Durga Ashtami 2023 Puja Vidhi, Time: दुर्गा अष्टमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व, मंत्र और व्रत कथा
Durga Ashtami 2023 Date, Time, Puja Vidhi, Vrat Katha, Puja Muhurat in Hindi: शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि 21 अक्टूबर 2023 की रात 9 बजकर 53 मिनट से 22 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। उद्या तिथि के अनुसार नवरात्रि अष्टमी पूजा 22 अक्टूबर को की जाएगी। यहां जानें अष्टमी पूजा मुहूर्त और विधि।
Durga Ashtami 2023 Date, Puja Vidhi And Vrat Katha
दुर्गा अष्टमी पूजा विधि (Durga Ashtami Puja Vidhi)
- दुर्गा अष्टमी पर सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर स्वच्छ हो जाएं।
- फिर पूजा की तैयारी शुरू करें।
- सबसे पहले कलश और भगवान गणेश की पूजा करें।
- फिर माता को लाल चुनरी अर्पित करें और उन्हें तिलक लगाएं।
- माता को अक्षत, लाल फूल और सिंदूर अर्पित करें।
- धूप दीप जलाकर माता का गुणगान करें।
- दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- माता के मंत्रों का भी जाप करें।
- दुर्गा अष्टमी की व्रत कथा सुनें।
- माता को मिठाई और हलवा पूरी का भोग लगाएं।
- अंत में माता अंबे की आरती करें और प्रसाद सभी में बांट दें।
- अगर आपको अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना है तो माता की पूजा के बाद करें।
दुर्गा अष्टमी शुभ मुहूर्त 2023 (Durga Ashtami Puja Muhurat 2023)
- दुर्गा अष्टमी 22 अक्टूबर 2023, रविवार को मनाई जाएगी।
- अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 21 अक्टूबर 2023 की रात 09:53 बजे से होगा।
- अष्टमी तिथि की समाप्ति 22 अक्टूबर 2023 की शाम 07:58 बजे पर होगी।
- सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:26 से शाम 06:44 बजे तक रहेगा।
- रवि योग शाम 06:44 बजे से 23 अक्टूबर की सुबह 06:27 बजे तक रहेगा।
- दुर्गा अष्टमी हवन मुहूर्त पूरे दिन रहेगा।
दुर्गा अष्टमी कन्या पूजन मुहूर्त 2023 (Durga Ashtami Kanya Pujan Muhurat 2023)
- पहला मुहूर्त 07:51 AM से 09:16 AM तक रहेगा।
- दूसरा मुहूर्त 09:16 AM से 10:41 AM तक रहेगा।
- तीसरा मुहूर्त 10:41 AM से 12:05 PM तक रहेगा।
- चौथा मुहूर्त 01:30 PM से 02:55 PM तक रहेगा।
नवरात्रि अष्टमी व्रत कथा (Navratri Ashtami Vrat Katha)
महिषासुर जो सभी असुरों में से सबसे शक्तिशाली था, जिसकी शक्तियों से स्वर्ग के सभी देवता भी डरे हुए थे। उसने हर जगह आतंक फैला रखा था। महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवता त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महादेव) के पास पहुंचे। सभी देवताओं की विनती सुनकर त्रिदेवों ने नवदुर्गा का निर्माण किया। जिसके चलते हर देवता ने देवी दुर्गा को अपने-अपने विशेष हथियार प्रदान किये। त्रिदेवों द्वारा निर्मित आदिशक्ति मां दुर्गा इसके बाद पृथ्वी लोक पर गईं और उन्होंने असुरों का वध कर दिया। महिषासुर के साथ मां दुर्गा का युद्ध कई दिनों तक चला और अंत में मां दुर्गा ने उस राक्षस का वध करके स्वर्ग लोक को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई। कहते हैं उसी दिन से दुर्गा अष्टमी के पर्व का प्रारम्भ हुआ था।नवरात्रि अष्टमी भोग (Navratri 8th Day Bhog)
नवरात्रि अष्टमी मंत्र (Navratri Ashtami Mantra)
नवरात्रि अष्टमी रंग (Navratri Ashtami Colour)
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