Diwali Vrat Katha In Hindi: दिवाली पूजन के समय जरूर पढ़ें ये पावन कथा

Diwali 2023 Vrat Katha in Hindi: दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के समय उनकी ये कथा जरूर पढ़ें। इससे विशेष लाभ प्राप्त होगा।

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Diwali Vrat Katha In Hindi: दिवाली व्रत कथा हिंदी में

Diwali 2023 Vrat Katha in Hindi: देशभर में दिवाली का त्योहार बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दिवाली पर कई लोग व्रत भी रखते हैं। 2023 में दिवाली पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन लक्ष्मी पूजा का प्रदोष काल मुहूर्त शाम 05 बजकर 39 मिनट से 07 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। वहीं निशिता काल मुहूर्त रात 11:39 से 12:32 तक रहेगा। मान्यता है कि अगर दिवाली पूजन के समय माता लक्ष्मी की कथा पढ़ी जाए तो इससे पूजा का दोगुना लाभ प्राप्त होता है। यहां देखें दिवाली की व्रत कथा।

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Diwali Lakshmi Vrat Katha (दिवाली लक्ष्मी व्रत कथा)

एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी रोजाना पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाया करती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाती थी। उस पर पर मां लक्ष्मी का वास था। एक दिन मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी से कहा मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूं। इस पर साहूकार की बेटी ने कहा मैं अपने पिता से पूछकर बताती हूं।

साहूकार की बेटी ने अपने पिता से सारी बात कह डाली। दूसरे दिन साहूकार की बेटी ने मां लक्ष्मी से दोस्ती करने के लिए हां कर दी। इस तरह दोनों अच्छी दोस्त बन गईं। एक दिन मां लक्ष्मी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गई जहां उन्होंने साहूकार की बेटी का भव्य स्वागत किया। उन्होंने उसे अनेक तरह का भोजन खिलाया।

जब साहूकार की बेटी अपने घर वापस लौटने लगी तो मां लक्ष्मी ने उससे कहा कि अब तुम मुझे कब अपने घर लेकर जाओगी। साहूकार की बेटी ने मां लक्ष्मी को अपने घर आने का निमंत्रण दे दिया। लेकिन साहूकार की बेटी मन ही मन सोचने लगी कि मैंने अपने घर आने को तो कह दिया लेकिन मेरी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि मैं उनका अच्छे से स्वागत कर सकूं। यह सोचकर वह दुखी हो गई। साहूकार अपनी बेटी के उदास देखकर समझ गया। तब उसने अपनी बेटी से कहा कि तुम फौरन मिट्टी से चौका बनाकर साफ सफाई करो। चार बत्ती के मुख वाला दीपक जलाकर मां लक्ष्मी का स्मरण करो।

पिता की बात सुनकर उसने वैसा ही किया। उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर उड़ रही थी। अचानक वह हार साहूकार की बेटी के सामने आकर गिर गया। तब साहूकार की बेटी ने वह हार बेचकर भोजन की तैयारी की। थोड़ी देर बाद भगवान श्री गणेश के साथ मां लक्ष्मी साहूकार के घर आईं। साहूकार की बेटी ने दोनों की खूब सेवा की। उसकी सेवा से प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी ने उसकी सारी पीड़ा को दूर कर दिया। इस तरह से साहूकार और उसकी बेटी अमीरों की तरह अपना जीवन व्यतीत करने लगे।

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