Dussehra 2022 Date, Puja Timings: दशहरा पर्व मनाने के पीछे ये हैं दो मुख्य कारण, जानिए रावण दहन समय
Dussehra 2022 Date, Puja Vidhi, Timings: देशभर में आज दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन दस सिर वाले रावण का पुतला दहन करने की परंपरा है। ये त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
Dussehra 2022: दशहरा पर्व क्यों मनाया जाता है?
मुख्य बातें
- धर्मशास्त्रों में इस त्यौहार को मनाये जाने के पीछे दो महत्वपूर्ण तथ्यों को बताया जाता है।
- एक मान्यता के अनुसार भगवान श्री राम ने इस दिन रावण को मार गिराया था।
- दूसरी मान्यता अनुसार इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था।
Dussehra 2022 Date, Puja Vidhi, Timings: हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था। तभी से ये पर्व दशहरा या विजयादशमी (vijayadashami 2022) के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन कई जगहों पर दस सिर वाले रावण के पुतले का दहन किया जाता है। आज हम आपको यहां मुख्य रूप से दशहरा पर्व के इतिहास और इससे जुड़ी अहम बातों के बारे में बताएंगे। संबंधित खबरें
दशहरा पर्व का महत्व और इतिहास: इस त्यौहार को मनाये जाने के पीछे दो महत्वपूर्ण तथ्य माने गए हैं। एक मान्यता के अनुसार भगवान श्री राम ने रावण से नौ दिनों तक युद्ध करने के बाद दसवें दिन उसे मार गिराया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया था। संबंधित खबरें
दशहरा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य (Dussehra History And Significance):
- दशहरा शब्द संस्कृत के दो शब्दों से दशा और हारा से मिलकर बना है। जिसका अर्थ है सूर्य का अस्त। ऐसा माना जाता है कि यदि भगवान श्री राम रावण का वध नहीं करते तो उसके पापों से सूर्य हमेशा के लिए अस्त हो जाता।
- इस पर्व को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। जिसका अर्थ है दशवें दिन जीत प्राप्त करना। ऐसी मान्यता है जिस प्रकार से देवी दुर्गा ने दसवें दिन महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी उससे ही इस पर्व का नाम विजयादशमी पड़ा। साथ ही इसी दिन श्री राम भगवान ने भी रावण पर विजय प्राप्त की थी।
- इस दिन भगवान राम ने 10 सिर वाले अत्याचारी रावण का वध किया था, जिसे बुराई के दस रूपों का प्रतीक माना जाता है। बुराई के ये 10 रूप हैं पाप, क्रोध, मोह, जलन, अहंकार, लोभ, घमंड, स्वार्थ, क्रूरता, अन्याय, दुराचारी, स्वार्थी आदि। इस त्योहार पर रावण दहन करने का मतलब है कि हम अपने अंदर की बुराईयों का भी इस दिन अंत कर दें।
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- ऐसी मान्यता है कि दशहरा पर्व की शुरुआत मैसूर के राजा ने 17वीं शताब्दी में की थी।
- दशहरा पर्व भारत ही नहीं बल्कि नेपाल, बांग्लादेश और मलेशिया में भी मनाया जाता है।
रावण दहन का समय: रावण दहन करने का शुभ समय सूर्यास्त के बाद से रात 08 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। बता दें प्रदोष काल में श्रवण नक्षत्र में रावण दहन किया जाता है। 5 अक्टूबर को ये नक्षत्र रात 09:15 बजे तक रहेगा।संबंधित खबरें
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लवीना शर्मा author
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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