कभी न करना ऐसे लोगों के घर भाेजन, चुकानी पड़ती है एक−एक दाने की कीमत

Food tips: भाेजन रासायनिक तत्वों का समूह होता है। भाेजन बनाते समय नमक, मसाले का ही नहीं बल्कि भाव का भी अत्यधिक होता महत्व है। भाेजन यदि किसी के घर जाकर करना हो तो उस परिवार की भावनाओं को पहले जानकर ही भाेजन करें, वरना मिल सकता है मानसिक और शारीरिक कष्ट।

food habit

भोजन का मिला है न्योता तो जानें से पहले जानें जरूरी बातें

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • कंजूस के घर कभी भाेजन न करें
  • 24 घंटे प्रभावित करता है भोजन
  • सात्विक भाेजन होता है उपयुक्त

Food tips: परिवार, दोस्तों या करीबियों के घर खाने पर बुलानी कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन कई बार हमसभी बिना सोचे-समझें खाना खाने चले जाते हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है कि इसका नकारतमक प्रभाव भी पड़ सकता है। अगर नहीं तो आज इसी विषय पर हम सापके साथ विशेष जानकारी साझा करने जा रहें हैं, जिसका लाभ आप भी उठा सकते हैं।

भूल से भी न करें कंजूस के घर भाेजन

कृपण यानी कंजूस व्यक्ति के यहां का भाेजन सबसे अधिक दुखदायी है। यदि किसी ने कृपणता से धन संग्रह किया है तब उसके अन्न को जो खाएगा उसको कष्ट पर कष्ट आते जाएंगे। जब तक उसके दाने का आखिरी अंश शरीर से बाहर नहीं होगा वह लगातार मानसिक, शारीरिक कष्ट भाेगता रहेगा। कृपण के अन्न का परिणाम लगातार चलता है। यदि आपने स्वीकृति या बिना स्वीकृति के अन्न खाया है, तब उसका कष्ट कुछ इस तरह पूर्ण होगा− दिन में 11 बजे भोजन किया है तब दूसरे दिन 11 बजे तक उसके अन्न का प्रभाव मानसिक और शारीरिक कष्ट देता रहेगा, रुकेगा नहीं।

बिना धन दिए भोजन न करें ग्रहण

किसी व्यक्ति ने पान बनाया। पान खाने के बाद व्यक्ति धन देना भूल गया। उस स्थिति में पान देने वाले विक्रेता को भी ज्ञात नहीं कि खरीदने वााला उसकी दुाकन से मुफ्त् में पान खाकर गया है। इस स्थिति में पान के पत्ते के प्रभाव बदलने आरंभ हो जाते हैं। वह अपना स्वाद विकृत कर लेगा और उसके मुख से बाहर निकलने की कोशिश करेगा। यदि उसने कपट से पान खाया है तो उल्टी होगी और यदि उसकी इस प्रकार चोरी से पान खाने की आदत है तो पान उग्र स्वभाव उत्पन्न करेगा, दुर्घटना का प्रयास करेगा और जब तक पान का पूरा अंश शरीर से नहीं निकलेगा उसकी मानसिक उग्रता बनी रहेगी।

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भाेजन का प्रभाव

भाेजन से शरीर की रचना एवं आंतरिक अंगों का पोषण और उसी से निकलने वाले रस का मन मस्तिष्क पर प्रभाव होता है। यही कारण है कि मानव के विचार, बौद्धिक क्षमताएं, विकार, गुण, चरित्र, संतान पर भोजन प्रभाव डालता है और यही भाेजन अधिकांशतः जीवन− मृत्यु का कारण भी बनता है। इसलिए भाेजन बिना सोचे समझे या जाने अनजाने नहीं करना चाहिए और चोरी से तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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