Brahma Muhurta Time: ब्रह्ममुहूर्त में भूल से भी न करें ये 8 काम, नाराज हो सकती हैं दैव शक्तियां
Brahma Muhurta Time: ब्रह्ममुहूर्त रात का चौथा प्रहर होता है। सूर्योंदय के डेढ़ घंटे पहले का मुहूर्त कहलाया जाता है ब्रह्ममुहूर्त। इस मुहूर्त के दौरान वायु में बहती है अमृत की धार। ब्रह्ममुहूर्त के समय में रखें विशेष बातों का ध्यान। मन को एकाग्र करने का सबसे अच्छा होता है ये समय।
ब्रह्म मुहूर्त के नियम
तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
- ब्रह्ममुहूर्त का समय है अनेकों लाभाें को प्रदान करने वाला
- तनाव, झगड़ा, संभाेग, भाेजन, यात्रा माने गए हैं निषिद्ध
- ब्रह्ममुहूर्त में वेदमंत्रों का उच्चारण करता है वातावरण को शुद्ध
किस समय को कहा जाता है ब्रह्ममुहूर्त
दिन और रात का चक्र 24 घंटे में पूरा होता है। इन 24 घंटों में हर 48 वें मिनट में मुहूर्त बदलताहै। दिन और रात के इन 24 घंटों में कुल 30 मुहूर्त होते हैं और ये मुहूर्त बड़े ही महत्वपूर्ण होते हैं। सूर्योदय के डेढ़ घंटे पहले का मुहूर्त ब्रह्ममुहूर्त कहलाता है। सूर्योदय के 96 मिनट पूर्व का समय ब्रह्ममुहूर्त माना गया है। इस मुहूर्त के दौरान वायु में अमृत की धार बहती है। जिसके दौरान बाहर व भीतर एक असीम शांति रहती है।
ब्रह्ममुहूर्त समय के नियम
ब्रह्ममुहूर्त का समय पूजा−पाठ, प्रार्थना के लिए सर्वाधिक अनुकूल माना जाता है। इस समय देवी− देवता स्वयं भ्रमण करते हैं तो वे हमारे द्वारा किया गया आह्वान स्वयं ग्रहण कर सहस्त्र गुना फल देते हैं। यदि धर्म में रुचि न भी हो तब भी बेहतर स्वास्थ्य के लिए समय में टहलना चाहिए। ब्रह्ममुहूर्त में किसी भी तरह की नकारात्मकता को जीवन में प्रवेश न करने दें। इस समय किसी भी प्रकार के वार्तालाप, बहस, तनाव, झगड़े से बचें। भोजन, यात्रा, संभाेग, मादक द्रव्यों के सेवन आदि को भी निषिद्ध माना गया है। ब्रह्ममुहूर्त में शांति का साम्राज्य रहता है तो किसी भी हालत में उसे खंडित न करें।
ब्रह्ममुहूर्त में करें अवश्य करें ये काम
ध्यान के लिए सबसे सटीक समय ब्रह्ममुहूर्त ही होता है। इस समय वातावरण शांत होता है, वायु निर्मल और शुद्ध होती है और मन को भटकाने के अवरोध नहीं होते हैं। इस समय पूर्ण एकाग्रता से किया गया ध्यान आत्मिक शुद्धि में सहायक होता है, जिसका सीधा प्रभाव साधक के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर तुरंत ही दिखता है। शास्त्राें में ब्रह्ममुहूर्त के समय को अमृत काल बताया गया है। साथ ही कहा गया है ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्यों का नाश करने वाली होती है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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