in hindi

एक समय की बात है कार्तिक अमावस्या को लक्ष्मीजी भ्रमण करने के लिए निकलीं थीं। उस दिन चारों तरफ अंधकार व्याप्त था। जिस कारण वो रास्ता भूल गईं। तब उन्होंने निश्चय किया कि वो रात वे मृत्युलोक यानी धरती पर ही गुजार लेंगी और सूर्योदय के बाद बैकुंठधाम वापस चली जाएंगी। उस रात माता ने देखा कि लोग अपने घरों के द्वार बंद कर सो रहे हैं। तभी माता को अंधकार के साम्राज्य में एक द्वार खुला देखा जिसमें दीपक जल रहा था। माता दीपक की रोशनी देख उसी घर की तरफ चल दीं। वहां माता ने एक बूढ़ी महिला को चरखा चलाते देखा। उस रात माता वृद्धि महिला की अनुमति से उसी के घर ठहर गईं। वृद्ध महिला ने माता को आराम करने के लिए बिस्तर दिया। इसके बाद वो फिर से अपने काम में लग गई।

चरख चलाते चलाते बूढ़ी महिला को नींद आ गई। जब दूसरे दिन सुबह उसकी आंख खुली तो उसने देखा जो महिला रात में रूकी थी वो चली गई है। लेकिन बुढ़िया ये देखकर हैरान रह गई कि उसकी कुटिया में महल में बदल चुकी है। चारों तरफ धन-धान्य और रत्न बिखरे हुए थे। कथा अनुसार जो व्यक्ति अमावस्या की रात में माता की सच्चे मन से अराधना करता है उसके जीवन में धन-दौलत की कभी कमी नहीं होती।

हे लक्ष्मी माता जैसे आप उस वृद्ध महिला पर प्रसन्न हुईं ठीक वैसे ही सब पर प्रसन्न होना। कहते हैं तभी से कार्तिक अमावस पर दीप जलाने की परंपरा शुरू हो गई। इसलिए इस दिन लोग द्वार खोलकर और दीपक जलाकर माता लक्ष्मी के आने की प्रतिक्षा करते हैं।
Oct 31, 2024 | 05:56 PM IST

diwali ke aarti ka time

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। पूजा के बाद आप आरती कर सकते हैं।
Oct 31, 2024 | 05:37 PM IST

om jai jagdish hare lyrics

ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट दास ज़नो के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे दुःख बिन से मन का
स्वामी दुख बिन से मन का
सुख सम्पति घर आवे
सुख सम्पति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे
शरण गहूं किसकी
स्वामी शरण गहूं किसकी
तुम बिन और ना दूजा
तुम बिन और ना दूजा
आस करूँ जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा
तुम अंतरियामी
स्वामी तुम अंतरियामी
पार ब्रह्म परमेश्वर
पार ब्रह्म परमेश्वर
तुम सबके स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर
तुम पालन करता
स्वामी तुम पालन करता
मैं मूरख खलकामी
मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर
सबके प्राण पति
स्वामी सबके प्राण पति
किस विध मिलु दयामय
किस विध मिलु दयामय
तुम को मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
दीन बन्धु दुःख हर्ता
ठाकुर तुम मेरे
स्वामी रक्षक तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपनी शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
विषय-विकार मिटाओ पाप हरो देवा
स्वामी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट
दास ज़नो के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट
दास जनो के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
Oct 31, 2024 | 05:11 PM IST

दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त- कोलकाता

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 05:45 से 06:16
अवधि - 00 घण्टे 31 मिनट
प्रदोष काल - 04:59 से 07:31
वृषभ काल - 05:45 से 07:44
Oct 31, 2024 | 04:41 PM IST

दीवाली पूजन मंत्र

ऊँ गं गणपतये नमो नमः ।
ॐ महालक्ष्म्यै नमो नमः
ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह।
Oct 31, 2024 | 04:18 PM IST

laxmi aarti lyrics: लक्ष्मी आरती लिरिक्स

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरगदधि की जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
Oct 31, 2024 | 03:51 PM IST

लक्ष्मी गायत्री मन्त्र (Laxmi Gayatri Mantra)

ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि,

तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
Oct 31, 2024 | 03:31 PM IST

दिवाली की कथा

सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में ऋषि दुर्वासा के श्राप के चलते स्वर्ग श्रीविहीन हो गया था। यह जान दानवों ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया। लक्ष्मी विहीन होने के चलते देवता युद्ध के मैदान में दानवों के पास टिक नहीं सके। फलतः उन्हें स्वर्ग छोड़ना पड़ा। अब स्वर्ग पर दानवों का अधिपत्य हो गया। तब देवता, ब्रह्मा और विष्णु जी के पास गए और उन्हें अपनी आपबीती बताई। विष्णु जी को पूर्व से इसकी जानकारी थी। उस समय विष्णु जी ने देवताओं को समुद्र मंथन कर अमृत प्राप्त करने की सलाह दी। साथ ही यह भी कहा कि अमृत पान कर आप सब अमर हो जाएंगे। इसके बाद आपको युद्ध में कोई परास्त नहीं कर पायेगा। हां, समुद्र मंथन के लिए आपको दानवों की सहायता लेनी पड़ेगी। कालांतर में देवताओं ने दानवों की मदद से समुद्र मंथन किया। इसमें वासुकि नाग और मंदार पर्वत से समुद्र मंथन किया गया। समुद्र मंथन से न केवल अमृत की प्राप्ति हुई, बल्कि धन की देवी मां लक्ष्मी भी पुनः अवतरित हुईं। देवता अमृत पान कर अमर हो गए। वहीं, लक्ष्मी की कृपा से स्वर्ग में पुनः सुख, सौभाग्य और ऐश्वर्य लौट आया। इसके लिए हर वर्ष कार्तिक अमावस्या पर दीवाली मनाई जाती है। एक अन्य कथा के अनुसार, राजा बलि के अनुरोध पर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। वहीं, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में दीवाली मनाई जाती है।
Oct 31, 2024 | 03:03 PM IST

Diwali Puja Vidhi: दिवाली पूजा विधि

लक्ष्मी पूजन विधि में लक्ष्मी जी की प्रतिमा या तस्वीर के पास चाँदी के बर्तन में सिक्कों को स्नान कराना, पूजा करते समय मंत्रों का उच्चारण करना और विभिन्न पूजा सामग्री चढ़ाना शामिल है। महालक्ष्मी पूजन की एक अत्यन्त सरल विधि है, जिसके प्रभाव से इस दीपावली को दरिद्रता आपके घर से दूर चली जाएगी।
Oct 31, 2024 | 02:37 PM IST

Lakshmi Stotram in Hindi (लक्ष्मी स्तोत्र)

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।

शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।

सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।

सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।

मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।

योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।

महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।

परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।

जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।

सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।

द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।

त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।

महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।
Oct 31, 2024 | 02:01 PM IST

Saraswati Chalisa (सरस्वती चालीसा लिरिक्स)

दोहा

जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।

बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥

पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।

दुष्टजनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥

चालीसा

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।

जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥

जय जय जय वीणाकर धारी।

करती सदा सुहंस सवारी॥

रूप चतुर्भुज धारी माता।

सकल विश्व अन्दर विख्याता॥

जग में पाप बुद्धि जब होती।

तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥

तब ही मातु का निज अवतारी।

पाप हीन करती महतारी॥

वाल्मीकिजी थे हत्यारा।

तव प्रसाद जानै संसारा॥

रामचरित जो रचे बनाई।

आदि कवि की पदवी पाई॥

कालिदास जो भये विख्याता।

तेरी कृपा दृष्टि से माता॥

तुलसी सूर आदि विद्वाना।

भये और जो ज्ञानी नाना॥

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।

केवल कृपा आपकी अम्बा॥

करहु कृपा सोइ मातु भवानी।

दुखित दीन निज दासहि जानी॥

पुत्र करहिं अपराध बहूता।

तेहि न धरई चित माता॥

राखु लाज जननि अब मेरी।

विनय करउं भांति बहु तेरी॥

मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
Oct 31, 2024 | 01:30 PM IST

कुबेर मंत्र (Kuber Mantra)

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये

धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

-ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥

-ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
Oct 31, 2024 | 01:14 PM IST

दिवाली पूजा विधि (Diwali Pujan Vidhi)

दिवाली लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी या पटरा रख दें।
इस पटरे पर लाल या गुलाबी रंग का एक सुंदर कपड़ा बिछा लें।
चौकी पर सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति विराजित करें। फिर उनके दाहिनी ओर मां लक्ष्मी जी की तस्वीर रख दें।
फिर खुद आसान पर बैठें और अपने चारों तरफ गंगाजल छिड़क लें। इसके बाद पूजा प्रारंभ करें।
सबसे पहले भगवान गणेश को रोली और दूर्वा अर्पित की जाती है और फिर मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करें।
इसके बाद लक्ष्मी-गणेश जी की प्रतिमा पर फूल चढ़ाएँ। मंदिर में भगवान की प्रतिमा के सामने एक मुखी घी का दीपक जलाएं।
इसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें। लक्ष्मी चालीसा पढ़ सकते हैं।
माता लक्ष्मी और गणेश जी को प्रसाद चढ़ाएं।
अंत में लक्ष्मी-गणेश जी की आरती करें और फिर शंखनाद करें।
पूजा के बाद घर के अलग-अलग हिस्सों में दीपक जरूर जलाएं।
दिवाली रोशनी का त्योहार है। इसलिए इस दिन घर के हर कोने में दीपक जलाना चाहिए।
Oct 31, 2024 | 12:43 PM IST

Diwali Bhog List: दिवाली भोग

दिवाली की पूजा में मखाने और खिल का भोग लगाना बहुत ही शुभ होता है। लक्ष्मी जी को मखाना बहुत ही प्रिय है। पूजा में इसको जरूर शामिल करें।
Oct 31, 2024 | 11:28 AM IST

दिवाली पूजा फोटो

Oct 31, 2024 | 11:27 AM IST

दीपावली की पूजा कैसे करे

दीपावली की पूजा से पहले सभी पूजन सामग्री एकत्रित कर लें। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उस पर लक्ष्मी-गणेश जी की प्रतिमा रखें। एक कलश में जल भरकर रखें। पूजन में नए बर्तन, चांदी और सोने की चीजें, पैसे, खील-बताशे, खिलौने, धनिया के बीज ये सब चीजें भी जरूर रखें। विधान पूजा करके लक्ष्मी जी की आरती करें।
Oct 31, 2024 | 10:49 AM IST

Ayodhya Me Diwali Kab Hai 2024: अयोध्या में दिवाली कब है

विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा ने इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में बताया है कि दिवाली की सही तारीख 31 अक्टूबर है। उन्होंने बताया कि इस साल कार्तिक अमावस्या चतुर्दशी तिथि के साथ पड़ रही है। अत: दिवाली 31 की रात को मनाई जाएगी।
Oct 31, 2024 | 09:44 AM IST

दिवाली पर कितने दीपक जलाने चाहिए (Diwali Par Kitne Deepak Jalane Chahiye)

दिवाली के दिन आप चाहें तो कितने भी दीपक जला सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखना है कि दीपकों की संख्या विषम में हो। जैसे 5, 7, 9, 11, 21, 51, 101, 251...इत्यादि।
Oct 31, 2024 | 08:44 AM IST

कुबेर मंत्र (Kuber Mantra)

-ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
-ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
-ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
Oct 30, 2024 | 09:59 PM IST

अयोध्या में दिवाली कब है

रामलला मंदिर में 31 अक्टूबर दिन गुरुवार को ही दीपावली का महापर्व मनाया जाएगा।
Oct 30, 2024 | 09:30 PM IST

31 October 2024 Panchang: 31 अक्टूबर 2024 पंचांग

संवत---पिङ्गला विक्रम संवत 2081

माह-कार्तिक ,कृष्ण पक्ष

तिथि- अमावस्या,पर्व-दीपावली महापर्व,दिवस -गुरुवार

सूर्योदय-06:31am

सूर्यास्त-05:38 pm

नक्षत्र-- चित्रा

चन्द्र राशि -- तुला राशि,स्वामी ग्रह -शुक्र

सूर्य राशि- तुला,स्वामी ग्रह-शुक्र

करण-शकुनि

योग: विष्कुम्भ
Oct 30, 2024 | 08:59 PM IST

दिवाली पूजन सामग्री (Diwali Puja Samagri List)

लकड़ी की चौकी
लाल कपड़ा
लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति
कुमकुम
हल्दी की गांठ
रोली
पान
बाती
सुपारी
लोंग
अगरबत्ती
धूप
दीपक
माचिस
घी
गंगाजल
पंचामृत
फूल
फल
कपूर
गेहूं
दूर्वा घास
जनेऊ
खील बताशे
चांदी के सिक्के और कलावा
Oct 30, 2024 | 08:26 PM IST

दिपावली कब है 2024: Deepawali kab hai

इस साल दिपावली का पर्व 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।
Oct 30, 2024 | 08:01 PM IST

दिवाली 2024 शुभ मुहूर्त


ब्रह्म मुहूर्त: 04:47 ए एम से 05:39 ए एम तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:39 ए एम से 12:23 पी एम तक
विजय मुहूर्त: 01:51 पी एम से 02:35 पी एम
गोधूलि मुहूर्त: 05:31 पी एम से 05:57 पी एम तक
अमृत काल: 05:32 पी एम से 07:20 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या: 05:31 पी एम से 06:49 पी एम तक
Oct 30, 2024 | 07:27 PM IST

दिवाली उपाय: Diwali upay

दीपावली की रात सामान्य से थोड़ा बड़ा एक दीपक लेकर उसमें घी डालकर नौ बत्तियां जलाएं। इसके बाद मां लक्ष्मी पूजा करें। इसी के साथ दीवाली की रात, लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ अपनी दुकान का भी पूजन करें। इसी के साथ अपने कमाई का साधन जैसे कम्प्यूटर आदि उपकरण का भी पूजन करें।
Oct 30, 2024 | 06:23 PM IST

दिवाली पूजा की सरल विधि (Diwali Puja Vidhi At Home In Hindi)

दिवाली पर लक्ष्मी-पूजन से पहले घर की अच्छे से सफाई कर लें।
फिर पूजा स्थान पर एक चौकी रखें और उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछा लें।
इस चौकी पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें। ध्यान रखें कि गणेश जी के दाहिनी तरफ माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करनी है।
इनके साथ आप राम दरबाकर, भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कलश की भी स्थापना करें।
पूजा स्थान पर सबसे पहले सभी मूर्तियों और पूजा सामग्री पर गंगाजल छिड़कें। फिर हाथ में लाल या पीले फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें और उनके बीज मंत्र - ऊँ गं गणपतये नम:का जाप करें।
फिर गणेश जी को तिलक लगाएं और उन्हें दूर्वा और मोदक लड्डू अर्पित करें।
फिर माता लक्ष्मी का पूजन करें। माता लक्ष्मी को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं और श्री सूक्त मंत्र का पाठ करें। इसी तरह आप धन कुबेर, राम दरबार और मां सरस्वती का पूजन करें।
कई लोग दिवाली की रात में माता काली की भी पूजा करते हैं।
पूजा के बाद माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें।
इसके बाद घर के कोने-कोने में दीपक जलाकर रखें। मंदिर में एक घी का बड़ा दीपक और एक सरसों के तेल का बड़ा दीपक जरूर रखें। जो पूरी रात जलता रहेगा।
Oct 30, 2024 | 05:27 PM IST

दिवाली काली पूजा विधि : Diwali Kali Puja Vidhi

मां काली की पूजा के लिए सुबह स्नान कर तैयार हो जाएं।
माता काली की मूर्ति को एक चौकी पर लाल या काले कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।
फिर मां काली का आह्वान करें।
माता काली की मूर्ति पर जल, दूध और फूल अर्पित करें।
फिर माता को सिंदूर, हल्दी, कुमकुम और काजल चढ़ाएं।
माता को फूल माला पहनाएं।
उनके समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं और कपूर से उनकी आरती करें।
माता की प्रतिमा के आगे धूप या अगरबत्ती जलाएं।
फिर मिठाई, फल और नैवेद्य मां को अर्पित करें।
पूजा के समय ॐ क्रीं काली या क्रीं काली का जाप करें।
फिर मां काली की कपूर से आरती करें। पूजा क बाद प्रसाद सभी में बांट दें।
Oct 30, 2024 | 03:37 PM IST

दिवाली काली पूजा सरल विधि (Diwali Kali Puja Kaise Kare)

माता काली की पूजा में विशेष रूप से 108 गुड़हल के फूल, 108 बेलपत्र और माला, 108 मिट्टी के दीपक और 108 दुर्वा चढ़ाए जाने की परंपरा है। इसके अलावा इस दिन मौसमी फल, खीर, तली हुई सब्जी, मिठाई, खिचड़ी और अन्य व्यंजनों का भी भोग चढ़ाया जाता है। इस दिन भक्तजन सुबह से रात तक उपवास रखते हैं और रात्रि में विधि विधान पूजा करके अपना व्रत खोलते हैं।