Diwali Ke Katha In Hindi 2024: दिवाली के दिन पूजा के समय इस करें इस कथा का पाठ, मां लक्ष्मी बरसेगी कृपा

Diwali 2024 Vrat Ki Katha, दिवाली की पौराणिक कथा, Diwali Puja Katha Story in Hindi: दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा के समय पौराणिक कथा का पाठ करना शुभ माना जाता है। आइए यहां पढ़ें दिवाली की कथा।

Diwali Vrat Katha

Diwali Vrat Katha

Diwali 2024 Vrat Ki Katha, दिवाली की पौराणिक कथा, Diwali Puja Katha Story in Hindi: दिवाली का पर्व हर साल बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। लक्ष्मी पूजन के ये दिन सबसे उत्तम माना जाता है। दिवाली के दिन ही भगवान राम लंक से वापस अयोध्या लौटे थे, इसलिए अयोध्या वासियों ने राम के आने की खुशी में दिए जलाए थे। दिवाली पर संध्या के समय माता लक्ष्मी और गणेश जी की विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन लक्ष्मी जी पूजा करने से साधक को धन की प्राप्ति होती है। दिवाली के दिन पूजा के समय कथा का पाठ करना शुभ होता है। आइए यहां पढ़ें दिवाली की कथा।

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Diwali 2024 Vrat Ki Katha In Hindi (दिवाली की पौराणिक कथा)

पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर एक साहूकार रहता था। उस साहूकार की एक लड़की थी। उसने देखा की लक्ष्मी जी पीपल के पेड़ से निकला करती हैं। एक दिन माता लक्ष्मी उस साहूकार की लड़की से बोली की मैं तुम पर प्रसन्न हूं, इसलिए तू मेरी सहेली बन जा। साहूकार की लड़की ने कहा मैं अपने माता पिता से पूछकर बताऊंगी। उसके बाद माता पिता की आज्ञा पाकर लड़की माता लक्ष्मी की सहेली बन गई। महालक्ष्मी जी उससे बहुत प्रेम करने लगी। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की लड़की को भोजन का निमंत्रण दिया।

जब लड़की माता लक्ष्मी के यहां पर भोजन करने के आई तो उसको माता लक्ष्मी जी ने उसे सोना चांदी के बर्तनों में खाना खिलाया। सोने के आसन पर बैठाया और बहुमूल्य वस्त्र पहने के लिए दिए। इसके बाद लक्ष्मी जी ने उस लड़की कहा कि मैं तुम्हारे यहां आऊंगी। लड़की ने स्वीकार कर लिया और अपने माता पिता को सब बात बताई। इस बात को सुनकर उसके माता पिता बहुत ही प्रसन्न बो गए, लेकिन लड़की उदास होकर बैठ गई। उसके माता पिता ने उदास होने के कारण पूछा तो उसने माता लक्ष्मी के वैभव के बारे में बताया। हमारे घर में आकर वो कैसे संतुष्ट कर सकूंगी। लड़की के पिता ने कहा कि जमीन को गोबर से लीपकर सा भी बन पड़े रूखा सूखा श्रद्धा और प्रेम से उनको खिलाएंगे। यह बात पिता कह भी न पाए की एक चील वहां मंडराते हुए आई और किसी रानी का नौलखा हार उनके घर में छोड़कर चली गई। नौलखा हार देखकर साहूकार बहुत ही प्रसन्न हुआ। यह देखकर साहूकार की लड़की बहुत प्रसन्न हुई। उसने उस हार को बेचकर लक्ष्मी जी के भोजन का सारा इंतजाम कर लिया। इसके बाद वहां श्री गणेशजी और लक्ष्मी जी वहां आ गए। लड़की ने उन्हें सोने की चौकी का आसन दिया। इस पर महा लक्ष्मी जी और गणेश जी ने बड़े प्रेम से भोजन कराया था। लक्ष्मी जी और गणेश जी के आने से साहूकार का घर सुख संपत्ति से भर गया।

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जयंती झा author

बिहार के मधुबनी जिले से की रहने वाली हूं, लेकिन शिक्षा की शुरुआत उत्तर प्रदेश की गजियाबाद जिले से हुई। दिल्ली विश्वविद्यायलय से हिंदी ऑनर्स से ग्रेजुए...और देखें

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