नींद के बेसुध शरीर को संभालते हैं सपने:
तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
- हृदय घात से बहुत बार बचाते हैं सपने
- नींद में बेसुध शरीर काे संभालते हैं सपने
- नींद में भी काम करते हैं बाह्य अंग
Swapan Shastra: गहरी नींद में सोता अचानक व्यक्ति जाग जाता है और ढेर सारा पानी पी जाता है। कभी− कभी जागता है तो उसका हृदय बहुत तेजी से धड़क रहा होता है। यदि साधारण ताैर पर कहा जाए सपने बहुत बार व्यक्ति के लिए जीवनदायी बन जाते हैं। स्वप्न शास्त्र के अनुसार स्वप्न शरीर की अन्तः स्त्रावी ग्रंथियों से निकलने वाले रस बनाते हैं या कहें कि प्रकृति स्वयं मनुष्य की रक्षा के लिए स्वप्न रचती है। ये एक अद्भुत रहस्य भी है और प्रयोग भी। मानव शरीर में कुछ पदार्थ गैस बनाकर उसके पेट में हवा का दबाव बना देते हैं। इस कारण यह दबाव फेफड़ों में आता है। फेफड़े हृदय काे दबाते हैं।
हृदय का कार्य संचरण धीमा हो जाता है। व्यक्ति को पता नहीं चलता कि इस हवा के कारण उसकी मृत्यु संभव है। स्वप्न आता है उसे किसी स्थान पर जाना है। वह अपनी तेजी से तैयारी करता है। एक एक सामान जो आवश्यक है ले जाने के लिए यहां वहां रखता है। समय पास आता जाता है पर उसके कार्य पूरे नहीं होते हैं। फिर भी वह प्रयास करता है कि गन्तव्य स्थान पर पहुंचकर समय पर सम्मिलित हो जाए। वह सामान उठता है। फिर भागने लगता है− भागने लगता है। वायु शरीर से बाहर निकलते ही स्वप्न टूट जाता है और उसकी रक्षा हो जाती है।
कैसे करते हैं सपने जीवन की रक्षा
हृदयघात से बचा लेते हैं स्वप्न
कभी− कभी अनजाने में निद्रावस्था में हमारे हाथ हृदय पर रखकर हम सो जाते हैं। निद्रावस्था में रक्त प्रवाह
में सम प्रवाह होने से हाथ धीरे− धीरे भारी होकर छाती पर पड़े रहते हैं और स्वतः ही हृदय पर दवाब बढ़ता जाता है। इससे हृदय की क्रिया शीलता मंद होने लगती है। श्वास क्षमता पर असर पड़ता है और फेफड़े श्वसन क्रिया बंद करने लगते हैं और सांस लेना दूभर होने लगता है। तब स्वप्न में एेसे संकेत होते हैं कि हमारे हाथाें का दवाब हमारे हृदय से हट जाए।
अचानक व्यक्ति स्वप्न देखता है अंधेरे जंगल में जा रहा है । चारों ओर सुनसान है। पैरों की आहट भी उसे डराती है। लंबे सांय सांय करते पेड़ डरावने लगते हैं। स्वप्न में अपनी प्रतिकृति दौड़ने का प्रयास करती है और काेइ जंगली जानवर उसका पीछा करता है और वह भागकर पहाड़ी से नीचे गिरने को होता है और हाथ खुल जाते हैं। व्यक्ति पसीने− पसीने होता है और उसके हाथ उसके हृदय से हट जाते हैं। दवाब कम होने से श्वसन पुनः अपनी अवस्था में आने से हृदय फिर से सहज कार्य करने लगता है और व्यक्ति मृत्यु से बचकर लौट आता है।
नींद में भी काम करते हैं बाह्य अंग
शरीर में रक्त के अन्तसंचरण व्यक्ति के मस्तिष्क क विचारों से संचालित होते हैं। जहां अतरंग संचालन होता है वहां कभी− कभी तो बाह्य अंग भी तेजी से वही हरकत करते हैं जो स्वप्न में हो रही है। वही हरकत उसे पेट से वायु गोले के दबाव को तोड़ती है। नहीं तो उसे हृदयघात हो सकता है। रक्त परिवहन की नस फट सकती है। रक्त संचरण बढने से उसका हृदय फट सकता है। स्वप्न हमारी रक्षा करने के लिए तत्पर रहते हैं।
बीमारी से भी बचा लेते हैं स्वप्न
कभी−कभी शरीर में उपस्थित हानिकारक पदार्थाें का उत्सर्जन आवश्यक हो जाता है। एेसे पदार्थ रक्त में घुलने से विभिन्न् बीमारियों उत्पन्न कर सकते हैं। स्वप्न इस अवस्था में मानव को जगाकर उत्सर्जन के लिए प्रेरित करता है। तब स्वप्न अपनी रोचकता से मानव की रक्षाकरते हैं।
डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।