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Diwali (Deepawali) Puja Muhurat, Laxmi Ganesh Pujan Timing 2024 LIVE: दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ समय क्या रहेगा, यहां जानिए अपने शहर के अनुसार पूजन का समय

Diwali (Deepawali) Puja Muhurat, Laxmi Ganesh Pujan Time, Pradosh, Nishita kaal Timing Today, Sthir, Vrisabh Lagan ka Sahi Samay, Diwali Choughadiya Live Updates: दिवाली पूजा के लिए सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त सबसे उत्तम माने जाते हैं। स्थिर लग्न में माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। वहीं महा निशीथ काल मुहूर्त माता काली के पूजन के लिए उत्तम माना गया है। चलिए जानते हैं 2024 में दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

Diwali (Deepawali) Puja Muhurat, Laxmi Ganesh Pujan Timing 2024 LIVE: दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ समय क्या रहेगा, यहां जानिए अपने शहर के अनुसार पूजन का समय
Diwali (Deepawali) Puja Muhurat, Laxmi Ganesh Pujan Time, Pradosh, Nishita kaal Timing Today, Sthir, Vrisabh Lagan ka Sahi Samay, Diwali Choughadiya Live Updates: दिवाली के दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भक्त विधि विधान उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। दरअसल ऐसा माना जाता है कि कार्तिक अमावस्या की रात में माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं और जिस घर में उनकी सच्चे मन से अराधना हो रही होती है वहीं माता ठहर जाती हैं। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर दिवाली पूजन किस मुहूर्त में करना चाहिए। तो आपको बता दें दिवाली पूजन प्रदोष काल के बाद किया जाता है। लक्ष्मी पूजन के लिए वृषभ काल और सिंह काल शुभ होता है।

Diwali Puja Vidhi And Muhurat

दिवाली पूजा का समय 2024 (Diwali 2024 Puja Muhurat In Hindi)
इस साल दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जा रही है। पंचांग अनुसार कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 03:12 बजे लग रही है जो 01 नवम्बर को सायंकाल 05 बजकर 13 मिनट तक रहेगी।

दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 2024 (Diwali Laxmi Puja Muhurat 2024)
दिवाली लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल मुहूर्त शाम 05:35 से रात 08:11 बजे तक रहेगा।

दिवाली स्थिर लग्न मुहूर्त 2024 (Diwali Sthir Lagna 2024)
दिवाली स्थिर लग्न (वृष लग्नघ शाम 06:27 से रात 08:23 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा बेहद शुभ मानी जाती है।

दिवाली सिंह लग्न मुहूर्त 2024 (Diwali Singh Lagan Time 2024)
दिवाली सिंह लग्न मुहूर्त 31 अक्टूबर की देर रात 12:53 से शुरू होकर 03 बजकर 09 मिनट तक रहेगा।

दिवाली निशीथ काल मुहूर्त 2024 (Nishita Kaal Muhurat Diwali 2024)
दिवाली निशीथ काल मुहूर्त रात 11:39 से देर रात 12:31 तक रहेगा।

Diwali Ki Aarti

दिवाली चौघड़िया मुहूर्त 2024 (Diwali Choghadiya Muhurat 2024)
शुभ - उत्तम - 06:32 AM से 07:55 AM
चर - सामान्य - 10:41 AM से 12:04 PM
लाभ - उन्नति - 12:04 से 13:27
अमृत - सर्वोत्तम - 01:27 PM से 02:50 PM
शुभ - उत्तम - 04:13 PM से 05:36 PM
अमृत - सर्वोत्तम - 05:36 PM से 07:14 PM
चर - सामान्य - 07:14 PM से 08:51 PM
लाभ - उन्नति - 12:05 AM से 01:42 AM (1 नवंबर 2024)

दिवाली 2024 शहर अनुसार मुहूर्त (Diwali 2024 Shubh Muhurat City Wise)

नई दिल्ली- 05:35 PM से 08:11 PM
नोएडा- 05:35 PM से 06:16 PM
पुणे- 06:54 PM से 08:33 PM
चेन्नई- 05:42 PM से 06:16 PM
जयपुर- 05:44 PM से 06:16 PM
हैदराबाद- 05:44 PM से 06:16 PM
गुरुग्राम- 05:37 PM से 06:16 PM
चण्डीगढ़- 05:35 PM से 06:16 PM
कोलकाता- 05:45 PM से 06:16 PM
मुम्बई- 06:57 PM से 08:36 PM
बेंगलूरु- 06:47 PM से 08:21 PM
अहमदाबाद- 06:52 PM से 08:35 PM
Oct 31, 2024 | 02:37 PM IST

Noida Diwali Pujan Timing Today: नोएडा में दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

नोएडा में दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 35 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष विद्वानों अनुसार इस मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होगा।
Oct 31, 2024 | 02:01 PM IST

Diwali Pujan Timing Today Delhi: दिल्ली में दिवाली पूजा का समय

नई दिल्ली में दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
Oct 31, 2024 | 01:30 PM IST

Diwali Vrat Katha: दिवाली व्रत कथा

सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में राजा बलि का वर्चस्व तीनों लोक में फैला था। राजा बलि न केवल महान योद्धा थे, बल्कि दानवीर भी थे। इसके चलते तीनों लोकों में उनकी चर्चा होती थी। इसी दौरान राजा बलि ने स्वर्ग पर आक्रमण कर इंद्र देव को पदच्युत (हटा) कर दिया। सत्ता छीन जाने के बाद स्वर्ग नरेश इंद्र यत्र-तत्र भटकने लगे थे। उस समय इंद्र की मां अदीति, जगत के पालनहार भगवान विष्णु के पास पहुंची और अपनी आपबीती एवं मन की व्यथा सुनाई।
मां अदीति को दुखी देखकर भगवान विष्णु बोले- हे माते! आप बिलकुल भी चिंतित न रहें। भविष्य में मेरा जन्म आपके गर्भ से होगा। उस समय इंद्र देव को पुन: स्वर्ग की गद्दी मिल जाएगी। अतः आप प्रसन्न होकर जाएं और सही समय की प्रतीक्षा करें। कालांतर में मां अदिति ने भगवान विष्णु की कठिन उपासना की। मां अदिति की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु वामन रूप में अवतरित हुए। काल गणना के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन वामन अवतार रूप में अवतरित हुए थे।
कुछ समय बाद दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य की सलाह पर राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ के सफल होने पर राजा बलि तीनों लोकों के विजेता बन जाते। राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ की सफलता के लिए तीनों लोकों को आमंत्रित किया। आमंत्रण पाने के बाद भगवान विष्णु भी वामन रूप में पहुंचे। वामन ब्राह्मण का राजा बलि ने आदर-सत्कार किया। वामन देवता के लौटने के क्रम में राजा बलि ने दान देने की इच्छा जताई।
हालांकि, वामन देव ने दान लेने की सहमति नहीं दी। इसके बाद पुनः राजा बलि ने दान देने की बात की। तब वामन देव ने तीन पग भूमि ही मांगी। यह सुन राजा बलि मन ही मन मुस्कराने लगे और मानो! ये तो कुछ नहीं है। ऐसा सोच तत्क्षण देने की बात कही। तब भगवान विष्णु ने एक पग में भूमि, तो दूसरे पग में नभ माप लिया। तीसरे पग के लिए भूमि नहीं बची, तो राजा बलि ने अपना मस्तिष्क भगवान विष्णु के पग के नीचे रख दिया।
भगवान विष्णु के पैर रखते ही राजा बलि पाताल लोक में जा पहुंचे। यह सब देख राजा बलि भगवान नारायण को पहचान गये। तब भगवान विष्णु ने राजा बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा। राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने साथ पाताल में रहने का वर मांगा। भगवान विष्णु ने राजा बलि के वरदान को स्वीकार कर लिया। इधर इंद्र देव को स्वर्ग का सिंहासन प्राप्त हो गया। उधर भगवान विष्णु के बैकुंठ न लौटने पर मां लक्ष्मी चिंतित हो उठीं।
जब उन्हें भगवान विष्णु के पाताल लोक में रहने की जानकारी हुई। तब मां लक्ष्मी रक्षा सूत्र लेकर पाताल लोक पहुंची। वहां, राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधकर अपना भाई बना लिया। इससे प्रसन्न होकर राजा बलि ने वर मांगने को कहा। तब मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पाताल लोक से मुक्त करने का वरदान माँगा, जिसे राजा बलि ने स्वीकार कर लिया। लेकिन भगवान विष्णु के बैकुंठ लौटने से पहले राजा बलि ने एक और वर मांग लिया।
इस वर के तहत श्रावण पूर्णिमा से लेकर धनतेरस तक पाताल लोक में रहने का अनुरोध किया। लक्ष्मी नारायण जी ने राजा बलि की विनती को स्वीकार कर लिया। इसके बाद जब भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी बैकुंठ लौटे तो दीप पर्व दीवाली मनाया गया। कहा यह भी जाता है कि धनतेरस से लेकर दीवाली तक अपनी बहन मां लक्ष्मी की पूजा करने का भी वरदान राजा बलि ने मांगा था। इसके लिए धनतेरस से लेकर दीवाली तक मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi Vrat Katha) की पूजा की जाती है।
Oct 31, 2024 | 01:13 PM IST

दिवाली की आरती (Diwali Ki Aarti)

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरगदधि की जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
Oct 31, 2024 | 12:42 PM IST

Diwali Pujan Timing Today, Delhi Diwali Laxmi Ganesh Puja Time 2024: दिल्ली में लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त

नई दिल्ली में दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से फलदायी साबित होगी। इसके अलावा इस दिन निशिता काल पूजा समय रात 11 बजकर 39 मिनट से देर रात 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। स्थिर लग्न शाम 6 बजकर 27 मिनट से रात 8 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
Oct 31, 2024 | 10:41 AM IST

Diwali Kali Puja Vidhi: दिवाली काली पूजा विधि

  • मां काली की पूजा के लिए सुबह स्नान कर तैयार हो जाएं।
  • माता काली की मूर्ति को एक चौकी पर लाल या काले कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।
  • फिर मां काली का आह्वान करें।
  • माता काली की मूर्ति पर जल, दूध और फूल अर्पित करें।
  • फिर माता को सिंदूर, हल्दी, कुमकुम और काजल चढ़ाएं।
  • माता को फूल माला पहनाएं।
  • उनके समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं और कपूर से उनकी आरती करें।
  • माता की प्रतिमा के आगे धूप या अगरबत्ती जलाएं।
  • फिर मिठाई, फल और नैवेद्य मां को अर्पित करें।
  • पूजा के समय ॐ क्रीं काली या क्रीं काली का जाप करें।
  • फिर मां काली की कपूर से आरती करें। पूजा क बाद प्रसाद सभी में बांट दें।
Oct 31, 2024 | 10:40 AM IST

Ram Ji Ki Aarti: राम जी की आरती

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
.जु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
Oct 31, 2024 | 10:40 AM IST

Laxmi Ji Ki Aarti: लक्ष्मी जी की आरती

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरगदधि की जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
Oct 31, 2024 | 10:39 AM IST

Diwali Par Deepak Kha Kha Rakhe: दिवाली पर दीपक कहां-कहां रखने चाहिए

  • सबसे पहले मंदिर में सरसो और घी का दीपक जलाएं
  • मुख्य द्वार पर दीपक जरूर रखें
  • लिविंग रूम में दीपक जलाकर रखना चाहिए
  • घर की रसोई में दीये जरूर जलाएं
  • छत और बालकनी में भी दीपक जरूर जलाएं
  • एक दीपक तुलसी के पौधे के पास रखें
  • एक दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं
  • एक दीया घर के पास किसी मंदिर में जाकर जलाएं
  • इसके अलावा घर के हर कमरे के द्वार पर भी दीये रखने चाहिए
Oct 31, 2024 | 10:39 AM IST

Diwali Laxmi Ji Ki Katha (Diwali Laxmi Ji Ki Katha)

एक समय की बात है कार्तिक अमावस्या को लक्ष्मीजी भ्रमण करने के लिए निकलीं थीं। उस दिन चारों तरफ अंधकार व्याप्त था। जिस कारण वो रास्ता भूल गईं। तब उन्होंने निश्चय किया कि वो रात वे मृत्युलोक यानी धरती पर ही गुजार लेंगी और सूर्योदय के बाद बैकुंठधाम वापस चली जाएंगी। उस रात माता ने देखा कि लोग अपने घरों के द्वार बंद कर सो रहे हैं।

तभी माता को अंधकार के साम्राज्य में एक द्वार खुला देखा जिसमें दीपक जल रहा था। माता दीपक की रोशनी देख उसी घर की तरफ चल दीं। वहां माता ने एक बूढ़ी महिला को चरखा चलाते देखा। उस रात माता वृद्धि महिला की अनुमति से उसी के घर ठहर गईं। वृद्ध महिला ने माता को आराम करने के लिए बिस्तर दिया। इसके बाद वो फिर से अपने काम में लग गई।

चरख चलाते चलाते बूढ़ी महिला को नींद आ गई। जब दूसरे दिन सुबह उसकी आंख खुली तो उसने देखा जो महिला रात में रूकी थी वो चली गई है। लेकिन बुढ़िया ये देखकर हैरान रह गई कि उसकी कुटिया में महल में बदल चुकी है। चारों तरफ धन-धान्य और रत्न बिखरे हुए थे। कथा अनुसार जो व्यक्ति अमावस्या की रात में माता की सच्चे मन से अराधना करता है उसके जीवन में धन-दौलत की कभी कमी नहीं होती।

हे लक्ष्मी माता जैसे आप उस वृद्ध महिला पर प्रसन्न हुईं ठीक वैसे ही सब पर प्रसन्न होना। कहते हैं तभी से कार्तिक अमावस पर दीप जलाने की परंपरा शुरू हो गई। इसलिए इस दिन लोग द्वार खोलकर और दीपक जलाकर माता लक्ष्मी के आने की प्रतिक्षा करते हैं।