Eid Ul Adha 2024 Date In India: सऊदी अरब में दिखा ईद का चांद जानिए भारत में कब मनाई जाएगी ईद उल अजहा

Eid Ul Adha 2024 Date in India, Eid Kab Ki Hai India Mein, 2024 में ईद कब की है: बकरीद यानि ईद उल अजहा का त्योहार जुल हिज्जाह महीने के 10वें दिन मनाया जाता है। सऊदी अरब में 6 जून को ईद का चांद दिख गया है ऐसे में यहां 16 जून को बकरीद मनाई जाएगी। जानिए भारत में बकरीद की डेट क्या है।

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Eid Ul Adha 2024 Date In India

Eid Ul Adha 2024 Date in India, Eid Kab Ki Hai India Mein, 2024 में ईद कब की है: ईद उल अजहा को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर अनुसार ये त्योहार जु अल-हज्जा महीने की 10वीं तारीख को मनाया जाता है। ये मुस्लिम धर्म के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्योहार होता है। इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। इस साल सऊदी अरब में बकरीद 16 जून को मनाई जा रही है जबकि भारत में अभी ईद का चांद दिखना बाकी है। चलिए जानते हैं भारत में 2024 में ईद उल अजहा यानि बकरीद कब मनाई जाएगी।

भारत में बकरीद कब है (Bakrid/Eid Ul Adha 2024 Date In India)

यूके, यूएस, कनाडा, सऊदी अरब, यूएई, कतर, कुवैत, ओमान, जॉर्डन, सीरिया, इराक और अन्य अरब राज्यों में 06 जून, 2024 को ईद-उल-अजहा के लिए अर्धचंद्र दिख गया है। ऐसे में इन देशों में 16 जून को बकरीद मनाई जाएगी। दूसरी ओर, ब्रुनेई, जापान, हांगकांग, भारत, पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के मुसलमान 07 जून 2024 को ईद का अर्धचंद्र देखेंगे। अगर चांद इस दिन दिख जाता है तो ये देश 17 जून 2024 को ईद-उल-अजहा मनाएंगे। लेकिन अगर 7 जून को भी चांद नहीं दिखता है तो ऐसे में इन देशों में बकरीद 18 जून 2024 को मनाई जाएगी।

बकरीद क्यों मनाते हैं (Bakrid Kyu Manate Hain)

बकरीद यानि ईद उल अजहा के दिन बकरों की कुर्बानी दी जाती है। कहते हैं इसके जरिए व्यक्ति अल्लाह की रजा हासिल करता है। बकरीद पर कु्र्बानी देना शबाब का काम माना जाता है। ईद मुसलमानों का एक महत्वपूर्ण त्योहार होता है। आगे जानते हैं क्यों मनाई जाती है ईद और इस दिन बकरे की कुर्बानी का क्या महत्व होता है।

बकरीद की कहानी (Bakrid Ki Kahani)

पौराणिक मान्यता अनुसार एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहीम से उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी। हजरत इब्राहीम सबसे ज्यादा प्यार अपने इकलौते बेटे से करते थे जिसका नाम इस्माइल था। हजरत इब्राहीम को बेटे की प्राप्ति बुढ़ापे में जाकर हुई थी। लेकिन बावजूद इसके वे अल्लाह के प्रति अपनी आस्था और प्रेम दिखते हुए अपने बेटे की कुर्बानी देने को तैयार हो गए। माना जाता है कि जिस समय हजरत इब्राहीम अपने बेटे की कुर्बानी दे रहे थे उस वक़्त अल्लाह ने उनके बेटे की जगह पर वहां पर एक बकरा खड़ा कर दिया था। कहते हैं इसी घटना के बाद के बकरीद मनाने की परंपरा शुरू हो गई।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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