Dussehra 2023 Puja Vidhi, Muhurat, Aarti: दशहरा पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कथा और आरती सबकुछ यहां जानें
Dussehra 2023 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Aarti, Mantra in Hindi: हिंदू पंचांग अनुसार दशहरा पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 59 मिनट से 02 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। वहीं रावण दहन का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 43 मिनट से शुरू होगा। रावण दहन से पहले विधि विधान पूजा की जाती है। यहां जानें दशहरा पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती सबकुछ।
Dussehra 2023 Puja Muhurat: दशहरा पूजा मुहूर्त और विधि
Dussehra 2023 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Mantra, Aarti: पंचांग अनुसार दशहरा का त्योहार आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल ये तिथि 23 अक्टूबर 2023 की शाम 05:44 से 24 अक्टूबर की दोपहर 03:14 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार दशहरा पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। वहीं दशहरा पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:59 से दोपहर 02:44 बजे तक रहेगा। जबकि रावण दहन मुहूर्त (Ravan Dahan Muhruat 2023) शाम 05 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर अगले ढाई घंटे तक रहेगा। यहां जानिए दशहरा की पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती और हर एक जानकारी।
Dussehra 2023 Puja Time (दशहरा 2023 पूजा मुहूर्त)
दशहरा का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा का मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 59 मिनट से दोपहर 2 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में दशहरा की विधि विधान पूजा कर सकते हैं।
Dussehra 2023 Ravan Dahan Muhurat (दशहरा 2023 रावण दहन मुहूर्त)
दशहरा के दिन रावण दहन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों को शुभ मुहूर्त में जलाया जाता है। साल 2023 में रावण दहन का समय शाम 05 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर अगले ढाई घंटे तक रहेगा।
Dussehra 2023 Shubh Yog (दशहरा 2023 शुभ योग)
साल 2023 में दशहरा पर दो शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सुबह 06 बजकर 27 मिनट से दोपहर 03 बजकर 38 मिनट तक रवि योग रहेगा। फिर दोपहर 03 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर पूरी रात तक वृद्धि योग रहेगा।
Dussehra Puja Mantra (दशहरा पूजा मंत्र)
-राम रामाय नम:
-ॐ अपराजितायै नमः
-पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना
कवन सो काज कठिन जग माहि, जो नहीं होत तात तुम पाहि ॥
Dussehra Puja Samagri List (दशहरा पूजा सामग्री लिस्ट)
- गाय का गोबर
- धुप व बत्ती
- जनेऊ
- रोली, मोली चावल
- कुमकुम
- दीपक
- घी
- चन्दन
Dussehra 2023 Puja Vidhi (दशहरा 2023 पूजा विधि)
- दशहरे के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद साफ या नए वस्त्र धारण करें।
- फिर सुबह-सवेरे भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी का ध्यान करें।
- फिर दशहरा पूजन की तैयारी करें।
- जिसके लिए मिट्टी का उपयोग करके दशहरा की प्रतिमा बनाएं।
- फिर गाय के गोबर से 10 छोटे-छोटे गोले बनाएं और उनके ऊपर जौ और दही लगाएं।
- बनाई गई प्रतिमा को केले, जौ, और गुड़ का भोग लगाएं।
- यदि आप शस्त्र या यंत्रों की पूजा कर रहे हैं, तो उन पर भी सामग्री चढ़ाएं।
- इसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को भोजन कराएं और दान-पुण्य करें।
- रावण दहन के बाद शम्मी के पत्ते अपने परिवार में बांटें।
- अंत में अपने अपने घर के बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लें।
Dussehra 2023 Shree Ram Ji Ki Aarti (दशहरा 2023 राम जी की आरती)
॥दोहा॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
What To Do On Dussehra (दशहरा पर क्या करें)
दशहरा का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन किसी भी तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। कहते हैं इस दिन किया गया कोई भी कार्य अच्छे परिणाम देता है। आप इस दिन घर या दुकान का निर्माण, गृह प्रवेश, कर्ण छेदन, उपनयन संस्कार, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन और भूमि पूजन जैसे कार्य कर सकते हैं।
Why is Dussehra celebrated? (क्यों मनाया जाता है दशहरा?)
दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान श्री राम ने लंकापति रावण का वध करके माता सीता को मुक्त कराया था। कहते हैं तब से आज तक दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है और इस दिन रावण दहन करने की परंपरा निभाई जाती है। यह त्योहार सभी को सन्देश देता है कि जीत हमेशा अच्छाई की ही होती है।
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