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क्या भगवान मांसाहार खाने वालों की पूजा स्वीकार करते हैं? जानिए एक्सपर्ट से

अक्सर लोगों के मन में ये सवाल आता है कि क्या नॉनवेज खाने वालों की पूजा भगवान स्वीकार करते हैं। जानिए इसे लेकर एक्सपर्ट की क्या राय है।

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क्या भगवान मांसाहार खाने वालों की पूजा स्वीकार करते हैं?

स्कंद पुराण अनुसार जो मनुष्य मांस खाता है उसे न तो मृत्यु लोक में सुख मिलता है और ना ही मृत्यु के बाद दूसरे लोक में। स्कंद पुराण में ये भी बताया गया है कि यदि भूख से किसी प्राणी की मृत्यु भी होने वाली हो तो भी उसे मांस नहीं खाना चाहिए। स्कंद पुराण में ये भी कहा गया है कि भगवान शिव मांस-मदिरा का सेवन करने वालों की पूजा कभी स्वीकार नहीं करते। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि मांसाहारी भोजन राक्षसों के लिए है इंसानों के लिए नहीं। एक्सपर्ट से जानिए क्या भगवान मांस खाने वालों की पूजा स्वीकार करते हैं।

पंडित सुजीत जी महाराज अनुसार सनातन धर्म विशेषकर गीता के अनुसार तो हर आत्मा में परमात्मा का वास है। किसी को मारेंगे तो उस जीव को कष्ट होगा। हमारी थाली किसी की आह से भरी हो या हिंसा से भरी हो सिर्फ अपने जिह्वा इन्द्रिय के सुख के लिए तो ये गीता के अनुसार अधर्म माना गया है। लेकिन जो जीव मानव को खतरा पैदा करे। जैसे मच्छर, बिच्छु कुछ कीट इत्यादि इनकी हिंसा अधर्म नहीं है। कहीं कहीं कुछ मंदिरों में बली प्रथा जो होती है व परम्परा से आयी। कहीं शिवपुराण व दुर्गासप्तशती में इसका वर्णन नहीं है, वह भी शाकाहार की ही बात करते हैं। कहीं कहीं मत्स्य भोजन का जिक्र है। तारापीठ इत्यादि बंगाल में।

आप जो हो एकदम वैसे अपने आपको भगवान को सम्पूर्ण समर्पित करो बस यही गीता का मुख्य उपदेश है। ऐसा गीता के अध्याय 18 के श्लोक 66 में लिखा है। आप सत्य बोलते हो। बहुत बड़े विद्वान हो। शाकाहारी हो। इन सबका भक्ति से कोई मतलब नहीं हो। आप हर पल ईश्वर से मन से जुड़े रहकर उसके प्रति पूर्ण समर्पित होते हुए उसके प्रेम में आनन्दमय रहो। बस इसके अलावा भक्ति कुछ नहीं है। भगवान के नाम का जप श्वांस में चलता रहे। बस केवल यही और सब मिथ्या है।

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