Durga Ashtami 2022 Date, Puja Timings: नवरात्रि दुर्गा अष्टमी पर बन रहा है बेहद शुभ योग, जानें महा अष्टमी की तारीख
Durga Ashtami 2022 Date, Time, Puja Muhurat: नवरात्रि में अष्टमी तिथि बेहद खास मानी जाती है। कई लोग इस दिन कन्याओं का पूजन भी करते हैं। इस बार महा अष्टमी पर बेहद शुभ योग का संयोग भी बन रहा है।
Navratri Ashtami 2022 Date: इस साल महाअष्टमी 3 अक्टूबर को मनाई जाएगी
- इस साल महाअष्टमी 3 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
- हिंदू पंचांग अनुसार इस दिन शोभन योग भी बन रहा है।
- इस योग को बेहद शुभ माना जाता है।
Durga Ashtami 2022 Date, Time, Puja Muhurat: इस बार शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हुई है और इसकी समाप्ति 5 अक्टूबर को होगी। धार्मिक मान्यताओं अनुसार नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की विधि विधान पूजा करने से व्यक्ति के सारे दुख दूर हो जाते हैं। इस पावन पर्व के आखिरी दो दिन यानी अष्टमी और नवमी तिथि सबसे ज्यादा खास मानी जाती है। क्योंकि इस दौरान कन्या पूजा किया जाता है। खास बात ये है कि इस साल दुर्गा अष्टमी पर बेहद ही शुभ संयोग बन रहा है। बताया जा रहा है कि इस शुभ योग में मां अंबे की पूजा बेहद ही फलदायी साबित होगी।
कब है दुर्गा अष्टमी (Navratri Durga Ashtami 2022)?
इस साल महाअष्टमी 3 अक्टूबर को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग अनुसार इस दिन शोभन योग भी बन रहा है। शोभन योग 2 अक्टूबर 2022 की शाम 5 बजकर 14 मिनट से शुरू होगा और इसकी समाप्ति 3 अक्टूबर 2022 की दोपहर 2 बजकर 22 मिनट पर होगी।
नवरात्रि की अष्टमी तिथि को महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के मां गौरी स्वरूप की अराधना की जाती है। मान्यताओं अनुसार मां गौरी माता पार्वती के 16 वर्ष का अविवाहित रुप हैं। अधिकतर लोग इस दिन छोटी कन्याओं को घर बुलाकर उनका पूजन करते हैं। उन्हें खाना खिलाते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
क्या होता है शोभन योग? शुभ कार्यों को करने के लिए ये योग बेहद ही शुभ माना जाता है। इस योग में यात्रा मंगलमय साबित होती है। क्योंकि इस योग में यात्रा करने से मार्ग में किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होती। जिन जातकों की कुंडली में शोभन योग होता है उन्हें अपने बच्चों से बेहद सुख प्राप्त होता है।
अष्टमी पर कन्या पूजन: नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। कई लोग अष्टमी तिथि पर भी कन्या पूजन करते हैं। कन्या पूजन में 2 से 9 वर्ष की आयु की कन्याओं की पूजा की जाती है। कन्याओं को घर बुलाकर उन्हें साक्षात् माँ का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। सबसे पहले उनके पांव धोये जाते हैं। फिर माथे पर तिलक लगाया जाता है, उनकी आरती उतारी जाती है। फिर उन्हें भोजन कराया जाता है। खाने में हलवा, पूरी, प्रसाद, चना दिया जाता है। अंत में कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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